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21 वर्षों से जारी खूनी हिंसा में गिर चुकी हैं 60 लाशें

नवगछिया : गलियों, चौक, चौराहों पर बारूद की गंध, फिजाओं में मौत का भय, दिन के उजालों में हर किसी को शक की नजरों से देखती लोगों की आंखें और रात में बेबाओं, बेसहारा बच्चों के मन की टीस और रुदन क्रंदन! यह बिहपुर के हरियौ गांव की नियति बन चुकी है. यहां पिछले 21 […]

नवगछिया : गलियों, चौक, चौराहों पर बारूद की गंध, फिजाओं में मौत का भय, दिन के उजालों में हर किसी को शक की नजरों से देखती लोगों की आंखें और रात में बेबाओं, बेसहारा बच्चों के मन की टीस और रुदन क्रंदन! यह बिहपुर के हरियौ गांव की नियति बन चुकी है. यहां पिछले 21 सालों में पांच दर्जन से अधिक लाशें गिर चुकी हैं. हर एक हत्या के बाद लोगों के दिल की धड़कनें तेज हो जाती है और मन में खौफ के भाव भर जाते हैं. खौफजदा लोगों के दिल में सवाल उठता है कि अब किसकी बारी?

कभी गांव में थी सुख शांति भी
कोसी किनारे बसे इस गांव की स्थिति ऐसी नहीं थी. एक समय यह गांव पूरी तरह से संपन्न था. सुख शांति थी. लेकिन न जाने किसकी नजर लग गयी और यह गांव भय के साये में और खून के छीटों के बीच जीने को मजबूर हो गया.
दो दशक पहले शुरू हुआ खुनी हिंसा का दौर : 21 वर्ष पहले शुरू हुए खूनी हिंसा ने अब तक 60 लोगों की हत्या कर दी गयी है. इस गांव से प्रभावित अन्य गांवों में शुरू हुए हत्या के दौर पर गौर करेंगे तो यह संख्या सौ के करीब पहुंच जायेगी.
2014 में निरंजन सिंह की हत्या के बाद भी गिर चुकी हैं पांच लाशें : वर्ष 2014 में जिला पार्षद बाहुबली निरंजन सिंह की हत्या के बाद गांव में पुलिस कैंप भी स्थापित की गयी, लेकिन तब भी हत्याओं का दौर नहीं रुका. वर्ष 2014 से अब तक ग्रामीण राजनीति और आसपी रंजिश में इस गांव के पांच लोगों की हत्या हो चुकी है. हत्या का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है.
2014 में निरंजन सिंह की हत्या के बाद गांव में स्थापित हुआ पुलिस कैंप उसके बाद भी पांच लोगों की हो चुकी है हत्या
हर हत्या के बाद शुरू हो जाती है चर्चा कि अब किसकी बारी
हरियौ

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