-गुंजन कुमार-
दरभंगाः तापमान न्यूनतम 8 डिग्री. सामान्य रूप से स्वस्थ लोगों का शरीर भी ठीक ढंग से काम नहीं करता. ऐसी स्थिति में वार्डो में खिड़कियों के टूटे शीशे से सांय-सांय कर आ रही पछिया हवा के थपेड़ों को झेल रहे डीएमसीएच के मरीजों पर क्या बीतती होगी, इसका अनुमान सहज ही किया जा सकता है. मरीजों के साथ-साथ उनके परिजन भी इस कड़ाके की ठंड में डीएमसीएच की कुव्यवस्था पर अपने भाग्य को कोस रहे है.
अखबार से भर रहे खिड़कियों की दरार
गुरुवार की शाम 5 बजे डीएमसीएच के सर्जिकल भवन स्थित ऑर्थो वार्ड में मरीज ठंड से ठिठुर रहे थे. अस्पताल की ओर से उन्हें कंबल तक नहीं दिया गया है. खुद के कंबल से मरीज अपना तन ढके हुए थे, परंतु खिड़कियों के टूटे शीशे से पछिया हवा के सर्द थपेड़े झेल रहे मरीज परेशान थे. मरीज के परिजन टूटे शीशे को अखबार के पन्नों और कपड़ों से बंद करने का प्रयास करते दिखे. मगर इनके सारे प्रयास आखिरकार पछुआ हवा व कड़ाके की ठंड में विफल साबित हुए.
घर के कंबल से बचा रहे जान
ऑर्थो वार्ड में भरती मधुबनी जिले के लौफा निवासी कुशी मल्लिक ने बताया कि घर के कंबल से ठंड से बच रहा हूं. अस्पताल से कंबल नहीं मिला है. बेंता निवासी संजय राय ने बताया कि ट्रेन दुर्घटना में जख्मी होकर 16 दिसंबर से वार्ड में भरती है, परंतु अस्पताल द्वारा कंबल नहीं दिया गया. उसने बताया कि 24 दिन में सिर्फ एक बार चादर बदला गया है. मधेपुरा जिले के शंकरपुर खाप निवासी बिहारी यादव चार जनवरी से डॉ. लालजी चौधरी के यूनिट में भरती है, परंतु इन्हें कंबल तो दूर चादर तक नहीं दिया गया है. बहेड़ी के जुरिया निवासी मुनेश्वर मंडल नौ दिसंबर से ऑर्थो वार्ड में भरती है, इन्हें भी कंबल नहीं मिला है. पूछने पर बताया कि कंबल और चादर के बारे में पूछने पर सिस्टर कहती है कि स्टोर में नहीं है.
जानकारी के अनुसार, अस्पताल में भरपूर मात्र में कंबल है, परंतु यह आलमारी की शोभा बढ़ा रहा है. नाम नहीं छापने की शर्त पर कई सिस्टर इंचार्ज का कहना है कि वार्ड से कंबल और चादर की चोरी हो जाती है. इसलिये वे लोग चादर व कंबल देने से परहेज करते हैं.