धान की कटाई में विलंब से रबी की बोआई पर संकट
इसका सीधा असर खरीफ फसल खासकर धान की कटाई पर पड़ा है.
बक्सर. जिले में किसानों की मेहनत पर इस वर्ष मौसम की मार बुरी तरह पड़ी है. मोंथा तूफान के कारण अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह में हुई लगातार वर्षा ने कृषि कार्यों की पूरी रफ्तार धीमी कर दी है. इसका सीधा असर खरीफ फसल खासकर धान की कटाई पर पड़ा है. धान जिले की मुख्य फसल मानी जाती है, लेकिन इस बार खेतों में पानी भरने से कटाई कार्य बुरी तरह प्रभावित हुआ. नतीजतन रबी सीजन की बुवाई अटक गयी है. कृषि विभाग के आंकड़े बताते हैं कि स्थिति चिंताजनक है और यदि यही हाल रहा तो आगामी मौसम में पैदावार में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है. कृषि विभाग से मिली जानकारी अनुसार जिले में 97435.84 हेक्टेयर में धान की खेती किया गया है . लेकिन अभी तक मात्र 31469 हेक्टेयर में धान के कटाई हो पाया है. धान की कटाई नहीं होने की वजह से गेहूं, मसूरी, सरसों,व अन्य फसल की बोआई नहीं हो पायी है. कृषि वैज्ञानिकों को माने तो इस साल मोंथा तूफान की वजह से धान के उपज 15-20 प्रतिशत अगले साल के उपेक्षा कम होगा. वहीं गेहूं के बोआई के समय 15 नवम्बर से 15 दिसंबर तक माना जाता है. लेकिन अब तक मात्र 2138.318 हेक्टेयर का बुआई हो पाया जबकि खेती का लक्ष्य 115302.417 है. गेहूं के बोआई विलंब से होने के कारण 50 प्रतिशत कम हो सकता है उपज.
धान की कटाई हुई मात्र 32.30 प्रतिशत : कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में कुल 97,435.84 हेक्टेयर क्षेत्र में धान की खेती की गयी थी. सामान्य परिस्थितियों में नवंबर के मध्य तक धान की कटाई लगभग पूरी हो जाती है, लेकिन इस बार मात्र 31,469 हेक्टेयर, यानी 32.30 प्रतिशत क्षेत्र में ही कटाई हो पायी है. खेतों में पानी भरा होने के कारण हार्वेस्टर और मजदूर दोनों की गति थम गयी है
रबी फसल की बोआई पर पड़ रहा भारी असर : धान की कटाई में देरी का सबसे बड़ा प्रभाव रबी सीजन पर पड़ा है. धान कटे बिना किसान गेहूं, चना, मसूर, सरसों और अन्य रबी फसलों की बुवाई नहीं कर पा रहे हैं. कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में रबी सीजन में बुवाई का लक्ष्य 1,15,302.417 हेक्टेयर निर्धारित है. लेकिन खबर लिखे जाने तक जिले में केवल 2,138.318 हेक्टेयर, अर्थात मात्र 1.86 प्रतिशत क्षेत्र में ही बुआई हो पायी है. यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है और यह बताता है कि रबी फसल लगभग ठप हो चुकी है.
बोआई में देरी से उपज आधी होने का खतरा : कृषि वैज्ञानिक डॉ देवकरण के अनुसार गेहूं की बुवाई का सही समय 15 नवंबर से 15 दिसंबर तक माना जाता है. इसी अवधि में बुवाई होने पर पैदावार अधिक और समय पर होती है. लेकिन यदि बुवाई देर से होती है तो गेहूं की फसल को ठंड कम मिलती है, जिसके कारण दाना कमजोर होता है और उत्पादन में भारी गिरावट आती है. विशेषज्ञों का कहना है कि यदि बुवाई दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक टल जाती है तो गेहूं की उपज में 40 से 50 प्रतिशत तक कमी आ सकती है. इस वर्ष स्थिति ऐसी बन रही है कि अधिकतर किसान समय पर बुवाई नहीं कर पायेंगे. खासकर उन किसान परिवारों की चिंता बढ़ गई है जिनके पास सीमित रकबा है और बुवाई का पूरा समय नमी और जलजमाव में ही बीत गया.किसानों की बढ़ी चिंता, साल की पूरी खेती संकट में : जिले के किसान बताते हैं कि इस तरह की स्थिति पहले कभी नहीं देखी गयी. किसान रामजी राय कहा कि धान की कटाई ही नहीं हो पा रही है. कटाई में इतना खर्चा बढ़ गया है कि मुनाफा तो दूर, लागत निकालना भी मुश्किल हो रहा है. अब गेहूं की बुवाई भी नहीं हो पा रही. खेतों में पानी की वजह से ट्रैक्टर तक नहीं जा पा रहा है। फसल कटने के बाद जुताई के लिए जमीन सूखने में समय लगेगा, जिससे बुवाई और आगे सरक जायेगी.
किस प्रखंड में कितना हुआ धान का खेती और कितना हुआ कटाईप्रखंड खेती कटाई
ब्रह्मपुर 9415.69 8944
बक्सर 8166.6 4963
चक्की 565 510
चौसा 7061 1520
चौगाई 3093 1450
डुमरांव 12181.68 5660
इटाढ़ी 16790.06 1162
केसठ 1965 393
नावानगर 15385.5 2000
राजपुर 20401 2600
सिमरी 2411 2267
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