तीन प्लाॅट में बसा है मुक्तेश्वर कॉलोनीफोटो- संवाददाताभागलपुर : हाई कोर्ट के नये आदेश के बाद जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेेज की जमीन पर कब्जा कर प्राइवेट मकान बनाने वालों को पिछले तीन दिनों से लगातार नोटिस भेजी जा रही है. अबतक करीब मुक्तेश्वर कॉलोनी के 100 से अधिक लोगों को नोटिस भेजा गया है. जब मुक्तेश्वर कॉलोनी की वास्तविक हकीकत क्या है, इसकी जानकारी लेने जब कॉलोनी के लोगों से बातचीत की तो पता चला कि काॅलोनी तीन पार्ट में बंटा है. तीनों पार्ट में 100-100 की संख्या में घर बना हुआ है. मुक्तेश्वर कॉलोनी के एक पार्ट जो मेडिकल कॉलेज की जमीन पर बसा होने की बात लोगों ने बतायी, जबकि दो पार्ट पर प्राइवेट जमीन लेकर लोगों ने अपनी मकान बनायी है. मुक्तेश्वर कॉलोनी के विवादित पार्ट की क्या है हकीकत नोटिस में कहा गया है कि जेएलएनएमसीएच की स्थापना हेतू सरकार ने पॉकेट-8 खंड-सी बड़ी खंजरपुर मोहल्ले में 56.22 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया था. मेडिकल कॉलेज जमीन के ही कुछ भाग पर सैकड़ों की संख्या में पक्का बहुमंजिला मकान बना लिया गया है, जिसे मुक्तेश्वर कॉलोनी का नाम दिया गया है. यह कॉलोनी अतिक्रमण श्रेणी में आता है. जब इसकी हकीकत की जानकारी वहां के लोगों से जाननी चाही तो लोगों ने बताया कि उनलोगों ने वर्द्धमान स्टेट, पश्चिम बंगाल से यह प्लॉट लिया है. पॉवर ऑफ अटार्नी के तहत दस्तावेज नंबर-209 साकिन मोहल्ला डीएन मिश्रा रोड वर्द्धमान के नाम से लिया गया है. यह जुमला प्लॉट 6.42 एकड़ का है, जिसमें से मेडिकल के लिए सरकार ने 3.61 एकड़ अधिग्रहित किया है. मेडिकल कॉलेज के खिलाफ कानूनी प्रतिनिधि बनकर देव प्रिय घोष ने 1996 में भागलपुर दिवानी न्यायालय में केस अपील किया. तीन साल केस चलने के बाद 1999 में देव प्रिय घोष के पक्ष में केस का डिग्री हुआ. डिग्री मिलने के बाद देवप्रिय विश्वास ने प्लॉटिंग करके जमीन को सेल कर दिया और वे बंगाल जाकर बस गये. कॉलोनी निवासी ने बताया कि वे लोग जगदीशपुर अंचल से नियमित रूप से रसीद भी कटवा रहे हैं. बॉक्स में ………………मुक्तेश्वर कॉलोनी के मुद्दे पर जेएलएनएमसीएच अधीक्षक आरसी मंडल से बातचीतसवाल : किस आधार पर मुक्तेश्वर कॉलोनी निवासी को नोटिस भेजा जा रहा है जवाब : हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में मेडिकल कॉलेज की जमीन पर से अतिक्रमण हटाया जा रहा है. मुक्तेश्वर कॉलोनी के पश्चिम भाग जो पॉकेट-आठ कहलाता है. इस पॉकेट में मेडिकल कॉलेज की 56.22 एकड़ जमीन है. जब जमीन की नापी की गयी तो पता चला कि मेडिकल जमीन के कुछ भाग पर मुक्तेश्वर कॉलोनी के लोगों ने घर बना लिया है. इसी के परिप्रेक्ष्य में लोगों को जमीन का कागजात दिखाने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है. कागजात की एक कॉपी अंचलाधिकारी को और एक कॉपी मेडिकल प्रशासन को उपलब्ध करानी है. सवाल : इतने दिनों बाद इस तरह की पहल क्यों की जा रही हैजवाब : अधीक्षक ने कहा कि मेडिकल जमीन पर हुए अतिक्रमण के खिलाफ पूरे बिहार कोर्ट के आदेश से अभियान चलाया जा रहा है. प्राइवेट जमीन पर कार्रवाई के लिए समय-सीमा होती है, लेकिन जो सरकारी जमीन है, उसपर से अतिक्रमण हटाने के लिए कोई समय-सीमा नहीं होती है. वैसे वे इस मामले को एडीजे कोर्ट में अपील करेंगे. सवाल : क्या कागज उपलब्ध नहीं कराने पर मकान को खाली कराया जा सकता है.जवाब : बिना ठोस प्रुफ के कोई कार्रवाई नहीं की जायेगी. पहले कलेक्ट्रेट से जमीन की कागज निकलवा रहे हैं. इसके अलावा कार्रवाई को लेकर पीपी को लिखकर भी ओपिनियन भी मांग रहे हैं. इसके अलावा कलेक्ट्रेट के लीगल सैक्शन से भी रिपोर्ट भी मांगें हैं. जब हर तरफ से पुख्ता सबूत मिलेगा, तभी जाकर कोई कार्रवाई होगी. सवाल : मेडिकल कॉलेज, नौलखा की चहारदिवारी पर भी बहुत से मकान बना लिये गये हैं.जवाब : अंचलाधिकारी उस मामले को देख रहे हैं. हाई कोर्ट के प्लीडर कमीशन जो बहाल किया गया है, उससे भी जानकारी ली जा रही है.
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तीन प्लॉट में बसा है मुक्तेश्वर कॉलोनी
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