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खाते में 8 करोड़, टकटकी लगाये हैं 48 हजार किसान
बरबाद हो चुकी है गेहूं व मसूर की फसल चंपारण के किसान दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं. जिले के किसानों ने 77 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की थी. आंधी व असमय बारिश ने सारी फसल बरबाद कर दी. कई किसानों के पास तो खाने के लिए भी गेहूं नहीं बचा है. […]
बरबाद हो चुकी है गेहूं व मसूर की फसल
चंपारण के किसान दर-दर की ठोकर खाने को मजबूर हैं. जिले के किसानों ने 77 हजार हेक्टेयर में गेहूं की खेती की थी. आंधी व असमय बारिश ने सारी फसल बरबाद कर दी. कई किसानों के पास तो खाने के लिए भी गेहूं नहीं बचा है. जिन लोगों ने मसूर लगाया था उनकी स्थिति भी ठीक नहीं है.
हालांकि सरकार ने किसानी की स्थिति का आकलन कर मुआवजे की घोषणा कर दी पर उन्हें फसल क्षति का मुआवजा अभी तक नहीं मिल सका है. जबकि 8.22 करोड़ रुपये डंप पड़े हैं और 48 हजार किसान सरकारी कार्यालयों की दौड़ लगा रहे हैं. मुआवजा मिल तभी खरीफ की बुआई हो. पूरे मामले की ‘प्रभात खबर’ ने पड़तालकी है.
बेतिया : खरीफ फसल बोने का समय नजदीक आ चुका है. किसानों के हाथ तंग हैं. फसल बोने के लिए पूंजी भी नहीं बची है. कारण की गेहूं और मसूर की फसल बरबाद हो चुकी है. किसान अगली खेती के लिए मुआवजे पर निर्भर हैं.
लेकिन अफसरों की लापरवाही की वजह से अभी तक 48 हजार किसानों को भी मुआवजा नहीं मिल सका है. यह हाल तब है जब सरकार ने फसल क्षति का मुआवजा माह भर पहले ही आवंटित कर दिया है. लेकिन अफसर व कर्मी इसे बांटने में नाकाम साबित हो रहे हैं.
23 को होगी समीक्षा
20 तारीख तक मुआवजा बांटने का निर्देश दिया गया है. 23 को कृषि व प्रखंड विकास पदाधिकरियों के साथ समीक्षा की जायेगी. लापरवाही वालों पर कार्रवाई की जायेगी.
लोकेश कुमार सिंह, डीएम
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