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सामंतियों के कमजोर होने से माओवादी मूवमेंट में ठहराव

सामंतियों के कमजोर होने से माओवादी मूवमेंट में ठहरावपेशी के लिए आये भाकपा-माओवादी के शीर्ष नेता विजय आर्य ने वोट बहिष्कार का असर नहीं पड़ने पर दी प्रतिक्रियाजज के छुट्टी पर रहने के कारण नहीं हुई सुनवाई, परैया थाने पर हमला करने के मामले में हैं आरोपितफोटो-गया 99-गया जिला कोर्ट में माओवादी नेता विजय आर्य.रोशन […]

सामंतियों के कमजोर होने से माओवादी मूवमेंट में ठहरावपेशी के लिए आये भाकपा-माओवादी के शीर्ष नेता विजय आर्य ने वोट बहिष्कार का असर नहीं पड़ने पर दी प्रतिक्रियाजज के छुट्टी पर रहने के कारण नहीं हुई सुनवाई, परैया थाने पर हमला करने के मामले में हैं आरोपितफोटो-गया 99-गया जिला कोर्ट में माओवादी नेता विजय आर्य.रोशन कुमार, गयानक्सली संगठन भाकपा-माओवादी की केंद्रीय कमेटी के शीर्ष नेता विजय आर्य को शनिवार को गया कोर्ट में प्रथम न्यायिक दंडाधिकारी अविनाश कुमार की अदालत में पेशी के लिए सेंट्रल जेल से लाया गया. लेकिन, मजिस्ट्रेट के छुट्टी पर होने की वजह से उनकी पेशी नहीं हो सकी. कोर्ट से सेंट्रल जेल जाने के दौरान माओवादी नेता ने बताया कि हाल के वर्षों में धीरे-धीरे समाज में सामंतवादी व्यवस्था कमजोर हुई है. इससे माओवादी संगठन के मूवमेंट में ठहराव आ गया है. आज के माहौल में वोट बहिष्कार के विरुद्ध संगठन जितने भी नारे दे दे, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया. अब वोटिंग जात-पांत पर हो गयी है. इसी कारण माओवादी संगठन द्वारा वोट बहिष्कार की अपील करने पर भी जनता पर असर नहीं होता है. अब सीधे सरकार के खिलाफ लड़ाईमाओवादी नेता ने कहा कि माओवादी मूवमेंट होने का यह अर्थ नहीं है कि समाज में हिंसा फैलायी जाये. लोगों को आतंकित किया जाये. माओवादी संगठन का ऐसा कभी सोच नहीं रहा. उन्होंने कहा कि 90 के दशक में जिस रूप में संगठन था, वह वैसा कहां है. मुद्दे बदलते जा रहे हैं. अब सामंतवादी व्यवस्था के खिलाफ संगठन की लड़ाई नहीं है, बल्कि सीधे सरकार के खिलाफ लड़ाई है. किसानों के सामने जो संकट आ गया है, उससे किसानों को उबारने की जरूरत है. लेकिन, सरकार किसान विरोधी नीति अपना रही है. किसानों की समस्या को दूर करने के लिए भूमि सुधार आयोग लाया गया. इस आयोग के तहत बंधोपध्याय कमेटी द्वारा अनुशंसा की गयी. नीतियों को अब तक नीतीश सरकार ने लागू नहीं किया. अब तो लड़ाई सीधे सरकार से है. यह लड़ाई तब तक चलती रहेगी, जब तक बदलाव नहीं हो जाये.गुंडों को पाल रही पुलिसविजय आर्य ने कहा कि माओवादी संगठन से टक्कर लेने की ताकत पुलिस में नहीं रह गयी है. इन्हीं कारणों से पुलिस टीम टीपीसी, जेपीसी, आरसीसी व एसपीएम सहित नक्सली संगठनों के नाम पर गुंडों व अपराधियों को पाल-पोस रही है. इन गुंडों के जरिये पुलिस अपना स्वार्थ साधने में लगी है. अब पेशी 20 नवंबर कोजानकारी के मुताबिक, मजिस्ट्रेट के छुट्टी पर होने की वजह से शनिवार को विजय आर्य की पेशी नहीं हो सकी. अब उन्हें 20 नवंबर को उसी अदालत में पेश किया जायेगा. उल्लेखनीय है कि वर्ष 2003 में एमसीसी (अब भाकपा-माओवादी संगठन) द्वारा परैया थाने पर हमला किया गया था. इसमें थानाध्यक्ष सुरेश पासवान व एएसआइ सहित तीन लोगों की हत्या कर हथियार लूट लिये गये थे. साथ ही, थाने में आग लगा दी गयी थी. इस मामले में माओवादी नेता विजय आर्य सहित सैकड़ों माओवादियों के विरुद्ध परैया थाने में मामला (कांड-40/2003) दर्ज किया गया था. इसी मामले में माओवादी नेता विजय आर्य की पेशी होनी थी. गौरतलब है कि एक मई, 2011 को माओवादी नेता विजय आर्य कटिहार में अपने साथियों के साथ पकड़े गये थे. वहां से एक साल के बाद उन्हें आंध्रप्रदेश पुलिस ले गयी. जहां एक साल तक जेल में रहने के बाद उन्हें भागलपुर जेल में लाया गया. गत 21 जुलाई, 2015 को भागलपुर जेल से विजय आर्य सेंट्रल जेल, गया लाये गये.

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