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सात विषयों के शिक्षक नहीं, फिर भी पास
35 स्वीकृत पद के विरुद्ध महज आठ शिक्षक के भरोसे पढ़ाई पंडौल : रास नारायण (आरएन) कॉलेज शिक्षक की कमी का रोना रो रहा है. इस कॉलेज में पढ़ाई के लिए दूर-दूर से छात्र आते थे. यहीं पढ़कर कई युवा आइएएस से लेकर इंजीनियर व डॉक्टर बने, लेकिन इस कॉलेज में आज कई विषयों के […]
35 स्वीकृत पद के विरुद्ध महज आठ शिक्षक के भरोसे पढ़ाई
पंडौल : रास नारायण (आरएन) कॉलेज शिक्षक की कमी का रोना रो रहा है. इस कॉलेज में पढ़ाई के लिए दूर-दूर से छात्र आते थे. यहीं पढ़कर कई युवा आइएएस से लेकर इंजीनियर व डॉक्टर बने, लेकिन इस कॉलेज में आज कई विषयों के शिक्षक नहीं हैं.
छात्र बिना शिक्षक के ही ऊंची उड़ान भरने का सपना देख रहे हैं.
एक तरफ सरकार में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता के लिए बड़े-बड़े दावे कर रही है, लेकिन छात्रों को अपने विषय में दक्ष बनाने के लिए शिक्षक देना मुनासिब नहीं है. आलम यह है कि बिना शिक्षक के शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है.
कभी ज्ञान की भूमि मिथिला की शिक्षा व्यवस्था शिक्षक के अभाव में जमींदोज हो रही है. बिना प्रैक्टिकल के ही परीक्षा पास करना यहां के छात्रों की नियति बन कर रह गयी है. इन विषयों में एक -एक ही शिक्षकों के होने से इंटर, स्नातक के सभी वर्गो में अपने-अपने विषय में पढ़ाने का भार इन्हीं शिक्षक पर है. इस वजह से पढ़ाई की गुणवत्ता पर कैसा असर पड़ रहा होगा. सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है.
शिक्षक बिना हो रही पढ़ाई
रसायन, मनोविज्ञान, राजनीतिक विज्ञान, अंगरेजी, मैथिली, उर्दू, संस्कृत, अर्थशास्त्र विषय में शिक्षक हैं ही नहीं. इन विषयों के छात्र बिना शिक्षक के ही परीक्षा पास कर रहे हैं. रसायन शास्त्र के छात्र बिना प्रैक्टिकल किये ही प्रैक्टिकल पास कर रहे हैं. सवाल उठता है कि जिस विषय में शिक्षक ही नहीं हैं, तो नामांकन कैसे हो जाता है. कॉलेज में शिक्षक के अभाव के कारण निजी कोचिंग व ट्यूटरों की चांदी कट रही है. लिहाजा, कतरे पंख से उड़ान भरने के लिये यहां के बच्चे तैयार हैं.
आठ शिक्षक के भरोसे कॉलेज
फिलहाल इस महाविद्यालय में शिक्षकों के 35 स्वीकृत पद है. जबकि वर्तमान में आठ ही शिक्षक कार्यरत हैं. हालत यह है कि कई विषयों में तो पिछले छह साल से शिक्षक नहीं है. इनमें मनोविज्ञान विषय में साल 2008 से, वहीं वर्ष 2009 से राजनीतिक विज्ञान, अर्थशास्त्र में शिक्षक नहीं हैं.
वहीं 2010 से मैथिली व उर्दू में शिक्षक का पद खाली है. वहीं वर्ष 2012 से रसायन, संस्कृत में 2013 से तथा इंग्लिश में अगस्त 2014 से पद रिक्त है. दरअसल, इन शिक्षकों का यह पद अधिकांशत: के सेवानिवृत्त होने के बाद से भरा नहीं गया है. जबकि कुछ लोगों के यहां से तबादला करा अन्यत्र चले जाने की बात भी सामने आ रही है.
16 विषयों में होती पढ़ाई
भौतिकी, रसायन शास्त्र, जीव विज्ञान, जंतु विज्ञान, गणित, वाणिज्य, मनोविज्ञान, राजनीतिक विज्ञान, दर्शन शास्त्र, अंगरेजी, हिंदी, मैथिली, उर्दू, संस्कृत, अर्थशास्त्र.
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