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गयासिर व गयाकूप में पिंडदान कर बने पुण्य के भागी

गया: पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना से मोक्षधाम पहुंचे विभिन्न राज्यों के लोगों ने गयासिर वेदी व गयाकूप वेदी पर पिंडदान किया. विष्णुपद मंदिर से दक्षिण हिस्से में स्थित गयासिर वेदी व गयाकूप वेदी पर पिंडदान कर पिंडदानियों ने अपने-अपने पूर्वजों की आत्मा के लिए मोक्ष व शांति की कामना की. साथ ही, वे […]

गया: पितरों को मोक्ष दिलाने की कामना से मोक्षधाम पहुंचे विभिन्न राज्यों के लोगों ने गयासिर वेदी व गयाकूप वेदी पर पिंडदान किया. विष्णुपद मंदिर से दक्षिण हिस्से में स्थित गयासिर वेदी व गयाकूप वेदी पर पिंडदान कर पिंडदानियों ने अपने-अपने पूर्वजों की आत्मा के लिए मोक्ष व शांति की कामना की. साथ ही, वे पुण्य के भागी बने.

मान्यता के अनुसार, गयासिर वेदी व गयाकूप वेदी पर पिंडदान करने व वेदी पर फल, कंद आदि चढ़ाने से पितरों को तो स्वर्ग पहुंचा ही देता है, श्राद्धकर्ता को भी अश्वमेघ यज्ञ करने का फल मिलता है. बुधवार को हालांकि, गयासिर व गयाकूप वेदी पर ज्यादा भीड़ नही दिखी, पर पिंडदानियों की टोली एक के बाद एक आती रही और वेदियों पर पिंडदान होता रहा. कई पिंडदानियों ने पिंडदान के बाद समीप स्थित माता संकटा के मंदिर में भी पूजा-अर्चना की.

गरमी बढ़ने के साथ ही पिंडदानियों की परेशानी बढ़ने का असर भी बुधवार को मेला क्षेत्र पर दिखा. विष्णुपद मंदिर, देवघाट व फल्गु नदी में पिंडदान का विधान पूरा किया गया.

इस दौरान नदी में पर्याप्त पानी के अभाव में पिंडदानियों ने देवघाट पर लगे शॉवर (झरना) में स्नान कर पिंडदान किया. दिन में कर्मकांड करने के बाद पिंडदानियों की भीड़ शाम को भी विष्णुपद मंदिर में लग रही है. अब पांच दिन मेला शेष है, लेकिन त्रयोदशी से फिर एक बार भीड़ बढ़ने की उम्मीद है.

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