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किराये के जर्जर भवन में तीन दशकों से हो रहा कामकाज, लोगों को हो रही परेशानी

अनुमंडल कार्यालय को भवन नसीब नहीं 1984 में हुई थी स्थापना बिक्रमगंज (कार्यालय) : अनुमंडल कार्यालय की स्थापना के तीन दशक से भी अधिक समय बीत गये, लेकिन अभी तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका है. आज भी व्यापार मंडल के जर्जर भवन में किराये पर अनुमंडल कार्यालय चल रहा है. इसी भवन में […]

अनुमंडल कार्यालय को भवन नसीब नहीं

1984 में हुई थी स्थापना
बिक्रमगंज (कार्यालय) : अनुमंडल कार्यालय की स्थापना के तीन दशक से भी अधिक समय बीत गये, लेकिन अभी तक अपना भवन नसीब नहीं हो सका है. आज भी व्यापार मंडल के जर्जर भवन में किराये पर अनुमंडल कार्यालय चल रहा है. इसी भवन में भूमि उपसमाहर्ता व चुनाव कार्यालय भी है. गौरतलब है कि अनुमंडल की स्थापना 1984 में हुई थी.
तब से ही अनुमंडल कार्यालय व्यापार मंडल के खाली पड़े जर्जर भवन में चल रहा है. कभी भी व्यापक रूप से इसकी मरम्मत तक नहीं की गयी. 30 वर्ष से भी अधिक समय बीत जाने के बाद उस भवन की स्थिति क्या होगी, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है. सबसे आश्चर्य तो इस बात को लेकर है कि अभी तक अनुमंडल कार्यालय को अपना भवन क्यों नहीं मिला.
जो अधिकारी अपने लिए भवन की व्यवस्था नहीं कर सकता हैं, उस अधिकारी से अनुमंडल क्षेत्र के विकास करने की बात सोचना भी बेमानी होगी. अनुमंडल की स्थापना के बाद जितने भी अधिकारी यहां आये, क्या कोई संवेदनशील नहीं थे?
जानकारी के अनुसार, व्यवहार न्यायालय परिसर में अनुमंडल कार्यालय के भवन का निर्माण व्यवहार न्यायालय भवन के साथ 10 वर्ष पहले ही किया गया है, लेकिन अभी तक उस भवन में अनुमंडल कार्यालय का स्थानांतरण नहीं किया गया. लोगों का कहना है कि व्यवहार न्यायालय शहर से बाहर तीन किलोमीटर दूर है और अभी तक जो भी अधिकारी यहां आये,
वहां जाने से जर्जर भवन में ही कार्यालय चलाना बेहतर समझा. इसके कारण कार्यालय के भवन का स्थानांतरण नहीं हो सका है. इस संबंध में एसडीओ राजेश कुमार ने बताया कि भवन अभी पूरी तरह से तैयार नहीं है. साथ ही वहां सुरक्षा की कोई व्यवस्था नहीं है. हालांकि, उनकी ये बातें तर्क संगत नहीं लगती है,
क्योंकि व्यवहार न्यायालय परिसर में एसडीजेएम, मुनसफ व अन्य दंडाधिकारी और कई न्यायालय कर्मचारी परिवार के साथ रहते हैं. अगर, सुरक्षा की समस्या होती, तो ये लोग वहां कैसे रहते हैं?

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