आधुनिक संसाधनों से ज्यादा मुखबिरों पर पुलिस को भरोसा
भागलपुर : भागलपुर पुलिस को आधुनिक संसाधनों से ज्यादा पुराने मुखबिरों पर भरोसा रह गया है. हालिया हुई कुछ आपराधिक वारदातों में जब पुलिस को आधुनिक संसाधनों से कोई मदद नहीं मिली और अपराधी नहीं पकड़े गये तो पुलिस ने पुराने मुखबिरों की सूची निकाली और उनसे मदद ली. हालांकि मुखबिर इन कांडों में कितना कारगर होंगे, यह कांड के उदभेदन के बाद ही पता चलेगा, लेकिन भागलपुर में एक बार फिर ‘मुखबिर संस्कृति’ शुरू हो गयी है.
केस-1. 28 अप्रैल को अपराधियों ने पुलिस लाइन के पास पेट्रोल पंप के मैनेजर सुजीत कुमार उपाध्याय को गोली मार कर उनसे दिन-दहाड़े पांच लाख रुपये लूट लिये थे. घटना के एक सप्ताह बीत गये, लेकिन अब तक पुलिस को अपराधियों का सुराग नहीं मिला. पुलिस ने इस कांड में तमाम आधुनिक संसाधनों की उपयोग किया. कॉल डिटेल्स, टावर डंपिंग जैसे हाइ प्रोफाइल टेक्नोलॉजी की इस्तेमाल पुलिस ने किया, लेकिन नतीजा सिफर रहा. अंतत: पुलिस अब मुखबिरों से सूचना एकत्र कर रही है.
केस-2. 27 जनवरी को अपराधियों ने जैन पेट्रोल पंप के मैनेजर जय किशन शर्मा की गोशाला के पास गोली मार कर हत्या कर दी थी. घटना के चार माह बीत गये, लेकिन पुलिस के गिरफ्त में एक भी अपराधी नहीं आ सका. पुलिस ने इस कांड में आधुनिकी तकनीक का इस्तेमाल करते हुए करीब दो हजार मोबाइल नंबरों को स्कैन किया. इसमें छह संदिग्ध मोबाइल नंबरों को निकाला और उनकी कुंडली खंगाली, पर अपराधियों का सुराग नहीं मिला. अंतत: पुलिस ने मुखबिरों को इस कांड में सूचना संकलन के लिए लगाया है.