bhagalpur news. डीपफेक तकनीक बना साइबर अपराध का खतरनाक हथियार, रहें सतर्क

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक के तेजी से विस्तार के बीच डीपफेक अब साइबर अपराधियों के लिए नया औजार बन गया है

By ATUL KUMAR | May 4, 2025 12:48 AM

ऋषव मिश्रा कृष्णा, भागलपुर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) तकनीक के तेजी से विस्तार के बीच डीपफेक अब साइबर अपराधियों के लिए नया औजार बन गया है. इस तकनीक के जरिए किसी व्यक्ति के चेहरे, आवाज या भाव-भंगिमा की हूबहू नकल कर नकली वीडियो या ऑडियो तैयार किए जा रहे हैं, जो भ्रम फैलाने, बदनाम करने और धोखाधड़ी के इरादे से वायरल किए जाते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, डीपफेक तकनीक का सबसे अधिक दुरुपयोग राजनेताओं, पत्रकारों, सेलिब्रिटी और प्रशासनिक अधिकारियों को निशाना बनाने में हो रहा है. कई बार आम नागरिक भी इसका शिकार बन रहे हैं, जिससे उनकी सामाजिक और मानसिक प्रतिष्ठा को गहरा नुकसान पहुंचता है.

जिले में भी पहुंचने लगे डीपफेक के मामले

भागलपुर जिले में डीपफेक वीडियोज के शिकार महिलाओं और लड़कियों को बनाया जा रहा है. खास कर मनचले व प्रेमी किस्म के लोग लड़कियों को टारगेट पर ले कर उनकी तस्वीरों या वीडियो से छेड़छाड़ कर अश्लील सामग्री बना कर पहले ब्लैकमेल करने का प्रयास करते हैं या फिर बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट कर देते हैं. पिछले दिनों जिले के कई थानों से इस तरह के मामले सामने आये. पीड़िता का कहना था कि पोस्ट की गयी तस्वीर या वीडियो उसकी नहीं है.

भागलपुर पुलिस ने प्रारंभ किया सतर्कता अभियान

डीपफेक के मद्देनजर भागलपुर पुलिस ने आम जनता से सतर्क रहने की अपील की है. जिला पुलिस द्वारा विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर जारी जागरूकता संदेश में पुलिस ने कहा कि अपनी निजी फोटो, वीडियो और जानकारी को सोशल मीडिया पर साझा करते समय सावधानी बरतें. यदि किसी सामग्री में नकली या डीपफेक होने का संदेह हो तो तुरंत साइबर क्राइम पोर्टल www.cybercrime.gov.in पर या हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं.

डीपफेक से बचाव के उपाय

1. निजी फोटो व वीडियो साझा करने से बचें.

2. गोपनीयता सेटिंग मजबूत करें, प्रोफाइल को ””””””””मित्रों तक ही सीमित”””””””” या ””””””””निजी”””””””” रखें.

3. रिवर्स इमेज/वीडियो सर्च करें. इस तरह के टूल से फोटो-वीडियो की सच्चाई जांचें.

4. डीपफेक स्कैनर टूल्स अपनाएं, फोटो और वीडियो पर डिजिटल वॉटरमार्क लगाएं.

5. संदिग्ध कंटेंट को साझा न करें, पहले जांचें, फिर किसी वीडियो या बयान को आगे बढ़ाएं.

6. मीडिया साक्षरता बढ़ाएं, लोगों को डीपफेक पहचानने की जानकारी दें.

7. बच्चों-बुजुर्गों को सतर्क करें, वह अधिक शिकार बनते हैं.

8. डीपफेक कंटेंट का संदेह होने पर तुरंत पुलिस को सूचना दें

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