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गंगा का पानी 12 सेमी घटा, सोन में उफान थमा
आपदा. एसडीओ, डीसीएलआर व सीओ को पॉलीथिन शीट खरीदने का दिया गया अधिकार आरा : गंगा व सोन नद में उफान थमना शुरू हो गया है. फिर भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के पीड़ितों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. गंगा और सोन के जल स्तर घटने के बाद भी बाढ़ का पानी […]
आपदा. एसडीओ, डीसीएलआर व सीओ को पॉलीथिन शीट खरीदने का दिया गया अधिकार
आरा : गंगा व सोन नद में उफान थमना शुरू हो गया है. फिर भी बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के पीड़ितों की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. गंगा और सोन के जल स्तर घटने के बाद भी बाढ़ का पानी नये इलाके व गांवों में प्रवेश करने का दौर जारी है. एक और गांव बाढ़ की चपेट में आ गया है.
जिले के बाढ़ग्रस्त कोइलवर, बड़हरा, शाहपुर, उदवंतनगर, सदर आरा, बिहिया प्रखंड के 341 गांव पूर्ण रूप से बाढ़ग्रस्त हैं. 26 अगस्त को गंगा नदी का जल स्तर 12 सेमी तथा सोन नद का जल स्तर 36 सेमी घटा है. बावजूद इसके बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में बाढ़ की भयावहता कम नहीं हो रही है. अब भी जिले के 76 पंचायतों के 365 गांवों में बाढ़ का पानी बरकरार है.
प्रशासन के अनुसार अब तक 19 की मौत : प्रशासन को जो सूचनाएं प्राप्त हुई हैं उसके अनुसार बाढ़ के पानी में डूबने से अब 15 व्यक्ति व 4 पशुओं की मौत हुई है. इसकी जिला प्रशासन ने पुष्टि की है.
फंसी आबादी को निकालने के लिए लगायी गयीं 315 नावें : बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में फंसी आबादी को निकालने को लेकर जिला प्रशासन द्वारा फिलहाल 315 नावों का परिचालन कराया जा रहा है, जिनमें 50 सरकारी व 265 निजी नाव शामिल हैं.
बाढ़ से 54882 परिवार हुए विस्थापित : बाढ़ की विभीषिका के कारण जिले के बाढ़ग्रस्त कोइलवर, बड़हरा, शाहपुर, आरा, बिहिया तथा उदवंतनगर प्रखंड के 54882 परिवार विस्थापित हुए हैं, जो प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत शिविरों में शरण लिये हुए हैं.
बाढ़ से 627339 आबादी और 22910 पशु हुए कुप्रभावित : बाढ़ के कारण जिले के 627339 आबादी की मुसीबत कम होने का नाम नहीं ले रही है. वहीं, 22910 पशुओं की भी मुसीबत बढ़ गयी है.
बाढ़ से इन आबादियों के समक्ष काफी परेशानी खड़ी हो गयी है.
एसडीओ और सीओ को मिला अधिकार : बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य में तेजी लाने तथा बाढ़पीड़ितों के बीच अस्थायी आवासन सुनिश्चित कराने को ध्यान में रखते हुए स्थानीय स्तर पर पॉलीथिन शीट खरीदने का अधिकार एसडीओ, सीओ व डीसीएलआर को मिल गया है. सरकार के आदेश के आलोक में शुक्रवार को संपन्न हुई जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में इस आशय का निर्णय लिया गया है. इस निर्णय के आलोक में बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के सीओ द्वारा स्थानीय स्तर पर पॉलीथिन शीट की खरीद शुरू कर दी गयी है. इससे बाढ़पीड़ितों द्वारा पॉलीथिन शीट को लेकर होने वाले हंगामा का दौर पर विराम लग जायेगी.
प्रशासन की लापरवाही ने बाढ़ में एक की ली जान : आरा प्रखंड के बसंतपुर गांव की शनिचरा देवी की मौत इलाज के अभाव में हो गयी. इसको लेकर माले ने मथवलिया में घंटों सड़क मार्ग को जाम रखा. इस दौरान परिजनों ने आरोप लगाया कि प्रशासन से बार-बार इलाज के लिए नाव की मांग की जा रही थी, फिर भी समय रहते प्रशासन द्वारा नाव उपलब्ध नहीं करायी गयी, जिसके कारण इलाज के अभाव में मौत हुई है. मौके पर पहुंचे बीडीओ के 20 हजार नगद मुआवजा राशि दिया, तब जाकर मामला शांत हुआ.
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में राहत कार्य को ले जनप्रतिनिधियों में छिड़ा जंग :
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्य को लेकर त्रिस्तरीय पंचायत प्रतिनिधियों के साथ-साथ विधायक के बीच शीत युद्ध का दौर शुरू हो गया है. जनप्रतिनिधि अपने-अपने चहेते को राहत कार्य के तहत मिलनेवाले लाभ दिलाने को लेकर आतुर हैं, जबकि प्रशासन सभी बाढ़पीड़ितों को एकरूपता के साथ सरकार से मिलनेवाली सुविधाएं मुहैया कराने के प्रति कटिबद्ध है.
ऐसे में मुखिया, पंचायत समिति, वार्ड सदस्य के साथ-साथ किसी-किसी क्षेत्र के विधायक भी इस लड़ाई के हिस्सा बनते जा रहे हैं.
बाढ़पीड़ितों को मिलेंगे साबुन, तेल और कंघी : बाढ़पीड़ित परिवारों को सरकार के निर्देश के अनुरूप स्नान करने का साबुन, कपड़ा का साबुन, ऐनक, कंघी, तेल और सर्फ मिलेगा. इसके साथ-साथ प्रति परिवार पांच केजी चावल और 50 केजी गेहूं और 50 केजी चावल के बदले नकद राशि दी जायेगी.
राहत कार्य को लेकर मचा है हाहाकार : बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों के कई स्थानों पर राहत कार्य को लेकर बाढ़पीड़ितों द्वारा हो-हंगामा और प्रदर्शन करने का दौर शुरू हो गया है. बाढ़ग्रस्त सभी प्रखंडों में राहत कार्य को लेकर प्रत्येक दिन प्रदर्शन हो रहा है. प्रशासन द्वारा चलाये जा रहे राहत कार्य बाढ़पीड़ितों के लिए नाकाफी साबित हो रहा है. यही कारण है कि राहत कार्य को लेकर प्रदर्शन और हो-हंगामा का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है.
पानी घटते ही स्वास्थ्य व पशुपालन विभाग पर बढ़ेगा बोझ : बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में पानी घटते ही महामारी फैलने की अंशाका बढ़ जायेगी. ऐसे में इन क्षेत्रों में
ब्लीचिंग पाउडर, गमेक्सिन पाउडर व चूना छिड़काव के साथ-साथ और पर्याप्त लोगों के डायरिया से इलाज को लेकर दवाओं का पुख्ता इंतजाम प्रशासन को रखनी पड़ेगी, जिसके कारण स्वास्थ्य विभाग और पशुपालन विभाग का कार्य क्षेत्र का दायरा बढ़ जायेगा.
पशुपालन व जिला सांख्यिकी पदाधिकारी पर हो सकती है कार्रवाई : बाढ़ कार्य के प्रति उदासीनता बरतने को लेकर जिला पशुपालन व जिला सांख्यिकी पदाधिकारी के ऊपर प्रशासनिक कार्रवाई हो सकती है. कार्य के प्रति लापरवाही बरतने को लेकर डीएम ने जिला पशुपालन पदाधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा की है. वहीं, जिला सांख्यिकी पदाधिकारी से स्पष्टीकरण की मांग की गयी है.
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