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चार साल बाद आया फैसला

खुशी. 21 अगस्त, 2011 को हुई थी चूना व्यवसायी राजेंद्र की हत्या पेशी के दौरान कोर्ट में कड़ी थी सुरक्षा अन्य अभियुक्तों को पूर्व में हो चुकी है सजा बक्सर, कोर्ट : 21 अगस्त, 2011 को सुबह लगभग नौ बजे बक्सर के मशहूर चूना व्यवसायी राजेंद्र केशरी को उनकी दुकान में घुस कर ताबड़तोड़ गोलियों […]

खुशी. 21 अगस्त, 2011 को हुई थी चूना व्यवसायी राजेंद्र की हत्या

पेशी के दौरान कोर्ट में कड़ी थी सुरक्षा
अन्य अभियुक्तों को पूर्व में हो चुकी है सजा
बक्सर, कोर्ट : 21 अगस्त, 2011 को सुबह लगभग नौ बजे बक्सर के मशहूर चूना व्यवसायी राजेंद्र केशरी को उनकी दुकान में घुस कर ताबड़तोड़ गोलियों से भून हत्या कर देनेवाले अभियुक्त ओंकारनाथ सिंह उर्फ शेरू सिंह को बक्सर व्यवहार न्यायालय के जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रदीप कुमार मल्लिक ने फांसी की सजा सुनायी है. उक्त चिर-परिचित कांड पर फैसले को लेकर पूरे जिलावासियों की नजर लगी हुई थी.
सोमवार को न्यायालय में अभियुक्त को कड़ी सुरक्षा के बीच पेश किया गया, जहां सजा सुनाने के पहले कानूनी प्रक्रिया के तहत बचाव पक्ष को अपनी बातें रखने के लिए कहा गया. बचाव पक्ष के अधिवक्ता अरुण कुमार राय ने न्यायालय से यह प्रार्थना किया कि अभियुक्त का अपराध रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में नहीं आता है. साथ ही उसकी उम्र भी कम है. ऐसे में उसे कम-से-कम सजा दी जाये.न्यायालय ने पूरे दलील को इतमिनान के साथ सुनने के बाद हत्या एवं अवैध आर्म्स के मामले में दोषी अभियुक्त को हत्या के मामले में आजीवन कारावास एवं एक लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनायी. वहीं, आर्म्स एक्ट की धारा 27(3)के तहत फांसी की सजा सुनायी.
आतंक का पर्याय बन चुका था शेरू सिंह : बक्सर जिले एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में एक टेरर के रूप में काम करने लगा था शेरू. एक के बाद एक कई हत्या कांडों के दोषी शेरू, चंदन मिश्रा, छोटू मिश्रा के खिलाफ कई रंगदारी के मामले दर्ज किये गये थे. 20 अगस्त, 2011 को शेरू एवं उसके साथियों ने राजेंद्र केशरी को शाम में फोन कर रंगदारी की मांग की. अभियुक्तों ने उस समय एक के बाद एक कुल 22 लोगों से रंगदारी मांगी, जिसका फोन डिटेल पुलिस ने न्यायालय में समर्पित किया था. अभियुक्तों ने राजेंद्र केशरी के भतीजे को फोन पर कहा था कि रंगदारी पहुंचा दो नहीं, तो कल दुकान का शटर मत उठाना. दूसरे दिन सुबह दुकान खुलते ही अभियुक्तों ने राजेंद्र केशरी को गोली मारी और मोटरसाइकिल से फरार हो गये.गोली लगने के बाद मौके पर ही व्यवसायी की मौत हो गयी थी.
अभियोजन पक्ष ने किया टीम वर्क : लोक अभियोजक नंद गोपाल प्रसाद ने अपर लोक अभियोजक आनंद मोहन उपाध्याय एवं अशोक शर्मा के टीम का गठन किया, ताकि कोई तथ्य न्यायालय के सामने आने से न छूटे.मामले में कुल 13 गवाहों की गवाही दर्ज की गयी. साथ ही पुलिस ने दफा 164 के तहत पीडि़त परिवार के राहुल केशरी, गोपाल केशरी, गोविंद केशरी एवं राकेश केशरी का 164 के तहत न्यायालय में बयान दर्ज कराया. अभियुक्तों की पहचान टीआइ परेड में न्यायिक दंडाधिकारी प्रथम श्रेणी देवेंद्र कुमार की उपस्थिति में की गयी. वहीं, 164 के तहत बयान न्यायिक दंडाधिकारी राजेंद्र प्रसाद द्वारा दर्ज किया गया.
कोलकाता से पकड़े गये थे अभियुक्त : राजेंद्र केशरी हत्याकांड के बाद पुलिस लगातार सर्च ऑपरेशन कर अभियुक्तों की गिरफ्तारी की कार्रवाई करती रही. इस बीच पुलिस निरीक्षक उदय चंद्र झा एवं अवर निरीक्षक अवधेश कुमार ने गुप्त सूचना के आधार पर अभियुक्तों को कोलकाता में गिरफ्तार कर लिया. दिनांक 10 सितंबर, 2011 को अभियुक्तों को रिमांड पर लिया गया था.

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