डुमरांव की सड़कों बिना बारिश के जलजमाव ने स्वच्छता के दावों की खोली पोल
डुमरांव शहर इन दिनों बिना बारिश के ही जलमग्न दिखाई दे रहा है. शहर की मुख्य सड़कों पर फैला जलजमाव नगर व्यवस्था की कहानी खुद बयां कर रहा है.
डुमरांव. डुमरांव शहर इन दिनों बिना बारिश के ही जलमग्न दिखाई दे रहा है. शहर की मुख्य सड़कों पर फैला जलजमाव नगर व्यवस्था की कहानी खुद बयां कर रहा है. जिस सड़क से हर दिन हजारों लोग गुजरते हैं, वही सड़क अब छोटे तालाब में तब्दील होती जा रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यह नजारा किसी बरसाती आपदा का नहीं, बल्कि शहर की जर्जर नालियों, कमजोर सफाई व्यवस्था और लापरवाही भरे रखरखाव का नतीजा है. हैरानी की बात यह है कि जिस नगर भवन से शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने की योजनाएं बनती हैं, उसी भवन के सामने सड़क पर कई दिनों से पानी जमा है. लोग रोज गुजरते हैं, वाहन फिसलते हैं, ई-रिक्शा चालक परेशान हैं, लेकिन हालात जस के तस बने हुए है. नगर प्रशासन की यह चुप्पी अब सवाल खड़े कर रही है कि आखिर स्वच्छता और सुंदरता के नारे किसके लिए है. इ-रिक्शा चालकों के लिए बनी खतरनाक राह : सड़क पर जमा पानी ई-रिक्शा चालकों के लिए सबसे बड़ी मुसीबत बन गया है. जहां गड्ढे हैं, वहां पानी के कारण सड़क की गहराई का अंदाजा नहीं लग पाता. कई बार रिक्शा फिसलकर पलट जाती हैं या यात्रियों को छींटे लगते है. रिक्शा चालकों का कहना है कि यह सड़क तो अब खतरों का रास्ता बन चुकी है. पानी में गड्ढे दिखते नहीं, कई बार रिक्शा उलटने की नौबत आ जाती है. अगर यही हाल रहा तो हादसा होना तय है. इ-रिक्शा चालकों की परेशानी सिर्फ जोखिम तक सीमित नहीं है, बल्कि जलजमाव के कारण उनकी कमाई भी प्रभावित हो रही है. लोग इस रास्ते से गुजरने से बचते हैं, जिससे सवारी कम हो गई है. नगर भवन के सामने ही जलजमाव : डुमरांव नगर भवन के ठीक सामने जमे पानी का दृश्य किसी प्रतीक से कम नहीं. एक ओर नगर परिषद स्वच्छ डुमरांव का नारा लगाती है, दूसरी ओर उसी भवन के सामने की सड़क हफ्तों से पानी में डूबी हुई है. लोगों का कहना है कि नगर कर्मियों की गाड़ियां रोज इसी रास्ते से गुजरती हैं, फिर भी किसी को इस समस्या की सुध नहीं. यह तस्वीर बताती है कि योजनाओं और जमीनी हकीकत के बीच कितना बड़ा अंतर है. डुमरांव की सच्चाई दिखावे से परे विकास की जरूरत : स्थानीय लोगों का कहना है कि डुमरांव ऐतिहासिक शहर है, लेकिन अब उसे दिखावे के विकास से ज्यादा जमीनी सुधार की जरूरत है. एक सड़क पर जमा पानी सिर्फ जलनिकासी की नहीं, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता की कमी का प्रतीक है. नगर के अधिकारी रोज इसी सड़क से गुजरते हैं, फिर भी समस्या बनी हुई है, यह स्थिति बताती है कि जनता की परेशानी देखने के लिए किसी विशेष रिपोर्ट की आवश्यकता नहीं बस एक नजर पर्याप्त है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
