महाशय ड्योढ़ी
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चंपापुल का जल्द कराया जायेगा निर्माण
महाशय ड्योढ़ी समय : 03.20 बजे आज ही सब सारी सुविधा उपलब्ध करवाइये, कल कोई शिकायत नहीं मिले भागलपुर : पशु किस तरह रख रहे हैं. मवेशियों के लिए इतना सा शेड से कुछ नहीं होगा, बड़ा शेड बनवाइये. एक तरफ मेवशी का शेड व दूसरी तरफ लोगों के लिए शेड बनवाइये. उक्त बातें सूबे […]
समय : 03.20 बजे
आज ही सब सारी सुविधा उपलब्ध करवाइये, कल कोई शिकायत नहीं मिले
भागलपुर : पशु किस तरह रख रहे हैं. मवेशियों के लिए इतना सा शेड से कुछ नहीं होगा, बड़ा शेड बनवाइये. एक तरफ मेवशी का शेड व दूसरी तरफ लोगों के लिए शेड बनवाइये. उक्त बातें सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महाशय ड्योढ़ी बाढ़ राहत शिविर में पहुंचते ही आला अधिकारियों से कही. यहां 14 अगस्त से ही बैरिया, अजमेरीपुर, रसीदपुर, श्रीरामपुर, लालूचक, बुदुचक आदि गांवों के हजारों बाढ़ पीड़ितों ने शरण ले रखी है.
मुख्यमंत्री के साथ जिला के प्रभारी मंत्री ललन सिंह, सभी प्रशासनिक पदाधिकारी थे. सीएम ने डीएम से कहा कि बाढ़ पीड़ितों को सारी सुविधा उपलब्ध करवाइये. किसी तरह की कमी नहीं होनी चाहिए. चंपापुल का जल्द निर्माण किया जायेगा, यह बहुत जरूरी है. दुर्गा मंदिर की ओर ठहरे पीड़ितों की स्थिति देखने पहुंचे तो बाढ़ पीड़ितों ने कहा कि यहां मात्र 15 अटिया पुआल दिया गया है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से सबको कुट्टी, भूसा, चोकर दीजिए.अधिकारियों ने कहा कि बाढ़ से चारा कम मिल रहा है सर. मुख्यमंत्री ने कहा जहां पानी नहीं है, वहां से चारा खरीद कर लाइये. जदयू अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के हसनैन अंसारी आदि ने चंपानगर के बुनकर इलाके में 150 घरों में बाढ़ का पानी घुसने से हुई समस्या बतायी. सीएम ने डीसीएलआर को कहा सबकी सूची बना कर राहत दीजिए. मध्य विद्यालय महाशय ड्योढ़ी के मेडिकल कैंप का निरीक्षण किया और चिकित्सका पदाधिकारियों को सारी सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.
मुख्यमंत्री के आगमन का असर
महाशय ड्योढ़ी में सीएम के आगमन को लेकर नगर निगम व स्वास्थ्य विभाग की ओर से सुबह से ही ब्लीचिंग पाउडर छिड़का जा रहा था. कल तक मध्य विद्यालय महाशय ड्योढ़ी में जहां कुछ एनएम व एक दो चिकित्सक टेबल लगा कर लोगों का इलाज कर रहे थे. आज स्ट्रेचर, रोगी की जांच के लिए बेड, स्लाइन स्टैंड व बड़ी मात्रा में दवा थी. आम दिनों से ज्यादा रोगियों का रजिस्टर पर नाम चढ़ा था.
भोजन पर कड़ी थी निगरानी
दुर्गा मंदिर में बाढ़ पीड़ितों के लिए कड़ी निगरानी में दाल, भात और आलू सोयाबीन की सब्जी बनायी जा रही थी. एक बजे दिन में खाना बना कर खिलाना शुरू कर दिया गया था.
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