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उच्च शिक्षा का हो रहा बाजारीकरण

गया: कार्य की प्रगति सही रही, तो निश्चित रुप से 2015 तक बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी का अपना भवन बन कर तैयार हो जायेगा. इसके बाद सभी विषयों व फैकल्टीज की पढ़ाई सुनिश्चित हो जायेगी. इससे छात्रों के लिए सुविधाएं और बढ़ जायेंगी. ये बातें बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर जनक पांडेय ने कहीं. गया […]

गया: कार्य की प्रगति सही रही, तो निश्चित रुप से 2015 तक बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी का अपना भवन बन कर तैयार हो जायेगा. इसके बाद सभी विषयों व फैकल्टीज की पढ़ाई सुनिश्चित हो जायेगी. इससे छात्रों के लिए सुविधाएं और बढ़ जायेंगी. ये बातें बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रोफेसर जनक पांडेय ने कहीं. गया में यूनिवर्सिटी के पहले सत्र की पढ़ाई 16 अगस्त से शुरू होनी है. इससे पहले मंगलवार को नये बैच के विद्यार्थियों व अभिभावकों के बीच वह होटल विष्णु विहार में आयोजित ओरिएंटेशन प्रोग्राम में बोल रहे थे.

दीप प्रज्ज्वलित कर कुलपति प्रोफेसर जनक पांडेय, कुलसचिव प्रोफेसर मो निहाल, जन शिक्षण संस्थान के निदेशक जय कुमार पालित ने कार्यक्रम का उद्घाटन किया. वीसी ने उच्च शिक्षा के हो रहे बाजारीकरण के प्रति चिंता जतायी. उन्होंने कहा कि प्राइवेट संस्थानों में कानून की पढ़ाई में लगभग 24 लाख रुपये खर्च होते हैं, जबकि बिहार सेंट्रल यूनिवर्सिटी में महज पांच हजार रुपये प्रति सेमेस्टर में यह शिक्षा प्राप्त हो सकती है. उन्होंने छात्रों व अभिभावकों से स्पष्ट किया कि अधिक पैसे से शिक्षा की गुणवत्ता नहीं बढ़ती. उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी गरीब व जरूरतमंद छात्रों को हर तरह से मदद करने को तैयार है. कई तरह की छात्रवृत्ति की योजनाएं चल रही हैं.

इससे छात्रों को शिक्षा हासिल करने में मदद मिलेगी. कुलसचिव मो नेहाल ने बताया कि 16 अगस्त से इस सत्र की पढ़ाई शुरू हो जायेगी. सभी विषयों में नामांकन हो चुके हैं. वर्तमान भवन में भी छात्रों को हर संभव सुविधा दी जायेगी. टॉपर पांच विद्यार्थियों सहित अन्य विद्यार्थियों को विवि के नियमानुकूल प्रति माह एक-एक हजार रुपये छात्रवृत्ति देने का निर्णय लिया गया है.

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