बदहाल. संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा सदर अस्पताल
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आइसीयू में एसी की नहीं है सुविधा, मरीज बेहाल
बदहाल. संसाधनों की कमी का दंश झेल रहा सदर अस्पताल मैं हूं सदर अस्पताल, लेकिन मैं अपनी व्यथा किसको सुनाऊं, कौन सुनेगा मेरा दर्द. मुझे जब जनता के बीच सौंपा गया था, तब सबको काफी उम्मीदें थीं, पर कुव्यवस्था का शिकार हो आज मुझे खुद पर रोना आ रहा है. मोतिहारी : करीब 52 लाख […]
मैं हूं सदर अस्पताल, लेकिन मैं अपनी व्यथा किसको सुनाऊं, कौन सुनेगा मेरा दर्द. मुझे जब जनता के बीच सौंपा गया था, तब सबको काफी उम्मीदें थीं, पर कुव्यवस्था का शिकार हो आज मुझे खुद पर रोना आ रहा है.
मोतिहारी : करीब 52 लाख की आबादी वाले सदर अस्पताल मोतिहारी में दो माह से हड्डी रोग के चिकित्सक नहीं है. इमरजेंसी सेवा के लिए सदर का आइसीयू नकारा हो गया है. आइसीयू के पांच एसी जल गये हैं. बच्चा वार्ड (एसएनसीयू) के लिए संचालित जेनेरेटर से जैसे-तैसे काम चल रहा है. टेंडर के अभाव में जेनेरेटर की खरीद नहीं हो सका है. ओपीडी में 32 की जगह 20 और आइसीयू में 90 प्रकार की दवा ही उपलब्ध है. शेष दवा मरीजों को बाहर से खरीदनी पड़ती है. कान के चिकित्सक हैं, लेकिन दवा नहीं है. यही हाल विभिन्न विभागों का भी है. इस कारण मरीज यहां आने से कतराते हैं.
अस्पताल में दो माह से नहीं है हड्डी रोग विशेषज्ञ
फिजियोथेरेपिस्ट विभाग बना स्टाेर रूम
बच्चा वार्ड के जेनेरेटर से चल रहा है काम
आेपीडी में 112 में महज 90 दवाएं ही हैं उपलब्ध
125 केवीए जेनेरेटर की है जरूरत
फिलहाल अस्पताल में 85 केवीए की खपत है. ऐसे में 125 केवीए लोड वाले जेनेरेटर की जरूरत है. अभी बच्चा वार्ड के जेनरेटर से काम चलाया जा रहा है. जिस कारण पर्याप्त वोल्टेज नहीं मिल पाता है, जिसको ले एसी व अन्य सामान जलने का खतरा बना रहता है.
शीघ्र होगा समाधान
हड्डी रोग के चिकित्सक सहित जो भी समस्या है, उसे दूर करने के लिए प्रयास किया जा रहा है. समस्या का शीघ्र ही समाधान करवा दिया जायेगा. ताकि मरीजों को कठिनाई न हो.
विजय झा, अस्पताल प्रबंधक
विभागों का हाल
दांत विभाग : डेंटिस्ट की कुरसी देखने से लगता है कि कहीं से लाया गया हो. कहने को विभाग में तीन चिकित्सक हैं, लेकिन सहायक की कमी के कारण मरीजों को इसका सही लाभ नहीं मिल पाता है. दांत उखड़वाने के बदले मर्ज की दवा देकर चिकित्सक अपना पलड़ा झाड़ लेते हैं.
आइसीयू : आइसीयू के पांच एसी जल चुके हैं. ट्रेंड स्टाफ के नाम पर ए ग्रेड नर्स ड्यूटी करती हैं. एक भी दवा सरकारी स्तर पर मरीजों को नहीं मिल पाता है. ऐसे में दवा बाजार से खरीदनी पड़ती है.
फिजियोथेरेपी : विभाग में बेड के अलावा ट्रैक्सन, वाक मशीन ठीक है. शेष समान विभाग में ही बिखरे मिल जायेंगे. ऐसे में फिजियोथेरेपी के लिए आये मरीजों को वापस लौटना पड़ता है.
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