-आलय के कलाकारों की नाट्य प्रस्तुतिसंवाददाताभागलपुर : हुंह! मटन दो प्याजा तो छोड़, रोटी के साथ दो कच्चे प्याज भी मिल जाये, तो खुदा का शुक्रिया करूं. तिहाड़ जेल से भागे दो चोरों की बातचीत दर्शकों को लिये चलती है, चैनपुर में. भ्रष्ट पुलिस अफसर का यह डायलॉग ‘रात जितनी संगीन होगी, सुबह उतनी ही रंगीन होगी’ ने शहर में बढ़ते अपराध का चित्रण प्रस्तुत किया. मौका था, कला केंद्र स्थित प्रेक्षागृह में शुक्रवार को आलय की ओर से चैनपुर की दास्तां के मंचन का. भ्रष्टाचार व भ्रम के बीच उलझी गुत्थी को दिखाते इस नाटक ने लोगों को कभी हंसने तो कभी संजीदा होने पर मजबूर कर दिया. ठंड के बावजूद अच्छी संख्या में जुटे दर्शकों ने मंच पर चैनपुर रियासत को पेश कर रहे कलाकारों की तालियां बजा कर सराहना की. शशि शंकर की परिकल्पना व सिल्टू के संगीत संयोजन में अपने अभिनय के दम पर कलाकारों ने नाटक के पात्रों में जीवंत चित्रण प्रस्तुत किया. प्रकाश व्यवस्था का जिम्मा संभाला था, मिथिलेश व आनंद ने. रूसी लेखक निकोलई गोगूल के नाटक का रूपांतरण रंजीत कपूर ने, जबकि निर्देशन युवा चैतन्य प्रकाश ने किया है. अभिनय से जीता दर्शकों का दिलचैतन्य पुरे ने सूत्रधार की भूमिका निभायी. जज, डॉक्टर, पोस्टमास्टर, दारोगा, खान साब, काजी, लाखन सिंह की भूमिका क्रमश: विक्रम, सूरज, सज्जन, राजेश, रिंकू, जयंत जलद व अमन ने निभायी. चोरों(बांगरू व महबूब) की भूमिका में दिवाकर व रणजीत ने निभायी. भोलाराम भुलक्कड़ के रूप में ओम सुधा व श्वेता शंकर, पिंकी ने भी अभिनय का जादू बिखेरा. इस अवसर पर अतिथि के रूप में टीएमबीयू के कुलपति प्रो रमा शंकर दुबे, राजीव कांत मिश्रा की उपस्थिति रही. आलय के अध्यक्ष मनोज सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
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‘चैनुपर की दास्तान’ से किया व्यवस्था पर चोट
-आलय के कलाकारों की नाट्य प्रस्तुतिसंवाददाताभागलपुर : हुंह! मटन दो प्याजा तो छोड़, रोटी के साथ दो कच्चे प्याज भी मिल जाये, तो खुदा का शुक्रिया करूं. तिहाड़ जेल से भागे दो चोरों की बातचीत दर्शकों को लिये चलती है, चैनपुर में. भ्रष्ट पुलिस अफसर का यह डायलॉग ‘रात जितनी संगीन होगी, सुबह उतनी ही […]
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