सुकमा नक्सली हमला : जिन्होंने देश के लिए दी कुर्बानी, अब उन्हें दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं, देखें Video

मंगलेश तिवारीबक्सर : देश की रक्षा के लिए गोलियां खाने के बावजूद वीर के मन में सिर्फ एक ख्याल था कि भारत मां का कोई और लाल देश के दुश्मनों की गोलियों का शिकार न हो जाये. इसलिए घायल होने के बावजूद उन्होंने अपनी राइफल से अंधाधुंध फायर करते हुए नक्सलियों को मौत के घाट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 26, 2017 3:51 PM

मंगलेश तिवारी

बक्सर :
देश की रक्षा के लिए गोलियां खाने के बावजूद वीर के मन में सिर्फ एक ख्याल था कि भारत मां का कोई और लाल देश के दुश्मनों की गोलियों का शिकार न हो जाये. इसलिए घायल होने के बावजूद उन्होंने अपनी राइफल से अंधाधुंध फायर करते हुए नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया. ऐसा करकेअभयमिश्रा ने देश के साथ-साथ अपने गांव का नाम भी रोशन किया. लेकिन, तिरंगे में लिपटा शहीद का शव जब खुद के गांव पहुंचा, तो जिला प्रशासन ने यह कह कर दो गज जमीन देने से इनकार कर दिया कि सरकार का ऐसा कोई आदेश नहीं है. कांस्टेबल, अभय मिश्रा उन 26 सीआरपीएफ जवानों में थे, जिनकी जान सोमवार कोछत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले में चली गयी. भोजपुर जिले में एक गांव है, तुलसी. शहीद जवान यहीं के रहने वाले थे. मंगलवार को उनका शव गांव लाया गया. यहां शहीद के परिजनों और गांव वालों को इच्छा थी कि गांव में मौजूद सरकारी जमीन पर ही उनका अंतिम संस्कार किया जाये. इसके लिए जगदीशपुर एसडीओ से जमीन मांगा गया. लेकिन, एसडीओ ने नियमों का हवाला देकर, जमीन देने से इनकार कर दिया. बाद में गांव के ही एक शख्स ने जमीन दान की तब, शहीद का अंतिम संस्कार हो सका.



पूरा जिला शहीद को कररहा है सलाम

पूरा जिला शहीद अभय मिश्रा को सलाम कररहा है. इलाके के पूर्व विधायक भाई दिनेश यादव ने बताया कि प्रशासन के लोगों को शहीद का अंतिम संस्कार सार्वजनिक जमीन पर किये जाने और वहां शहीद की प्रतिमा बनवाने की मांग पर आपत्ति थी. इसके बाद भाई दिनेश ने ग्रामीणों से बातचीत की तो गांव के लोग शहीद के परिवार की मांग का सम्मान करने को राजी हो गये.



कौन समझेगा पिता का दर्द?

60 साल के बुजुर्ग पिता गजेंद्र मिश्रा, बेटे की शहादत परगर्व करें या मातम मनायें, उन्हें समझ नहीं आ रहा था. उनके बेटे ने देश के लिए हंसते-हंसते जान दे दी थी, लेकिन जिला प्रशासन ने उस शहीद के लिए ही दो गज जमीन देने से मना कर दिया. रोने के कारण सूज आईं आंखों से झरने की तरह बहते आंसुओं को पोछते हुए गजेंद्र कहते हैं, मेरे बेटे ने देश की जमीन की रक्षा के लिए जान दे दी. लेकिन यहां उसके अपने लोग उसकी लाश जलाने के लिए 2 गज की जमीन नहीं दे रहे. मुझे नहीं पता अब उसके बच्चों का ख्याल कौन रखेगा.

शहादत में नहीं शामिल हुए जनप्रतिनिधि

भोजपुर के जगदीशपुर थाने के तुलसी गांव निवासी अभय मिश्रा सुकमा नक्सली हमले में शहीद हो गये थे. उनका अंतिम संस्कार गांव में ही निजी जमीन पर बुधवार की सुबह कर दिया गया. लेकिन शहादत को सलाम करने के लिए जगदीशपुर के विधायक राम विशुन लोहिया के अलावा कोई भी जनप्रतिनिधि शवयात्रा में नहीं पहुंचा. जिले में सात विधायकों के अलावा एक भाजपा के सांसद हैं, लेकिन किसी ने वक्त नहीं निकाला कि शहीद की अंतिम यात्रा में शरीक हो सकें. हालांकि, पूर्व विधायक संजय टाइगर व भाई दिनेश जरूर दिखे.

कब और कैसे हुआ हमला?

बीते सोमवार को छत्तीसगढ़ के सुकमा के बुरकापाल में हुए बड़े नक्सली हमले सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन के घायल जवान ने रायपुर पहुंचकर बताया कि वे रोड ओपनिंग के लिए निकले थे. दोपहर को जब वे खाना खाने के लिए रुके तभी नक्सलियों ने एम्बुश लगाकर अचानक तोबड़तोड़ फायरिंग कर दी. करीब 300 की संख्या में नक्सलियों ने जवानों को घेर लिया था, जवानों ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए 10 से 12 नक्सलियों ने भी मार गिराया. इसमें 26 जवान शहीद हो गये थे.


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