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सृजन के ‘हमराज’ का सीबीआइ खोलेगी ‘राज’

भागलपुर: शासन का संरक्षण, प्रशासन और बैंकों के साथ बंधन और सृजन के नाम पर धन अर्जन. 1996 में शुरू होनेवाली सृजन ने महज 20 सालों में जो साम्राज्य खड़ा किया, उसमें सभी का सहयोग मिला. 1200 करोड़ के घोटाले की परतें भले ही उलझी लग रही है. जितना बड़ा घोटाला है उतने ही संस्थान […]

भागलपुर: शासन का संरक्षण, प्रशासन और बैंकों के साथ बंधन और सृजन के नाम पर धन अर्जन. 1996 में शुरू होनेवाली सृजन ने महज 20 सालों में जो साम्राज्य खड़ा किया, उसमें सभी का सहयोग मिला. 1200 करोड़ के घोटाले की परतें भले ही उलझी लग रही है. जितना बड़ा घोटाला है उतने ही संस्थान और लोग भी इसमें संलिप्त है. घोटाले के हर तार कड़ी दर कड़ी जुड़ी है. सीबीआइ को गुत्थी सुलझाने में ज्यादा वक्त नहीं लगने वाला है. राज्य से केंद्र सरकार की भी यही मंशा है.
यही वजह है कि आठ अगस्त को सृजन का घोटाला उजागर होने के महज 20 दिन बाद ही सीबीआइ की टीम ने भागलपुर में दस्तक दे दी है. सरकार ने जिस दिन जांच की अनुशंसा की उसी दिन नोटिफिकेशन हो गया. टीम ने आते ही एफआइआर दर्ज करने से लेकर घोटाले के पन्ने पलटने शुरू कर दिये हैं. जांच के लिए अलग-अलग टीम बनायी गयी है. सृजन के अर्जन व बैंक से लेकर प्रशासन तक हर स्तर पर हुई अनियमितता के कारण ढूंढने में सीबीआइ की टीम मुस्तैदी से जुट गयी है. सृजन के कौन-कौन हैं हमराज, यह राज खुलने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा.
कॉरपोरेट से ब्यूरोक्रेट तक होंगे बेनकाब
घोटाला हाइप्रोफाइल है, तो स्वाभाविक है इसमें कॉरपोरेट से ब्यूरोक्रेट तक इनवॉल्व हैं. आधा दर्जन जिला पदाधिकारियों के दौरान एक दशकों से हो रहे घोटाले की तह तक जाने के लिए सीबीआइ हर पहलू की बारीकी से जांच कर रही है. सृजन को संरक्षण देने में लिप्त कॉरपोरेट से ब्यूरोक्रेट तक जो भी शामिल हैं वह सीबीआइ की पैनी निगाहों से बच नहीं पायेंगे.
सृजन घोटाले के बाद फाइल से लेकर कर्मचारी तक लापता हो चुके हैं. सभी गुत्थी आनेवाले दिनों में सुलझने वाली हैं. सबौर प्रखंड परिसर स्थित सरकारी भवनों में सृजन कार्यालय चलाने से संबंधित दस्तावेज डीआरडीए में नहीं मिल रहा है. नाजिर अमरेंद्र यादव के बयान पर पहली प्राथमिकी हुई, इसके बाद से वह गायब हैं. पूर्व भूअर्जन पदाधिकारी और मौजूदा लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी राजीव रंजन सिंह छुट्टी की अर्जी देकर गायब हैं. अलबत्ता नाजिर महेश मंडल की इलाज के दौरान मौत हो चुकी है.
प्रिया व अमित कैसे हुए फरार इस पर भी सीबीआइ करेगी गौर : घोटाले के मुख्य किरदार सृजन की सचिव प्रिया कुमार व उनके पति अमित कुमार को भी ढूंढा जा रहा है. कई राज्यों में पुलिस भेजी गयी है. वह मुख्य आरोपित हैं इसलिए सीबीआइ की जांच में वह अहम भी हैं. कानून की नजरों से वह बच भी नहीं पायेंगे. घोटाला उजागर होने के बाद सीबीआइ उन दोनों के भागलपुर से बाहर जाने के पहलुओं पर भी गौर फरमा रही है.
सरकारी विभागों को भी टटोलेगी सीबीआइ
सृजन घोटाले का मामला एक व्यक्ति, संस्था या विभाग विशेष तक सीमित नहीं है. घोटाले की जड़े कई विभागों तक है, इसलिए सीबीआइ सरकारी विभागों को भी खंगालेगी. किन स्थितियों में और किसके दिशानिर्देश पर करोड़ों की राशि इधर-उधर होती रही. यह सीबीआइ की नजरों से बच नहीं पायेगी.
हाई प्रोफाइल घोटाले का हर राज से उठेगा परदा : हाइप्रोपाइल घोटाले के हर राज से परदा उठेगा. सरकारी चैक सृजन के खाते में कैसे गया. एक-एक अकाउंट पर बारीक नजर रखनेवाली बैंक अधिकारियों की आंखें क्यों बंद रही. सरकारी धन के सृजन के खाते में ट्रांसफर पर प्रशासन पिछले कई वर्षों से क्यों मौन रहा. हर विभाग के राज से परदा उठेगा. बस कुछ दिन और इंतजार कीजिए.

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