भागलपुर. केंद्र सरकार की योजना इमरजेंसी रिस्पांस सपोर्ट सिस्टम के तहत तीन दिन पूर्व ही भागलपुर पुलिस को जोड़ दिया गया है. तीन दिन पूर्व ही भागलपुर पुलिस को इस योजना के तहत मुहैया कराये गये आधुनिक यंत्रों से लैस वाहन सहित अन्य सामग्री मुहैया भी करायी गयी थी. इसके बाद से मुहैया कराये गये 12 वाहनों को भागलपुर शहरी क्षेत्र सहित बाइपास इलाके में इसे लगाया गया है. हालांकि सबसे हैरत करने वाली बात यह है कि डायल 112 के लिये तीन दिन पहले जिला के विभिन्न थानों से पदाधिकारियों, कर्मियों व चालक का चयन किया जाता है.
डायल 112 की शुरुआत से पहले उन्हें भागलपुर पुलिस केंद्र में योगदान देने का निर्देश प्राप्त होता है और बिना किसी प्रशिक्षण के ही उन्हें डायल 112 वाहन की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है. आलम यह है कि डायल 112 गाड़ियों में लैस जीपीएस सिस्टम, टैबलेट सहित अन्य आधुनिक उपकरणों के प्रयोग की जानकारी उसमें प्रतिनियुक्त पदाधिकारी व कर्मी के पास है ही नहीं. जिसकी वजह से अब भी उक्त वाहन बिहार पुलिस के पुराने वायरलेस (वितंतु संवाद) पर ही आश्रित हो गये हैं.
जिले में बढ़े सड़क दुर्घटनाओं व चौक-चौराहों पर चेकिंग के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ होने वाले बदसलूकी और लगने वाले आरोपों को लेकर पुलिस मुख्यालय की ओर से स्पीड रडार गन व बॉडी वार्नर कैमरे मुहैया कराये गये थे. स्पीड रडार गन का इस्तेमाल महज एक सप्ताह तक किये जाने के बाद उसे संभाल कर रख दिया गया. वहीं कुछ महीनों तक कुछ माह पूर्व ही भागलपुर पुलिस को बॉडी वार्नर कैमरों को इस्तेमाल में लाया गया. और अब वह भी पुलिस कर्मियों की वर्दी से गायब हो चुकी हैं.
बता दें कि दो माह पूर्व भागलपुर शहरी क्षेत्र के कई मुख्य सड़कों पर वन वे परिचालन की व्यवस्था लागू की गयी थी. इसके बाद इस व्यवस्था को लागू करने के लिये लगातार पुलिसकर्मियों द्वारा कार्रवाई की जा रही है. इस दौरान कई लोग पुलिसकर्मियों से उलझ रहे हैं और उन पर तरह-तरह के आरोप भी लगा रहे हैं. ऐसे में बॉडी वार्नर कैमरों के होने से पुलिसकर्मियों को काफी राहत मिलती.