प्रशासनिक लचरता से ताख पर नियम कानून, ई रिक्शा व ऑटो से स्कूल जा रहे बच्चे
ऑटो व ई रिक्शा से स्कूल जाने के आदेश को लागू करने की अवधि के एक सप्ताह बीतने के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है.
बेतिया. अब इसे प्रशासनिक लचरता कहें या सरकारी तंत्र की विफलता. कि स्कूली बच्चों के लिए ऑटो व ई रिक्शा से स्कूल जाने के आदेश को लागू करने की अवधि के एक सप्ताह बीतने के बाद भी स्थानीय प्रशासन द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई होती नहीं दिख रही है. नतीजतन ऑटो व ई रिक्शा चालकों द्वारा सारे नियम कानून को ताख पर रखकर स्कूली बच्चों को लाया और ले जाया जा रहा है. सरकार ने जहां एक तरफ बच्चों की सुरक्षा और दुर्घटना से बचाव के लिए स्कूली बच्चों को ऑटो और ई रिक्शा से स्कूल आने जाने पर प्रतिबंध लगाया है. आदेश में इस बात का उल्लेख है कि कई बार ऑटो व ई-रिक्शा पलटने के कारण दुर्घटना हो जाती है. गंभीर दुर्घटना होने की स्थिति में इसके परिणाम भी गंभीर होते है. ऐसे में वैसे ही स्कूली बच्चें, जो बगैर अभिभावक के स्कूल आते जाते हैं. उनके लिए ऑटो व ई-रिक्शा को प्रतिबंधित किया गया है.
– शहर में भी कई बार हो चुकी है दुर्घटना
स्कूली बच्चों के सफर के दौरान ई रिक्शा पलटने की बात तो अलग, यहां बाजार, बस स्टैंड या स्टेशन जाने के क्रम में बड़े-बड़े उम्र दराज लोग भी ई रिक्शा पलटने तथा ऑटो दुर्घटना के कारण जख्मी हो चुके हैं. शहर की खस्ताहाल सड़क और बेतरतीब तरीके से ऑटो व ई रिक्शा के परिचालन ने सड़कों पर पैदल राहगीरों को चलना भी मुश्किल कर दिया है.– अभिभावकों में भी है सजगता की कमीई रिक्शा व ऑटो से बच्चों को स्कूल भेजने के मामले में अभिभावक भी सजगता नहीं दिखा रहे है. वह शायद इसलिए कि ई रिक्शा व ऑटो से बच्चों को स्कूल भेजकर वे पूरी तरह रिलैक्स हो जाते है. या उनकी जेब कम ढीली होती है. लेकिन वह यह नहीं सोचते कि उनकी थोड़ी सी सुस्ती या निष्क्रियता उनके नौनिहालों को शारीरिक कष्ट में डाल सकती है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
