संजीव
भागलपुर : वस्थापित जिला स्कूल में पिछले छह महीने से रह रहे पुलिस के जवान स्कूल के कमरे खाली करेंगे. प्रभात खबर में प्रमुखता से लगातार समाचार प्रकाशित होने के बाद वरीय पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार ने इस मामले को गंभीरता से लिया और शुक्रवार को निर्देश दिया कि अविलंब स्कूल के कमरे खाली किये जाएं.
श्री कुमार ने बताया कि उक्त स्कूल में रह रहे जवानों की वस्तुस्थिति की जांच शुक्रवार को करवायी गयी, जिसकी रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद स्कूल खाली करने का निर्देश जारी किया गया. ज्ञात हो कि प्रभात खबर को पिछले एक सप्ताह में भागलपुर के शिक्षा क्षेत्र में लगातार दूसरी सफलता मिली है. इससे पूर्व गैर सरकारी अल्पसंख्यक विद्यालय सीएमएस प्राथमिक स्कूल के एक अगस्त से शिक्षकविहीन होने से संबंधित खबर लगातार प्रकाशित करने के बाद शिक्षा विभाग ने यहां दो सरकारी शिक्षक प्रतिनियोजित किया.
स्कूल की व्यवस्था हो गयी थी चौपट : एसएसपी के निर्देश के बाद विधि-व्यवस्था के इंस्पेक्टर मनोरंजन भारती ने स्कूल की जांच की. उन्होंने पहले डायट परिसर में स्कूल के प्राचार्य को बुलवाया. उनसे जानकारी हासिल करनी चाही, लेकिन प्राचार्य हरि झा ने इंस्पेक्टर को स्कूल की स्थिति से खुद ही रूबरू होने का आग्रह किया. इसके बाद इंस्पेक्टर श्री भारती ने बारी-बारी से सारे कमरे का निरीक्षण किया. उन्होंने पाया कि पुलिस जवानों के रहने से स्कूल की सारी व्यवस्था चौपट हो गयी है. प्राचार्य श्री झा ने बताया कि स्कूल की बदहाल स्थिति देख उन्हें इंस्पेक्टर ने भरोसा दिलाया कि तीन दिनों में स्कूल के कमरे जवान खाली कर देंगे.
पुलिस जवानों के रहने से हो रही है कई समस्याएं
बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री के आगमन पर विधि-व्यवस्था दुरुस्त रखने के लिए 28 जनवरी को अतिरिक्त पुलिस बल मंगाया गया था. जवानों को एक दिन के लिए एनडीसी के अनुरोध पर नवस्थापित जिला स्कूल में ठहराया गया था, लेकिन पुलिस के जवानों ने यहां ठहरने के बाद स्कूल खाली नहीं किया. स्कूल के अधिकतर कमरों पर कब्जा जमा लिया. यहां एक ही भवन में नवस्थापित जिला स्कूल और ओबीसी कन्या उच्च विद्यालय अवस्थित है. इस भवन के अधिकतर कमरों में पुलिस जवानों के रहने से पढ़ाई, नामांकन, परीक्षा व अतिरिक्त गतिविधियां प्रभावित हो गयी है.
खुल नहीं पा रहा कृत्रिम अंग निर्माण केंद्र
स्कूल भवन पर पुलिस जवानों के कब्जा के कारण कृत्रिम अंग व अवयव निर्माण केंद्र नहीं खुल पा रहा है. स्कूल में पढ़नेवाले जरूरतमंद नि:शक्त बच्चों को कृत्रिम अंग नहीं मिल पा रहा है. यह स्थिति तब है, जबकि कृत्रिम अंग व अवयव निर्माण के लिए 2.60 लाख की सामग्री बिहार शिक्षा परियोजना द्वारा खरीदी जा चुकी है.