तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय व बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के शाखा कार्यालय खोलने की मांग विधान परिषद के सत्र में उठी. विधान परिषद सदस्य डॉ संजीव कुमार सिंह ने शाखा कार्यालय स्थापित करने की मांग उठायी और इसे छात्र हित में बताया.
भागलपुर: विधान परिषद सदस्य डॉ संजीव कुमार सिंह ने शुक्रवार को सदन में टीएमबीयू और बीएनएमयू का शाखा कार्यालय स्थापित करने की मांग उठायी. इस पर सरकार की ओर से शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने जवाब दिया कि विश्वविद्यालय एक स्वायत्तशासी निकाय है. इसकी विस्तारित शाखा खोलने का विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में है. विश्वविद्यालय के निकाय से प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद सरकार द्वारा इसका निर्णय लिया जा सकता है.
विश्वविद्यालय की विस्तारित शाखा खोलने का निर्णय टीएमबीयू ने मुंगेर के आरडी एंड डीजे कॉलेज में आयोजित बैठक में लिया था. निर्णय लिया गया था कि आरडी एंड डीजे कॉलेज में ही विस्तारित शाखा खोली जायेगी. कॉलेज के प्राचार्य ने सिंडिकेट को कार्यालय के लिए कमरे उपलब्ध कराने की बात कही थी. प्रस्ताव पारित होने के बाद विवि ने राज्य सरकार को भेजने की बात कही थी. दूसरी ओर बीएन मंडल विश्वविद्यालय ने अब तक यह प्रस्ताव पारित नहीं किया है.
इसलिए जरूरी है विस्तारित शाखा: टीएमबीयू के कॉलेज सात जिले में स्थित हैं. इसका विस्तार शेखपुरा और खगड़िया जैसे दूर स्थित जिले तक है. इसी तरह बीएनएमयू के कॉलेज भी सात जिलों में अवस्थित है. पश्चिम में सहरसा, तो पूर्व में इसका विस्तार किशनगंज जिले तक है. इन दूर-दराज के जिलों के छात्र-छात्राओं को जब विश्वविद्यालय संबंधी काम की जरूरत पड़ती है, तो उन्हें लंबा सफर करना पड़ता है. एक दिन में काम नहीं हुआ, तो छात्रों को लौट कर घर आने के बाद दूसरे दिन विवि जाना पड़ता है या फिर दो दिन भागलपुर या मधेपुरा में गुजारना पड़ता है. इस वजह से छात्रों आर्थिक, मानसिक और शारीरिक तीनों रूप से परेशान होना पड़ता है. विस्तारित शाखा की जरूरत इसलिए भी है कि विश्वविद्यालय पर छात्र-छात्राओं की संख्या लगातार बढ़ने से काफी दबाव बढ़ गया है. इस वजह से कभी रिजल्ट, तो कभी परीक्षा संबंधी परेशानी बनी रहती है.
हर जिले में बने बहुद्देशीय प्रशाल. विधान परिषद के सत्र में शुक्रवार को हर जिले में बहुद्देशीय प्रशाल का निर्माण करने की मांग एमएलसी डॉ संजीव कुमार सिंह ने की. डॉ सिंह ने बताया कि बीएसइबी के पास कॉलेज व स्कूलों द्वारा जमा करायी जानेवाली काफी राशि उपलब्ध है. इससे प्रशाल का निर्माण कराया जा सकता है. उन्होंने बताया कि मांग की गयी है कि भवन ऐसा हो कि कम से कम 10 हजार छात्र उसमें बैठकर परीक्षा दे सके. इस बोर्ड के सचिव ने कहा है कि बोर्ड की आगामी बैठक में इस पर निर्णय लिया जायेगा.