नाइट्रोजन व जिंक की कमी से
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चंपारण के खेतों से गायब हो रही उर्वरा शक्ति
नाइट्रोजन व जिंक की कमी से घट रहा उत्पादन रसायनिक खादों के ज्यादा प्रयोग का हो रहा असर मोतिहारी : खेतों में किसानों द्वारा रसायनिक खादों के इस्तेमाल का कुप्रभाव अब सामने आने लगा है. इस कारण पूर्वी व पश्चिमी चंपारण सहित आसपास के जिलों के मिट्टी में जिंक, नाइट्रोजन सहित कई सूक्ष्म पोषक तत्वों […]
घट रहा उत्पादन
रसायनिक खादों के ज्यादा
प्रयोग का हो रहा असर
मोतिहारी : खेतों में किसानों द्वारा रसायनिक खादों के इस्तेमाल का कुप्रभाव अब सामने आने लगा है. इस कारण पूर्वी व पश्चिमी चंपारण सहित आसपास के जिलों के मिट्टी में जिंक, नाइट्रोजन सहित कई सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी आ गयी है, जिसका असर उत्पादन पर दिख रहा है. पूसा कृषि विवि के रिपोर्ट में से खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के अनुसार किसान अब भी नहीं संभले तो आनेवाले वर्षों में उत्पादन में और गिरावट आ सकती है. अगर मिट्टी में सभी प्रकार के सूक्ष्म पोषक तत्व है तो एक हेक्टेयर में सात से आठ टन उत्पादन संभव है.
आंकड़ों पर गौर करें तो पूर्वी चंपारण सहित विभिन्न जिलों में गेहूं का उत्पादन भी गत वर्ष 4-6 टन रहा है प्रति हेक्टेयर. मक्के के उत्पादन पर इस वर्ष असर देखा गया है. कई जगहों पर मक्के में दोने नहीं आये. तेलहन व दलहन फसल के अनुसार कम दाने आये. रिपोर्ट के अनुसार मधुबनी, सीतामढ़ी, मोतिहारी आदि जिलों में एक हेक्टेयर में नाइट्रोजन की मात्र 0.5 प्रतिशत तक हो गयी है जो क म से कम 5 प्रतिशत होनी चाहिए. जिंक .8 पीपीएम (पार्ट्स पर मिलियन) एक हेक्टेयर में 1.6 केजी होना चाहिए. लेकिन रसायनिक खादों के बढ़ते प्रयोग से इसकी मात्रा करीब .6 पीपीएम हो गयी है. इसी तरह बोरन एक हेक्टेयर में .53 पीपीएम होना चाहिए, जबकि इसकी मात्रा में 30 प्रतिशत तक गिरावट आयी है. इसी तरह आयरन की मात्रा में 30-35 प्रतिशत, सल्फर में 40-45 प्रतिशत तक गिरावट की बात सामने आयी है.
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