भागलपुर में जंगली हाथी ने दो दिन में छह लोगों को मारा, आज फिर चार की मौत, तीन जख्मी

भागलपुर : बिहार के भागलपुर जिले में एक जंगली हाथी ने और चार लोगों को कुचलकर मार डाला तथा तीन अन्य व्यक्ति को जख्मी कर दिया. गत चार एवं पांच जून की रात से लेकर अबतक उक्त हाथी द्वारा कुचले जाने छह लोगों की मौत हो गयी है तथा तीन व्यक्ति घायल हो गए हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 6, 2015 6:16 PM

भागलपुर : बिहार के भागलपुर जिले में एक जंगली हाथी ने और चार लोगों को कुचलकर मार डाला तथा तीन अन्य व्यक्ति को जख्मी कर दिया. गत चार एवं पांच जून की रात से लेकर अबतक उक्त हाथी द्वारा कुचले जाने छह लोगों की मौत हो गयी है तथा तीन व्यक्ति घायल हो गए हैं. वरीय पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार ने बताया कि सबौर थाना अंतर्गत फतेहपुर गांव में बीती रात उक्त जंगली हाथी ने चार लोगों को कुचलकर मार डाला तथा तीन अन्य व्यक्ति को घायल कर दिया. मृतकों में प्रसादी तांती 70 वर्ष, माखो देवी 75 वर्ष, सृष्टि देवी 72 वर्ष, और मो एहसान 15 वर्ष शामिल हैं. इन लोगों ने हाथी ने हमला उस समय किया जब वे आम के बगान की रखवाली कर रहे थे.

घायलों को इलाज के लिए भागलपुर जिला मुख्यालय स्थित जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कालेज अस्पताल भेजा गया है. इससे पहले उक्त हाथी ने चार-पांच जून की रात आंतिचक थाना अंतर्गत दयालपुर गांव निवासी आरती देवी 65 वर्ष और एकसारी थाना अंतर्गत सोफली गांव निवासी पृथ्वी यादव 60 वर्ष को कुचलकर मार डाला था. घटना की सूचना मिलने पर वन विभाग के कर्मियों ने पडोसी राज्य झारखंड के जंगली इलाके से भटककर आए उक्त हाथी को खदेडने के लिए कहलगांव पहुंच गए हैं. उक्त हाथी और अधिक नुकसान नहीं पहुंचाए इसके लिए सावधानी बरते जाने के मद्देनजर निशानबाजों को बुलाया गया है.
अंतिम अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक एसएस चौधरी ने भाषा को बताया कि उक्त पुरुष हाथी पडोसी राज्य झारखंड के साहेबगंज से भागलपुर इलाके में भटककर आ गया है और उन्हें प्राप्त जानकारी के मुताबिक वह अपने मूल निवास स्थान की ओर लौट रहा है तथा झारखंड सीमा से दस किलोमीटर की दूरी पर है. हम उम्मीद करते हैं कि वह बिना और कोई नुकसान पहुंचाए वापस लौट जाएगा. उन्होंने कहा कि प्रजनन के मौसम के दौरान हाथियों का भटक जाना सामान्य घटना है जो कि अभी जारी है. कमजोर हाथी प्रजनन को लेकर लडाई के बाद अपने इलाके फरार हो जाते हैं और कुछ समय तक इधर-उधर भटकने के बाद अपने मूल आवास स्थल को लौट जाते हैं.