किसानों को दी गयी नवीन योजनाओं व वैज्ञानिक खेती से संबंधित तकनीकी जानकारी

आत्मा द्वारा सदर प्रखंड के बरुना पंचायत स्थित बड़की बसौली गांव में सोमवार को पंचायत स्तरीय रबी कृषि जन कल्याण चौपाल का आयोजन किया गया.

By AMLESH PRASAD | December 1, 2025 9:57 PM

बक्सर. आत्मा द्वारा सदर प्रखंड के बरुना पंचायत स्थित बड़की बसौली गांव में सोमवार को पंचायत स्तरीय रबी कृषि जन कल्याण चौपाल का आयोजन किया गया. चौपाल की शुरुआत आत्मा के उप परियोजना निदेशक रणधीर कुमार, प्रखंड तकनीकी प्रबंधक अजय कुमार सिंह और किसान सलाहकार मिथलेश कुमार ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर की. कृषि विभाग द्वारा संचालित नवीन योजनाओं एवं वैज्ञानिक खेती से संबंधित तकनीकों की विस्तारपूर्वक जानकारी दिया गया. चौपाल को संबोधित करते हुए उप परियोजना निदेशक रणधीर कुमार ने किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन के महत्व पर जागरूक किया. उन्होंने बताया कि खेत में उत्पन्न होने वाला अवशेष केवल कचरा नहीं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने वाला महत्वपूर्ण संसाधन है. धान अधिपति योजना, आत्मा के तहत संचालित विभिन्न कृषि कार्यक्रमों तथा आधुनिक खेती के तौर-तरीकों के बारे में भी उन्होंने किसानों को अवगत कराया. रणधीर कुमार ने कहा कि आज के समय में मिट्टी की सेहत बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है, जिसके लिए फसल अवशेष का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है. कार्यक्रम में प्रशिक्षण देते हुए बिटिएम अजय कुमार सिंह ने किसानों को सरल भाषा में बताया कि फसल अवशेष खेत की मिट्टी के लिए उसी तरह मूल्यवान है, जैसे मनुष्य के शरीर के लिए सोना. उन्होंने कहा, फसल अवशेष सोना है, मिट्टी का यह गहना है. इसे जलाना सीधे-सीधे खेत की सेहत को नुकसान पहुंचाना है. उन्होंने किसानों को समझाया कि फसल अवशेष जलाने से जहां मिट्टी की उर्वरता कम होती है, वहीं पर्यावरण को भी भारी क्षति पहुंचती है. इसके स्थान पर अवशेष को खेत में मिलाकर कार्बनिक पदार्थ के रूप में उपयोग करने से मिट्टी में नमी, जल धारण क्षमता, सूक्ष्म जीव गतिविधि और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होती है.

उन्होंने किसानों को हैप्पी सीडर, सुपर स्ट्रॉ मैनेजमेंट सिस्टम, पावर टिलर और मल्चर जैसी मशीनों के उपयोग के बारे में बताया, जिससे फसल अवशेष को बिना जलाए खेत में सुरक्षित रखा जा सके. साथ ही सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जा रही अनुदान योजनाओं की विस्तृत जानकारी भी दी, ताकि किसान इन आधुनिक तकनीकों को अपनाकर कम लागत में बेहतर उत्पादन कर सकें. शिवसागर सिंह, अजय सिंह, अजीत कुमार, बसंत सिंह और रजनीश कुमार शामिल रहे.

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