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उमरपुर में होगा वोट का बहिष्कार

बक्सर : बक्सर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर बक्सर प्रखंड की उमरपुर पंचायत के हजारों लोग इस बार के विधानसभा चुनाव में 28 अक्तूबर को वोट नहीं डालेंगे. इस गांव के लोग एक अदद सड़क के लिए दो दशक से तरस रहे हैं. बरसात के दिनों में कच्ची सड़क पर कीचड़ हो जाता […]

बक्सर : बक्सर जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर बक्सर प्रखंड की उमरपुर पंचायत के हजारों लोग इस बार के विधानसभा चुनाव में 28 अक्तूबर को वोट नहीं डालेंगे.

इस गांव के लोग एक अदद सड़क के लिए दो दशक से तरस रहे हैं. बरसात के दिनों में कच्ची सड़क पर कीचड़ हो जाता है, जिससे लोगों का आना-जाना बंद हो जाता है. लोग राह बदल कर जाने को विवश होते हैं.

बाढ़ के समय इस क्षेत्र में पानी घुस जाता है और खेत व मकानों तक पानी पहुंच जाता है. जलजमाव के बीच इस क्षेत्र के लोग रहने को विवश हैं.

पिछले दस सालों से इस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों ने ग्रामीणों की उपेक्षा की है, जिससे ग्रामीणों में जबर्दस्त आक्रोश है. जिलाधिकारी रमण कुमार का स्वच्छता अभियान को लेकर पंचायत में कार्यक्रम था, मगर ग्रामीणों के विरोध की सूचना के बाद जिलाधिकारी ने अपना कार्यक्रम टाल दिया और बीच रास्ते से ही वापस लौट गये.

शौचालय निर्माण में हुई है व्यापक गड़बड़ी
पंचायत में स्वच्छता अभियान और शौचालय निर्माण में व्यापक गड़बड़ी से घर-घर में आक्रोश है. पंचायत में मध्य विद्यालय स्तर तक की पढ़ाई होती है, मगर हाइस्कूल न रहने से इस क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को या तो बक्सर जाना पड़ता है या फिर सिमरी प्रखंड या ब्रह्मपुर प्रखंड के स्कूलों में जाना पड़ता है.
मनरेगा के तहत सड़क के किनारे पौधारोपण करने के लिए लाखों रुपये की योजना दी गयी, मगर सड़क के किनारे पौधे नहीं दिखते.पंचायत का बनाया गया बूथ जर्जर है और तब गिरा अब गिरा की स्थिति में है.बूथ में न बिजली है और न पानी. एक तरफ की दीवार ढह चुकी है. पोखरा का निर्माण पूरी तरह नहीं हो पाया. सौर ऊर्जा कार्य के लिए बैटरी, बल्ब आया, मगर कौन ले गया पता नहीं. पंचायत भवन बड़का गांव मिश्रवलिया में बना पर वह टूट कर बिखर गया है. 35 सालों से इस क्षेत्र का स्टेट बोरिंग बंद है. लोगों के राशन कार्ड बनाने में व्यापक गड़बड़ी हुई है.
करीब आधा दर्जन गांव जुड़े हैं इस मार्ग से
दुधारचक से होते हुए सिमरी प्रखंड तक जानेवाली सड़क कच्ची है और करीब पांच किलोमीटर कच्ची सड़क के दोनों ओर गांव बसे हैं. नाट, उमरपुर, मुंगरवल, बड़का गांव, देसर बुजुर्ग, बड़का गांव सबलपट्टी, नगपुरा के अतिरिक्त रामपुर, केशवपुर दियारा क्षेत्र, मानिकपुर आदि गांव हैं, जहां हजारों लोग बसते हैं.
सांसद रहे केके तिवारी के कार्यकाल में इस क्षेत्र में सड़क बननी शुरू हुई थी, मगर सड़क निर्माण में गुणवत्ता नहीं थी और सड़क के किनारे नाला भी नहीं बन रहा था.सड़क की खराब गुणवत्ता से आक्रोशित ग्रामीणों ने जिलाधिकारी को शिकायत की, जिसके बाद तत्कालीन जिलाधिकारी एसके नेगी ने स्थलीय जांच कर सड़क निर्माण कार्य को रूकवा दिया, उसी समय से सड़क निर्माण कार्य रूक हुआ है.
गांव के प्रवेश द्वार पर ही वोट बहिष्कार लगाया है बैनर : गांव के लोगों ने पंचायत के प्रवेश द्वार पर ही सड़क नहीं, तो वोट नहीं का बड़ा बैनर लगा कर विरोध जताना शुरू कर दिया है. पंचायत में दो मिडिल स्कूल नाट और बड़का गांव में हैं. जबकि प्राथमिक स्कूल मुगरौल में स्कूल भवन नहीं है,
जिसके कारण प्राथमिक स्कूल फिलहाल रामपुर संस्कृत स्कूल में चलाया जा रहा है. इस क्षेत्र के पढ़नेवाले छात्र-छात्राएं तिवारी हाइस्कूल दल सागर, बक्सर या बलिहार हाइस्कूल, सिमरी या सिमरी हाइस्कूल में पढ़ने जाते हैं. हाइस्कूल नहीं रहने से इस क्षेत्र की लड़कियां उच्च शिक्षा पाने से वंचित रह जाती हैं.

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