bhagalpur news. डीपफेक तकनीक बना साइबर अपराध का खतरनाक हथियार, रहें सतर्क
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक के तेजी से विस्तार के बीच डीपफेक अब साइबर अपराधियों के लिए नया औजार बन गया है
ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक के तेजी से विस्तार के बीच डीपफेक अब साइबर अपराधियों के लिए नया औजार बन गया है. इस तकनीक के जरिए किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या भाव-भंगिमा की हूबहू नकल कर नकली वीडियो या ऑडियो तैयार किए जा रहे हैं, जो भ्रम फैलाने, बदनाम करने और धोखाधड़ी के इरादे से वायरल किए जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, डीपफेक तकनीक का सबसे अधिक दुरुपयोग राजनेताओं, पत्रकारों, सेलिब्रिटी और प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बनाने में हो रहा है. कई बार आम नागरिक भी इसका शिकार बन रहे हैं, जिससे उनकी सामाजिक और मानसिक प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचता है.
3. रिवर्स इमेज/वीडियो सर्च करें. इस तरह के टूल से फोटो-वीडियो की सच्चाई जांचें.
4. डीपफेक स्कैनर टूल्स अपनाएं, फोटो और वीडियो पर डिजिटल वॉटरमार्क लगाएं.5. संदिग्ध कंटेंट को साझा न करें, पहले जांचें, फिर किसी वीडियो या बयान को आगे बढ़ाएं.
6. मीडिया साक्षरता बढ़ाएं, लोगों को डीपफेक पहचानने की जानकारी दें.7. बच्चों-बुजुर्गों को सतर्क करें, वह अधिक शिकार बनते हैं.
8. डीपफेक कंटेंट का संदेह होने पर तुरंत पुलिस को सूचना देंडिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
