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अलविदा िजतेंद्र!

जम्मू-कश्मीर में शहीद बीएसएफ जवान का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन अलविदा जितेंद्र! आपके बलिदान को हम कभी नहीं भूलेंगे. देश को सुरक्षित रखने के लिए आपने सरहद जिस तरह से अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया और इसके क्रम में अपने सर्वोच्च बलिदान दिया है. उसे यह देश और रक्सौल हमेशा याद रखेगा. कुछ इसी […]

जम्मू-कश्मीर में शहीद बीएसएफ जवान का पार्थिव शरीर पंचतत्व में विलीन

अलविदा जितेंद्र! आपके बलिदान को हम कभी नहीं भूलेंगे. देश को सुरक्षित रखने के लिए आपने सरहद जिस तरह से अपनी ड्यूटी को अंजाम दिया और इसके क्रम में अपने सर्वोच्च बलिदान दिया है. उसे यह देश और रक्सौल हमेशा याद रखेगा. कुछ इसी जज्बे और अंदाज के साथ अपने लाल को चंपारण के लोगों ने अंतिम विदा दी.
बीएसएफ में हेड कांस्टेबिल जितेंद्र सिंह पाकिस्तान की ओर से की गयी नापाक गोली बारी में शहीद हुये थे.
रक्सौल : जम्मू कश्मीर के आरएस पुरा सेक्टर में शहीद हुये जितेंद्र का पार्थिव शरीर जैसे ही रक्सौल की धरती पर पहुंचा. पूरी फिजां जितेंद्र अमर रहे के नारों से गूंज पड़ी. लोग शहीद के अंतिम दश्र्ांन करने को बेताव दिख रहे थे. शहीद जितेंद्र की चिता को उनके 10 साल के बेटे रोहित ने मुखाग्नि दी. इसके साथ ही देश के लिए जान देनेवाले जितेंद्र सिंह का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया.
रक्सौल की सड़कों पर सुबह से ही लोग कतार में खड़े थे. नौ बजे जैसे ही एनडीआरएफ की टीम उनका पार्थिव शरीर लेकर शहर पहुंची. लोग अंतिम दर्शन के लिए उमड़ पड़े. जितेंद्र का पार्थिव शरीर जिन रास्ते से गुजरा. उसके दोनों ओर हजारों की संख्या में लोग जुटे थे, जो जितेंद्र सिंह अमर रहे के नारे लगा रहे थे. पूरा शहर शहीद के सम्मान में थम सा गया था. लोगों के सामने पुलिस की सारी सुरक्षा बौनी
अलविदा िजतेंद्र!
साबित हो रही थी. जितेंद्र का पार्थिव शरीर जब उनके घर पहुंचा, तो वहां लोग पहले उनके दर्शन कर लेना चाहते थे. इसी क्रम में भगदड़ जैसी स्थिति हो गयी, जिसमें कई लोग जख्मी हो गये. इसमें डीएम अनुपम कुमार व एसपी जितेंद्र राणा भी फंसे रहे. जितेंद्र ंिसह के आवास के परिसर में जब पार्थिव शरीर रखा गया, तो चारों तरफ चीत्कार मच गयी. परिजनों के साथ अन्य लोग शहीद के शव से लिपट कर रोने लगे. प्रयास के बाद शहीद के पार्थिव शरीर को निकाला जा सका. इसके बाद उनके पार्थिव शरीर को पैतृक गांव सिसवा ले जाया गया.
इससे पहले बेतिया सांसद डॉ संजय जायसवाल, रक्सौल विधायक डॉ अजय कुमार सिंह, सुगौली विधायक रामचंद्र सहनी, हरसिद्धि विधायक राजेंद्र राम, मोतिहारी विधायक प्रमोद कुमार, पीपरा विधायक शय़ामबाबू राय, नरकटिया विधायक डॉ शमीम अहमद, एमएलसी बब्लू गुप्ता ने श्रद्धांजलि दी. जिलाधिकारी अनुपम कुमार,
पुलिस कप्तान जितेंद्र राणा समेत सभी अधिकारियों ने शहीद के पार्थिव शरीर पर पुष्प अर्पित किये. राजद जिलाध्यक्ष सुरेश राय, राजद के रक्सौल पूर्व प्रत्याशी सुरेश यादव, जदयू के जिलाध्यक्ष भुवन पटेल, कांग्रेस के जिलाध्यक्ष शैलेंद्र शुक्ला समेत हजारों लोगों ने अपनी संवेदना व्यक्त की. इस दौरान लोग हाथों में तिरंगा लेकर भारत के समर्थन में नारे लगा रहे थे, तो पाक मुर्दाबाद के नारे से शहर गूंज रहा था.
शहीद जितेंद्र ंिसह के पार्थिव शरीर को रक्सौल लेकर पहुंचने वाले उनके मित्र व बीएसएफ के हवलदार माधव ओझा इस दौरान भावुक दिखे. जितेंद्र ंिसह के परिजनों को संत्वाना देते हुए शहरवासियों से कहा कि सेना में जवान मारने व मरने का जज्बा लेकर जाता हैं. जवान का सबसे बड़ा सौभाग्य होता है कि उसका शव तिरंगा में लपेट कर उसके गांव पहुंचे. एक मित्र को खोने का गम उन्हें है. अंतिम संस्कार के बाद डीएम ने राज्य सरकार की तरफ से जितेंद्र सिंह की पत्नी को 11 लाख का चेक दिया. उन्होंने कहा कि शहीद जितेंद्र ंिसह के परिजन के साथ पूरा देश खड़ा है. उन्होंने यह भी कहा कि जितेंद्र ंिसह का घर बनवाने व बच्चों की बेहतर शिक्षा देने की व्यवस्था की जायेगी.
शहीद जितेंद्र िसंह की एक झलक पाने को उमड़ी भीड़.
ितलावे नदी के िकनारे राजकीय सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार
दस साल के बेटे ने दी शहीद पिता को मुखाग्नि
सांसद, विधायक समेत अधिकारी रहे मौजूद
राज्य सरकार की ओर से दिया 11 लाख का चेक
जितेंद्र का घर बनाने व बच्चों की पढ़ाई में प्रशासन करेगा मदद
जितेंद्र सिंह अमर रहे के नारों से गूंज रहा था रक्सौल
पैतृक गांव में तिलावे नदी के किनारे हुआ अंतिम संस्कार
शहीद के अंतिम दर्शन के लिए उमड़े हजारों लोग
अंितम संस्कार के समय गोिलयां दाग कर शहीद िजतेंद्र को िवदाई देते एनडीआरएफ के जवान.
अपने लाल के अंितम दर्शन को उमड़ पड़ा चंपारण
रक्सौल से लेकर सिसवा तक लोगों की लगी रही. कहीं भी एक इंच जगह खाली नहीं थी. सिसवा स्थित तिलावे नदी के तट पर पार्थिव शरीर रखा गया, जहां पर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई, लेकिन लोगों के हुजूम की वजह से इसे पूरा करने परेशानी हो रही थी लोगों को संभालने में सुरक्षाबलों को मशक्कत करनी पड़ी.
अपने लाल के
अंत्येष्टि के लिए पहले से जगह तय थी. बांस-बल्ले से बैरकेंिटग की गयी थी. लोगों की भीड़ की वजह से चंद मिनटों में ही बैरिकेटिंग टूट गयी. लोग शहीद के पार्थिव शरीर के पास पहुंचना चाहते थे. लोगों को हटाने के लिए पुलिस बल के साथ एसपी को मशक्कत करनी पड़ी. इस दौरान एसएसबी व एनडीआरएफ की टीम की तरफ से शहीद को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.
बोलीं शहीद की पत्नी
बीएसएफ में जायेंगे मेरी बेटी-बेटा
शहीद जितेंद्र ंिसह की पत्नी विमला सिंह को अपने पति की शहादत पर गर्व है. विमला का कहना है कि मुङो अपना सुहाग खोने का गम है, लेकिन मेरे पति ने देश के लिए बलिदान दिया है. तिलावे नदी के घाट पर पति के अंतिम दर्शन के बाद विमला बोल रही थीं. उन्होंने कहा कि मैं चाहती हूं कि मेरी बेटी गुड़िया व बेटा रोहित बड़े होकर बीएसएफ में ही जायें और देश की रक्षा करें. विमलाने यह भी कहा मेरे पति की इच्छा थी कि मेरी बेटी बीएसएफ में अधिकारी बने. आज मैं भी चाहती हूं कि मेरी बेटी व बेटा बीएसएफ में जाकर अपने पिता की इच्छा को
बीएसएफ में जायेंगे
पूरा करें. उन्होंने सरकार से अपील की कि उनके बच्चों को बीएसएफ में नौकरी दिलाने में मदद करें. बेटी गुड़िया ने भी यही इरादा जाहिर किया कि वह बड़ी होकर बीएसएफ में नौकरी करेगी. उसने कहा, पापा अक्सर कहते थे कि मैं कम पढ़ा लिखा हूं, तो जवान हूं. तुमको पढ़ा रहा हूं तुम्हें अधिकारी बनना है. मैं उनके सपना को पूरा करूंगी, तोरोहित को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था और भाव शून्य एकटक खड़ा था. लोग उसे जो भी सुझाव देते थे वह वैसे ही कर रहा था.
बदला माहौल, उिजयारे से रोशन हुआ परिवार

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