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बिजली को ले हंगामा, सख्ती के बावजूद आपूर्ति बदहाल

भागलपुर : शहर की बिजली व्यवस्था साढ़े तीन साल के बाद भी पटरी पर नहीं लौट सकी है. ब्रेकडाउन व रखरखाव के नाम पर जनवरी से लेकर अभी तक बिजली कटौती का ही खेल जारी है. इसको लेकर जमकर हंगामा भी होता रहा है. इस माह के पहले सप्ताह में तो खूनी खेल तक हो […]

भागलपुर : शहर की बिजली व्यवस्था साढ़े तीन साल के बाद भी पटरी पर नहीं लौट सकी है. ब्रेकडाउन व रखरखाव के नाम पर जनवरी से लेकर अभी तक बिजली कटौती का ही खेल जारी है. इसको लेकर जमकर हंगामा भी होता रहा है. इस माह के पहले सप्ताह में तो खूनी खेल तक हो गया. छह दिन में चार लोगों की मौत तक हो गयी.

विधि व्यवस्था बिगड़ गयी. शहर में धरना-प्रदर्शन व आगजनी तक की घटना हुई लेकिन, फ्रेंचाइजी कंपनी की सेहत पर इसका असर नहीं पड़ा. एक जनवरी 2014 से जब बिजली का निजीकरण किया गया, तो लोगों को लगा था कि अब व्यवस्था में सुधार होगा. लगभग तीन साल 10 माह के बाद भी फ्रेंचाइजी कंपनी बीइडीसीपीएल पूरी तरह से खरी उतर नहीं पायी है. इस पर प्रशासन से लेकर सांसद-विधायक तक ने सख्ती दिखायी, लेकिन फ्रेंचाइजी कंपनी की मनमानी बंद नहीं हुई. दिन तो दिन, रात को भी अब लंबी बिजली कटाैती होने लगी है. उपभोक्ताओं को अनाप-शनाप बिल भेजा जा रहा है. बिल में सुधार के लिए भी कार्यालयों के बार-बार चक्कर लगाने पड़ रहे हैं.

एकरारनामा रद्द करने के मामले में निर्णय नहीं: साल भर पहले तत्कालीन प्रमंडलीय आयुक्त अजय कुमार चौधरी ने फ्रेंचाइजी कंपनी का एकरारनामा रद्द करने की सरकार से अनुशंसा की थी. ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव सह सीएमडी प्रत्यय अमृत ने दावा भी किया था कि फ्रेंचाइजी कंपनी की जो कमियां उजागर हुई है, उस पर हर हाल में कार्रवाई की जायेगी. इसके बावजूद कोई कार्रवाईअब तक नहीं हुई है.
जर्जर तारों को लेकर भी प्लानिंग नहीं : फ्रेंचाइजी कंपनी बीइडीसीपीएल को भागलपुर की बिजली व्यवस्था सौंपने के समय में जो जर्जर लाइन का इंफ्रास्ट्रक्चर था, वही आज भी है. इसमें कोई बदलाव नहीं दिखता है. प्लानिंग और दृढ़ इच्छा शक्ति के अभाव में बाजार से लेकर गली-मुहल्ले तक में उलझे तारों का जाल दिख जाता है.
जनवरी से अभी तक ब्रेकडाउन व रखरखाव के नाम पर होता रहा बिजली कटौती का खेल
छह दिन में चार लोगों की मौत पर भी नहीं पड़ा कंपनी की सेहत पर असर

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