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बिंदेश्वरी दुबे की कब लगेगी प्रतिमा

बिहिया : सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी और श्रमिक नेता स्व पं बिंदेश्वरी दुबे की 94वीं जयंती प्रखंड मुख्यालय बिहिया में 14 जनवरी को राजकीय समारोह के रूप में मनायी जायेगी. उल्लेखनीय है कि हर वर्ष आयोजित होने वाले राजकीय समारोह में पं बिन्देश्वरी दुबे के सम्मान में उनकी स्मृति को […]

बिहिया : सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री, पूर्व केंद्रीय मंत्री, स्वतंत्रता सेनानी और श्रमिक नेता स्व पं बिंदेश्वरी दुबे की 94वीं जयंती प्रखंड मुख्यालय बिहिया में 14 जनवरी को राजकीय समारोह के रूप में मनायी जायेगी. उल्लेखनीय है कि हर वर्ष आयोजित होने वाले राजकीय समारोह में पं बिन्देश्वरी दुबे के सम्मान में उनकी स्मृति को यादगार बनाने के लिए मंत्री, विधायक व अधिकारी लंबे-लंबे भाषण देते हैं, लेकिन उन बातों को सतही जमीन पर उतारने में हमेशा विफल रहे हैं.

यही कारण है कि पं दुबे की स्मृति में उनके गृह क्षेत्र में उनकी प्रतिमा लगाने की घोषणा हवा-हवाई साबित हो रही है. वर्ष 1985 से 1988 तक बिहार के मुख्यमंत्री रहे स्व पं दुबे का पैतृक गांव बिहिया प्रखंड का महुआंव गांव है, जहां स्थित उनके आवास की सुधि लेने वाला कोई नहीं है. यही कारण है कि पं दुबे जी की स्मृति से जुड़ा उनका पैतृक आवास जर्जर होकर भूतबंगला में तब्दील हो गया है. मालूम हो कि पं स्व दुबे जी की 71वीं जयंती पर वर्ष 1994 में पटना के नृत्य कला मंदिर में आयोजित जयंती समारोह में राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने पं दुबे जी की आदमकद प्रतिमा लगाने की घोषणा की थी जो कि आजतक पूरी नहीं हुई.

यही नहीं वर्ष 2001 से वर्ष 2016 तक बिहिया में राजकीय समारोह के रूप में मनाये जा रही जयंती पर कई मंत्री व अधिकारी आये और दुबे जी की प्रतिमा स्थापित करने का आश्वासन दिया, लेकिन यह आश्वासन कभी भी मूर्त रूप नहीं ले पाया.

वर्ष 2013 में भजन संध्या आयोजित करने की भी हुई थी घोषणा
वर्ष 2013 में स्व दुबे जी की जयंती पर बिहिया में आयोजित राजकीय समारोह में तत्कालीन कला व संस्कृति मंत्री सुखदा पांडेय ने प्रत्येक वर्ष स्व. दुबे जी की जयंती पर भजन संध्या कार्यक्रम आयोजित किये जाने की बात कही थी, लेकिन मंत्री जी का यह कथन भी हवा-हवाई ही साबित हुई. गत वर्ष 2016 में राजकीय समारोह में मौजूद राज्य के वर्तमान श्रम संसाधन मंत्री सह भोजपुर जिला के प्रभारी मंत्री विजय प्रकाश से भी लोगों को स्व दुबे जी की प्रतिमा लगवाये जाने की उम्मीद थी, लेकिन कोई भी घोषणा नहीं होने पर लोगों का निराशा हीं हाथ लगी.
हर बार राजकीय समारोह पर लिया जाता है संकल्प : फिलहाल, राजकीय समारोह में एक बार फिर पं दूबे जी के विचार और आदर्शों पर चलने का आह्वान किया जायेगा, उनके अधूरे सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया जायेगा और उनके स्मृतियों को संजोने की आवश्यकता पर बल दिया जायेगा. इसके बाद अगले एक साल तक उन्हें भुला दिया जायेगा. यही कारण है कि राजकीय समारोह के रूप में मनाये जाने वाले दूबे जी जैसे महान शख्स की जयंती महज औपचारिकता बनकर रह गयी है.

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