चनपटिया . वीटीआर से भटक कर रिहायशी इलाकों में पहुंचा बाघ अब करतहा और सिकरहना नदी के रास्ते चनपटिया के छोटकी पोखरिया गांव के सरेह में पहुंच गया है. गुरुवार की सुबह बाघ के पग मार्ग देखने के बाद लोगों में दहशत का माहौल है. हालांकि सूचना मिलते ही पुलिस माइकिंग करके लोगों को सतर्क रहने के लिए कह रही है. वन विभाग के कर्मी बाघ का लोकेशन ट्रैक करने में जुटे हैं. लोगों को सरेह की तरफ जाने से वन कर्मियों ने मना कर दिया है. बता दें कि बाघ 12 दिन पहले मैनाटांड़ के पुरैनिया में एक नीलगाय को शिकार करने के बाद लिपनी पहुंचा और उसके बाद भटकते हुए करताहा नदी के रास्ते बसंतपुर सरेह होते हुए चनपटिया के पिपरा गांव के सरेह में पहुंचा. वहीं बुधवार को चनपटिया सिकरहना पुल होते हुए पुरैना गांव स्थित शिव मंदिर के पास पहुंचा और अब करणपट्टी होते हुए पोखरिया पहुच गया है. गन्ने और धान की खेत में बाघ के पग मार्ग देखने के बाद ग्रामीणों में दहशत का माहौल है. इधर वन विभाग की टीम लगातार बाघ का लोकेशन ट्रैक करने में लगी हुई है, लेकिन अभी तक इसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है. बता दें कि बुधवार को पुरैना शिव मंदिर के पास गन्ने के खेत के तरफ शौच करने गई महिलाओं पर बाघ ने हमला किया था. हालांकि महिलाओं ने जान बचाकर गांव के तरफ भागी और ग्रामीणों को सूचना दी. जिसके बाद मौके पर बेतिया वन प्रमंडल वन के डीएफओ प्रदुम्न गौरव, मंगुरहा वन क्षेत्र के रेंजर सुनील पाठक समेत 35 वन कर्मी पहुंचकर घाघ के रेस्क्यू करने की कोशिश किए. करीब 12 घंटे तक पुरैना गांव पुलिस छावनी में तब्दील था. हालांकि अधिक गन्ना होने के कारण बाघ का रेस्क्यू नहीं हो पाया. देर शाम पुरैना से पश्चिम और उत्तर के कोन पर बाघ मुव कर गया. पुरैना पंचायत के वार्ड सदस्य बृजेश सिंह ने बताया कि बुधवार सुबह बाघ ने महिलाओं पर हमला किया था. मगुराहां के रेंजर सुनील पाठक ने बताया कि पोखरिया गांव के सरेह में गुरुवार सुबह लोगों ने बाघ का पग मार्ग देख कर सूचना दिया है. मौके पर वन कर्मियों को भेजा गया है. बाघ का ट्रैकिंग किया जा रहा है. बाघ ने नहीं पहुंचाया है कोई नुकसान, अफवाहों से बचें: डीएफओ बेतिया वन प्रमंडल – 1 के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव ने बताया कि वीटीआर जंगल से भटककर रिहायशी इलाके में पहुंचा बाघ अपना ठिकाना बदल लिया है. वह जंगल की ओर नदी के सहारे आगे बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि बाघ ने अब तक किसी को नुकसान नहीं पहुंचा है और ना ही बाघ की तस्वीर कैमरे में कैद हुई है. वन विभाग की टीम लगातार बाघ के पैरों के निशान के आधार पर उसकी निगरानी में जुटी है. वन विभाग का यह प्रयास है कि बाघ को फिर से सुरक्षित जंगल तक पहुंचा दिया जाए. उन्होंने बताया कि टेरिटरी के लिए व्यस्क बाघ जंगल से बाहर चले जाते हैं. उसकी मॉनिटरिंग की जा रही है. अभी बरसात का मौसम है. खेतों में गन्ना लगा है. इसलिए बाघ का रेस्क्यू टफ है. बाघ फिलहाल नदी के रास्ते जंगल की ओर लौट रहा है. उसे डिस्टर्ब नहीं किया जा रहा है, नहीं तो वो इधर-उधर भटक जाएगा. ऑपरेशन में 15 लोगों की टीम दो शिफ्ट में काम कर रही है.
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