अकबरनगर निवासी दारोगा ने थाने में गोली मार की खुदकुशी

पहले किया स्नान और फिर की पूजा, इसके बाद मार ली गोली... आरा के धनगाई थाना परिसर के कमरे में दिया घटना को अंजाम आरा/भागलपुर : जगदीशपुर अनुमंडल क्षेत्र के धनगाई थाना परिसर में गुरुवार को एक दारोगा ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली मार कर खुदकुशी कर ली. मृत दारोगा बासुकी पासवान मूल रूप […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 5, 2017 6:34 AM

पहले किया स्नान और फिर की पूजा, इसके बाद मार ली गोली

आरा के धनगाई थाना परिसर के कमरे में दिया घटना को अंजाम
आरा/भागलपुर : जगदीशपुर अनुमंडल क्षेत्र के धनगाई थाना परिसर में गुरुवार को एक दारोगा ने अपनी सर्विस रिवाल्वर से गोली मार कर खुदकुशी कर ली. मृत दारोगा बासुकी पासवान मूल रूप से भागलपुर के अकबरनगर थाना क्षेत्र के बसंतपुर गांव निवासी बोकाल पासवान के पुत्र थे. बताया जा रहा है कि बासुकी पासवान ने दो शादी की थी. घटना की जानकारी मिलने के बाद दारोगा के परिजन भी आरा के लिए निकल
पटना में पढ़ाई कर रही बेटी भी आरा पहुंची है. घटना के बाद धनगाई थाना परिसर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया था. दारोगा की खुदकुशी के कारणों के बारे में पता नहीं चल सका है. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस कप्तान क्षत्रनील सिंह व जगदीशपुर एएसपी दया शंकर धनगाई थाना पहुंच गये थे.
गोली की आवाज पर मची अफरा-तफरी
गुरुवार की सुबह बासुकी पासवान ने स्नान करने के बाद पूजा पाठ किया और इसके बाद थाना परिसर के एक कमरे में जाकर अंदर से बंद कर लिया. इसके बाद उसने खुद को गोली मार ली. गोली की आवाज सुन कर थाना परिसर में मौजूद कर्मी कमरे की तरफ भागे. खिड़की से लोगों ने देखा तो बासुकी पासवान खून से लथपथ पड़े हुए थे. बाद में पुलिस के वरीय पदाधिकारियों के पहुंचने पर दरवाजा तोड़ कर दारोगा का शव बाहर निकाला गया.
15 दिन पहले किये गये थे लाइन हाजिर
घटना को कई बिंदुओं से जोड़ कर देखा जा रहा है. दारोगा बासुकी पासवान को बीते माह 25 अप्रैल को एसपी क्षत्रनील सिंह ने कार्य में शिथिलता को लेकर लाइन हाजिर किया था. 27 अप्रैल को पुलिस लाइन में योगदान देने के बाद 28 अप्रैल को केस का चार्ज देने धनगाई थाना गये हुए थे. वह काफी दिनों से तनाव में थे.
अगस्त 2007 से भोजपुर में थे पदस्थापित
बासुकी पासवान 27 अगस्त 2007 से भोजपुर जिले में पदस्थापित थे. वैशाली जिले से उनका तबादला हुआ था. भोजपुर में आने के बाद उन्होंने नवादा थाने में योगदान दिया था. इसके बाद बिहिया, चरपोखरी सहित कई थानों में रहे थे.