18 माह बाद भी बेलाउर फीडर के विभाजन का 10 फीसदी हुआ काम, एनसीसी कंपनी बना रही बहाना
जिले में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के उद्देश्य से अप्रैल 2024 में बेलाउर फीडर को दो भागों में विभाजित करने का कार्य शुरू किया गया.
बक्सर. जिले में बिजली आपूर्ति व्यवस्था को दुरुस्त करने के उद्देश्य से अप्रैल 2024 में बेलाउर फीडर को दो भागों में विभाजित करने का कार्य शुरू किया गया. विभाग की योजना थी कि बड़े फीडर को दो हिस्सों में बांटकर बिजली कटौती की समस्या से उपभोक्ताओं को राहत दिलायी जाए. लेकिन लगभग 18 माह गुजर जाने के बावजूद कार्य का मात्र 10 प्रतिशत काम ही पूरा हो पाया है.विभाग और एनसीसी कंपनी के बीच तालमेल की कमी तथा लगातार मिलने वाले नए बहानों की वजह से फीडर विभाजन का काम अधर में लटका हुआ है. इसके कारण प्रतिदिन 20 से 25 गांवों की बिजली आपूर्ति प्रभावित हो रही है. जिले में दूरी और क्षेत्रफल के आधार पर प्रताप सागर स्थित बेलाउर फीडर सबसे बड़ा फीडर माना जाता है. बड़े फीडर की सबसे बड़ी समस्या यही है कि कहीं भी एक छोटी सी तकनीकी खराबी या फॉल्ट होने पर कई गांवों की बिजली एक साथ बंद हो जाती है.गर्मी और बरसात के मौसम में यह समस्या और विकराल हो जाती है.जरा सी तेज हवा चलने, पेड़ की डाल गिरने या कहीं पोल के वायारिंग ढीली होने से फीडर प्रभावित होता है और उपभोक्ता घंटों अंधेरे में रहने को मजबूर होते हैं. अप्रैल 2024 में ही शुरू किया गया था काम : उपभोक्ताओं की इसी परेशानी को देखते हुए विद्युत विभाग ने अप्रैल 2024 में फैसला लिया था कि बेलाउर फीडर को दो हिस्सों में बांटा जाए. इससे जहां लोड संतुलित होगा, वहीं किसी भी एक हिस्से में फॉल्ट होने पर पूरा क्षेत्र प्रभावित नहीं होगा. योजना के अनुसार नए पोल, तार और लगाने का कार्य एनसीसी कंपनी को दिया गया था. विभागीय अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि अधिकतम छह से आठ माह में पूरा काम पूरा हो जायेगा. लेकिन वास्तविकता इससे बिल्कुल उलट है. प्रभात खबर की टीम ने जब इस कार्य की प्रगति जानने की कोशिश की तो पता चला कि 18 माह बीतने के बाद भी सिर्फ 10 प्रतिशत काम ही पूरा हुआ है. मौके पर कई जगह पोल लगाने का कार्य अधूरा पड़ा है, अनेक स्थानों पर तार नहीं खींचे गये हैं और कुछ जगह तो सर्वे तक पूरा नहीं हुआ है. ग्रामीणों ने बताया कि कंपनी के कर्मचारी कभी-कभार आते हैं और बिना काम किए वापस चले जाते हैं. इस संदर्भ में जब कार्यपालक अभियंता सूर्य प्रकाश सिंह से बात की तो उन्होंने मौके पर ही एनसीसी कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर को फोन कर स्थिति की जानकारी ली. बातचीत में प्रोजेक्ट मैनेजर ने पहले गेहूं की फसल लगने, फिर धान की फसल लगने की वजह से कार्य में बाधा आने की बात कही. अब नया बहाना यह दिया जा रहा है कि कई रैयतों द्वारा अपनी भूमि पर पोल लगाए जाने का आपत्ति जताया जा रहा है, जिसके कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है. कंपनी के इन लगातार बदलते तर्कों से यह स्पष्ट प्रतीत होता है कि या तो कंपनी काम को लेकर गंभीर नहीं है, या फिर विभाग की ओर से उन पर पर्याप्त दबाव नहीं बनाया जा रहा है. फीडर विभाजन जैसे महत्वपूर्ण कार्य को इतनी धीमी गति से करना यह दर्शाता है कि बिजली आपूर्ति की समस्या को लेकर विभाग कितना संवेदनहीन है. स्थानीय उपभोक्ताओं ओमप्रकाश राम का कहना है कि बेलाउर फिडर की स्थिति पहले से ही खराब है. एक फॉल्ट होने पर 20-25 गांवों की बिजली एक साथ ठप हो जाती है. इससे घरों में पानी नहीं भर पाता, खेतों की सिंचाई प्रभावित होती है और व्यावसायिक कामकाज पूरी तरह रुक जाता है. गर्मी के दिनों में घंटों बिजली गायब रहने से बुजुर्गों और बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी होती है. उमरपुर के सूर्य नारायण राय का कहना है कि विभाग फिडर विभाजन कार्य को लेकर केवल आश्वासन दे रहा है. हर महीने यह कहा जाता है कि जल्द ही काम पूरा हो जायेगा, लेकिन धरातल पर स्थिति जस की तस है. कई बार कम्पनी से मांगा गया स्पष्टीकरण : विभागीय सूत्रों के अनुसार एनसीसी कंपनी को कई बार नोटिस देकर कार्य तेजी से पूरा करने का निर्देश दिया गया है, लेकिन प्रगति संतोषजनक नहीं है. कार्यपालक अभियंता ने भी माना कि धीमी गति से कार्य होने से उपभोक्ताओं को लगातार परेशानी हो रही है और विभाग इस कार्य को जल्द से जल्द पूरा कराना चाहता है. अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कब तक बेलाउर फीडर के उपभोक्ताओं को इस समस्या से राहत मिलेगी. 18 माह में केवल 10 प्रतिशत कार्य होने से यह साफ है कि यदि यही गति रही तो कार्य पूरा होने में और दो से तीन वर्ष लग सकते हैं. उपभोक्ता चाहते हैं कि विभाग कंपनी पर सख्त कार्रवाई करे, स्पष्ट समय सीमा तय करे और नियमित रूप से काम की मॉनीटरिंग करें. क्या कहते हैं अधिकारी अभी तो हमें दो माह आया हुआ. इसके बारे में मुझे जानकारी नहीं है. जानकारी प्राप्त कर संज्ञान में लेते हैं. राजीव कुमार सिंह, प्रोजेक्ट एसडीओ, विद्युत विभाग, बक्सर
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