दरभंगा : दरभंगा जंकशन पर ट्रेन चालक व आरपीएफ के बीच विवाद की मूल वजह गलतफहमी रही. मिस अंडर एस्टेंडिंग के कारण दोनों के बीच हाथापाई हो गयी. इसके बाद हालात पूरी तरह बिगड़ गये. रोड़ेबाजी हो गयी. इसके बाद लाठी चार्ज भी हो गयी.
इस गलतफहमी के मूल में अगर झांकेंगे तो ड्रेस कोड का पालन नहीं किया जाना ही दिखता है. चालक के यूनिफार्म में नहीं रहने की वजह से ही बात बिगड़ते-बिगड़ते स्थिति विस्फोटक हो गयी. सनद रहे कि इससे पहले भी इसी कारण से विवाद हो चुका है. आश्चर्यजनक पहलू यह है कि रेल प्रशासन सख्ती से इसके पालन के प्रति दिल्चस्पी लेती भी नजर नहीं आ रहा.
18 दिसम्बर को बिहार संपर्क क्रांति के सहायक लोको पायलट शिवशंकर महतो इंजन के ठीक बगल वाले ब्रेकयान में पेशाब करने गये. वहां पहले से मौजूद आरपीएफ ने रेलवे कोर्ट में पेशी के लिए ले जा रहे दो अभियुक्तों का हवाला देते हुए उन्हें प्रवेश करने से रोका. इसी बात को लेकर दोनों के बीच विवाद बढ़ गया और हाथापाई हो गयी.
बताया जाता है कि उस समय सहायक लोको पायलट ने अपना यूनिफार्म नहीं पहन रखा था. आरोपित आरपीएफ मेजर का यह भी कहना है कि उन्होंने अपना परिचय भी नहीं दिया. जानकारों का कहना है कि अगर चालक ने अपना ड्रेस पहना होता तो विवाद की नौबत ही नहीं आती. जंकशन पर इसी ड्रेस कोड का पालन नहीं करने के कारण पहले भी विवाद हो चुका है. उस समय में तत्कालीन एमई जांच के दौरान 12561 स्वतंत्रता सेनानी के इंजन के पास पहुंचे तो सहायक चालक सह वर्त्तमान में ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के ब्रांच उप संगठन मंत्री राधे कृष्ण ठाकु र को यूनिफार्म में नहीं रहने की वजह से पहचान नहीं सके.
इसके बाद दोनों में कहासुनी हो गयी. मारपीट होते देख सामने तैनात आरपीएफ के जवान दौड़कर आये. विवाद ने नया मोड़ ले लिया और आरपीएफ इसमें उलझ गया. जाहिर है कि विशेषकर दरभंगा से खुलनेवाली ट्रेनों के चालक अपने यूनिफार्म का इस्तेमाल नहीं करते, इसी वजह से आये दिन मामला खराब हो जाता है.
गौरतलब है कि सफाई कर्मियों के परिचय पत्र पर नजर रखनेवाले पदाधिकारी का ध्यान इस ओर कभी पड़ता नजर नहीं आया. इस घटना के बाद भी अगर महकमा ने इसे सख्ती से लागू नहीं किया तो आनेवाले दिन में इससे बड़ी घटना हो सकती है.