जगह तय नहीं, कहां बनेगा विवि
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जिला प्रशासन ने शुरू की जगह चयन की कवायद
जगह तय नहीं, कहां बनेगा विवि 15 दिनों के अंदर चयनित जगहों का प्रस्ताव भेजने का निर्देश चयनित जगह पर राज्य मुख्यालय लगायेगा अंतिम मुहर भागलपुर : पूर्वी बिहार के लोगों को मिलने जा रहे केंद्रीय विश्वविद्यालय के तोहफे को लेकर प्रशासनिक स्तर पर काम शुरू हो गया है. शिक्षा विभाग के अवर सचिव के […]
15 दिनों के अंदर चयनित जगहों का प्रस्ताव भेजने का निर्देश
चयनित जगह पर राज्य मुख्यालय लगायेगा अंतिम मुहर
भागलपुर : पूर्वी बिहार के लोगों को मिलने जा रहे केंद्रीय विश्वविद्यालय के तोहफे को लेकर प्रशासनिक स्तर पर काम शुरू हो गया है. शिक्षा विभाग के अवर सचिव के सेंथिल कुमार के पत्र के बाद जगह चयन की कार्रवाई चलने लगी है. केंद्रीय विश्वविद्यालय के लिये 500 एकड़ जैसे बड़े क्षेत्र एक जगह पर होने की स्थिति को लेकर अभी तक जगह तय नहीं हो सका है. प्रशासन मामले को लेकर कई विकल्पों पर विचार कर रहा है.
कहलगांव या शाहकुंड तय होना बाकी : केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना को लेकर जिला प्रशासन कहलगांव को प्राथमिकता के रूप में देख रहा है. दूसरे विकल्प के रूप में शाहकुंड का नाम सूची में शामिल हो सकता है. प्रशासनिक सूत्रों के मुताबिक कहलगांव में नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन के समीप बड़ा भूखंड पहले ही अधिग्रहण हो चुका है. इससे इस भूखंड पर विश्वविद्यालय स्थापना का निर्णय लेना अपेक्षाकृत अधिक माकूल होगा.
वह इसलिए कि यहां अधिग्रहित जमीन के आसपास और भी जमीन जरूरत के हिसाब से अधिग्रहण किया जा सकता है. दूसरे विकल्प के तौर पर प्रशासन शाहकुंड का एक बड़ा खाली क्षेत्र को चिह्नित करने की सोच रहा है. जगह चयन से पहले प्रशासनिक पदाधिकारी विकल्प वाली जगह पर जाकर मुआयना करेंगे.
इसमें यह भी देखा जायेगा कि चयनित जगह पर योजना के शुरू होने के दौरान किसी भी तरह की अड़चन नहीं हो. इसमें किसानों का विरोध से लेकर पहुंच पथ की स्थिति भी देखी जायेगी.
15 दिनों के अंदर जगह चयन करके भेजी जायेगी रिपोर्ट : शिक्षा विभाग के अपर सचिव के पत्र के मुताबिक 15 दिनों के अंदर जगह चिह्नित कर लेना है. जमीन का ब्योरा मिलने के बाद विश्वविद्यालय के लिए जगह फाइनल किया जायेगा.
कहलगांव में विक्रमशिला के नाम से केंद्रीय विश्वविद्यालय बनेगा, तो इससे विक्रमशिला का गौरव लौटेगा ही. साथ ही पर्यटन के लिहाज से पूरे भागलपुर की पहचान विश्व में होगी.निशिकांत दुबे, सांसद, गोड्डा
अधिग्रहित जमीन या फिर सरकारी जमीन की होगी प्राथमिकता
अपर सचिव ने जगह चयन के निर्देश में पहले से अधिग्रहण वाली जमीन या फिर सरकारी जमीन के चयन को प्राथमिकता देने के लिये कहा है. प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, निर्देश की मंशा अधिग्रहण आदि के अड़चन में योजना का नहीं फंसना है. अक्सर जमीन के नहीं मिलने से सालों-साल योजना अटक जाती है ओर सही समय पर लोगों को योजना का फायदा नहीं मिलता है.
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