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सिविल सर्विस के लिए छोड़ दी नौकरी

भागलपुर: इंजीनियरिंग करने के बाद निलोत्पल 2008 से 2011 तक विशाखापट्टनम में हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी में इंजीनियर की नौकरी की. पिता ओंकार नाथ मिश्र चाहते थे कि वह सिविल सर्विस में जाये. वह इसलिए भी कि निलोत्पल के दो चाचा सिविल सर्विस में थे और दूसरी पीढ़ी में कोई नहीं था. उन्हें निलोत्पल की […]

भागलपुर: इंजीनियरिंग करने के बाद निलोत्पल 2008 से 2011 तक विशाखापट्टनम में हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी में इंजीनियर की नौकरी की. पिता ओंकार नाथ मिश्र चाहते थे कि वह सिविल सर्विस में जाये.

वह इसलिए भी कि निलोत्पल के दो चाचा सिविल सर्विस में थे और दूसरी पीढ़ी में कोई नहीं था. उन्हें निलोत्पल की प्रतिभा पर विश्वास था.

निलोत्पल ने बताया कि पिताजी की चाहत मूल कारण रहा, जिसके चलते उन्होंने इंजीनियर की नौकरी वर्ष 2011 के आखिर में छोड़ दी. सिविल सर्विस की तैयारी दिल्ली में शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि पिताजी का आशीर्वाद है, जो आज उन्हें सफलता मिली है. काश! वे आज होते, तो खुशियों का रंग कुछ और होता. बालते-बोलते निलोत्पल काफी भावुक हो गये. उन्होंने बताया कि मां नीता मिश्र का बहुत सपोर्ट मिला. दो भाई एक बहन में वे छोटे भाई हैं. बहन सबसे छोटी हैं. बड़े भाई श्वेतांक नेशनल इंश्योरेंस में लॉ ऑफिसर हैं.

बहन अविंता मिश्र 2012 में एमए इंगलिश में टीएमबीयू टॉपर रहीं. उन्होंने बताया कि यह सफलता उन्हें दूसरे प्रयास में मिली, लेकिन अच्छे रैंक के लिए प्रयास जारी रहेगा. पिता स्व ओंकार नाथ मिश्र आकाशवाणी भागलपुर में सीनियर एनाउंसर थे. उनका निधन 17 सितंबर 2012 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ था. निलोत्पल ने बताया कि इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विस या इंडियन रेलवे अकाउंट सर्विस मिलने की उम्मीद है. नर्सरी से 12वीं तक की शिक्षा माउंट असीसि स्कूल से ली.

12वीं 2003 में किये. 2004 से 08 तक भागलपुर इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल की डिग्री हासिल की. 2008 से 2011 तक विशाखापट्टनम में हिंदुस्तान पेट्रोलियम की रिफाइनरी में इंजीनियर रहे.

पिछले एक साल से दिल्ली में रह कर तैयारी की. केवल भूगोल के लिए कोचिंग की मदद ली. शेष तैयारी खुद की बदौलत की. लोक प्रशासन व भूगोल विषय ऑप्शनल में था. उन्होंने सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे छात्रों को सुझाव दिया कि जीएस की तैयारी को नकारना नहीं चाहिए. 2013 से पैटर्न चेंज हुआ है. इसलिए जीएस का महत्व बढ़ गया है.

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