जितेंद्र मिश्र, गया : प्रभावती अस्पताल (लेडी एलगीन) के नाम से प्रचलित है. अस्पताल बनने के समय से अब तक किसी ने यहां ड्रेनेज सिस्टम बनाने पर ध्यान नहीं दिया. पहले आसपास का इलाका खाली था. इसके कारण नाला का पानी निकल जाता था. अब पानी निकलना मुश्किल हो गया है.
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न ड्रेनेज सिस्टम दुरुस्त, न ही बिल्डिंग ठीक, ”वेंटिलेटर” पर प्रभावती अस्पताल
जितेंद्र मिश्र, गया : प्रभावती अस्पताल (लेडी एलगीन) के नाम से प्रचलित है. अस्पताल बनने के समय से अब तक किसी ने यहां ड्रेनेज सिस्टम बनाने पर ध्यान नहीं दिया. पहले आसपास का इलाका खाली था. इसके कारण नाला का पानी निकल जाता था. अब पानी निकलना मुश्किल हो गया है. सबसे अधिक परेशानी यहां […]
सबसे अधिक परेशानी यहां बरसात के दिनों में होती है. अन्य मौसम में अस्पताल परिसर के खाली पड़े मैदान में पानी जमा होकर खत्म हो जाता है. इसके साथ बिल्डिंग मरम्मत में भी काफी कोताही बरती गयी है. करीब आठ वर्ष पहले ही अस्पताल के साथ डॉक्टरों व अन्य कर्मचारियों के आवासीय परिसर को भवन निर्माण विभाग के इंजीनियर ने अयोग्य घोषित कर दिया था.
इसके बाद कुछ मरम्मत के सहारे यहां के बिल्डिंग से काम चलाया जा रहा है. बरसात में हर कमरे के छत से पानी टपकता है. बिल्डिंग की स्थिति पर अस्पताल व जिला प्रशासन की ओर से विभाग को 300 से अधिक पत्र भेजे गये. लेकिन, इस दिशा में कोई पहल अब तक शुरू नहीं की गयी है.
एएनएम स्कूल की बिल्डिंग भी जर्जर
प्रभावती अस्पताल में चलने वाले एएनएम स्कूल की बिल्डिंग जर्जर होने के कारण ही करीब दो माह से स्कूल में पठन-पाठन कार्य बंद कर दिया गया है. दो माह पहले छत के प्लास्टर गिरने से एक छात्रा को गंभीर चोटें आयी थी. इसके बाद होस्टल को भी खाली करा दिया गया.
दो दिन पहले ही यहां की छात्राओं ने डीएम से मिल कर कोई वैकल्पिक व्यवस्था करने की मांग की थी. छात्राओं का कहना था कि बिल्डिंग के कारण उनका पढ़ाई अवरुद्ध हो गया है. सेशन के मुताबिक पढ़ाई पूरी नहीं हो सकेगी.
वर्ष पुरानी है अस्पताल की बिल्डिंग
जानकारी के अनुसार, अस्पताल की बिल्डिंग 1898 में बनायी गयी थी. उस वक्त अस्पताल नीचे में था. उस हिसाब से ही परिसर में नाला बनाया गया. उस वक्त आसपास की जमीन भी नीचा था. नये कंस्ट्रक्शन में आसपास की बिल्डिंग ऊंची बन गयी.
उसके बाद अस्पताल के नाले से पानी निकलना मुश्किल हो गया है. हेल्थ मैनेजर विमलेश कुमार बताते हैं कि बरसात के दिनों में सबसे अधिक परेशानी होती है. अस्पताल परिसर में खाली पड़े जमीन में नाले का पानी जमा होता है. कुछ दिनों बाद दुर्गंध निकलने लगता है. इससे अस्पताल में कर्मचारी के अलावे मरीज व उनके परिजन परेशान हो जाते हैं.
विभाग की पहल के बाद ही स्थिति में होगा सुधार
प्रभावती अस्पताल के अधीक्षक डॉ सत्येंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि अस्पताल की बिल्डिंग जर्जर है. किसी तरह यहां काम चलाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि ड्रेनेज सिस्टम के बारे में अब तक कोई काम नहीं किया गया है. इसके साथ ही सबसे अधिक परेशानी बरसात के दिनों होती है.
हर जगह से पानी टपकता है. कई बार इसमें कई बार विभाग को पत्र लिखा गया और विभागीय बैठक में बात को उठाई गयी. लेकिन, अब तक किसी तरह का पहल नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि एएनएम स्कूल को इसलिए बंद कर दिया गया कि वहां किसी भी वक्त बड़ा हादसा हो सकता था. जब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होती, किसी तरह का जोखिम नहीं उठाया जा सकता है.
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