उदासीनता. 1973 में डिवीजन बनने के बाद से ही डाकघर को अपना भवन नहीं
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किराये के मकान में चल रहा डाकघर
उदासीनता. 1973 में डिवीजन बनने के बाद से ही डाकघर को अपना भवन नहीं बेगूसराय(नगर) : बेगूसराय प्रधान डाकघर पिछले 43 वर्षों से किराये के मकान में चल रहा है.1973 में डिवीजन बनने के बाद से आज तक बेगूसराय प्रधान डाकघर को अपना भवन नसीब नहीं हुआ है. यहां काम करने वाले डाककर्मियों के अलावा […]
बेगूसराय(नगर) : बेगूसराय प्रधान डाकघर पिछले 43 वर्षों से किराये के मकान में चल रहा है.1973 में डिवीजन बनने के बाद से आज तक बेगूसराय प्रधान डाकघर को अपना भवन नसीब नहीं हुआ है. यहां काम करने वाले डाककर्मियों के अलावा प्रतिदिन हजारों की संख्या में पहुंचने वाले लोगों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है.
बेगूसराय सांसद डॉ भोला सिंह के प्रयास से बेगूसराय डाकघर को केंद्र सरकार के स्तर से जमीन मुहैया कराने के लिए जोरदार पहल की गयी. इसमें बहुत हद तक सफलता भी मिली है. बेगूसराय के पुराने जेल वाली जमीन को प्रधान डाकघर के लिए चिह्नित किया गया. काफी प्रयास के बाद इस जमीन का विवाद टल गया है और भवन बनने का रास्ता साफ हो गया है. अभी तक अपना भवन नहीं होने को लेकर डाकघर के कर्मी समेत वहां पहुंचने वाले लोगों के लिए डाकघर की असुविधा सिरदर्द बनी है.
लगभग एक हजार लोग प्रधान डाकघर से प्रतिदिन करते हैं ट्रांजैक्शन : बेगूसराय डाकघर में प्रतिदिन लोगों की भीड़ जुटती है. लगभग एक हजार लोग प्रतिदिन इस डाकघर से ट्रांजैक्शन करते हैं. लेकिन सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है.प्रधान डाकघर पहुंचने वाले लोग हलकान होते हैं. कई बार यहां की व्यवस्था से खिन्न हो कर लोगों ने हंगामा भी किया है. समुचित व्यवस्था नहीं रहने से कार्यरत डाककर्मियों को लोगों का आक्रोश झेलना पड़ता है.
प्रधान डाकघर में हमेशा लिंक की बनी रहती है समस्या : बेगूसराय प्रधान डाकघर में हमेशा लिंक की समस्या बनी रहती है. जिससे प्रतिदिन डाकघर आने वाले लोगों का सिरदर्द बढ़ता है. कई बार तो लिंक की गड़बड़ी को लेकर हो-हंगामा भी हुआ है. विभागीय पदाधिकारी व कर्मी भी नेटवर्किंग की गड़बड़ी को लेकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं.
काफी प्रयास के बाद डाकघर के लिए जमीन का रास्ता हुआ साफ
बेगूसराय प्रधान डाकघर की तसवीर.
भारी असुविधाओं के बीच काम करते हैं डाककर्मी
प्रधान डाकघर में भारी असुविधाओं के बीच डाककर्मी प्रतिदिन कार्यों का निबटारा करते हैं. भाड़े के मकान में चल रहे इस डाकघर में सुविधा नाम की कोई चीज नहीं है. पानी,शौचालय,रोशनी की भारी किल्लत है. दिन में भी डाककर्मी बल्व जलाकर अपने कार्यों का निबटारा करते हैं. सबसे खराब स्थिति शौचालय को लेकर है. प्रधान डाकघर में महिला डाककर्मी भी कार्यरत हैं. इनके लिए अलग से कोई शौचालय नहीं है. पानी भी डाककर्मी या तो अपने घर से लेकर आते हैं या फिर खरीद कर अपना काम चलाते हैं.
बेगूसराय प्रधान डाकघर एक नजर में
43 वर्षों से किराये के मकान में चल रहा है प्रधान डाकघर
1973 में डिवीजन बनने के बाद प्रधान डाकघर को नसीब नहीं हो पाया है अपना भवन
प्रधान डाकघर में गंदगी व बदबू के बीच अपना काम निबटाते हैं कर्मी
लगभग एक हजार लोग प्रतिदिन करते हैं ट्रांजेक्शन
पानी, रोशनी, शौचालय की है भारी किल्लत
बेगूसराय सांसद डॉ भोला सिंह के प्रयास से प्रधान डाकघर को मिली जमीन
डाकघर को अपना जमीन और भवन हो इसके लिए लंबे समय से संघर्ष किया जा रहा है. इस दिशा में सांसद डॉ भोला सिंह का प्रयास भी सराहनीय रहा है. जमीन की समस्या का हल हो गया है. भवन निर्माण का कार्य भी जल्द शुरू होने की संभावना है. पिछले 43 वर्षों से प्रधान डाकघर में काम करने वाले कर्मी भारी असुविधाओं के बीच कार्यों का निबटारा कर रहे हैं.
रामरंजन सिंह, डिवीजनल सचिव,डाक-कर्मचारी संघ, बेगूसराय
बेगूसराय प्रधान डाकघर को अपनी जमीन उपलब्ध हो गयी है. चहारदीवारी का काम पूरा हो गया है. भवन निर्माण के लिए आवंटन भी प्राप्त हो गया है. जल्द ही इस पर कार्य शुरू होने की संभावना है.
नरेंद्र प्रसाद श्रीवास्तव, पोस्टमास्टर,बेगूसराय प्रधान डाकघर
न्यायालय में चल रहा है मामला
जिस मकान में अभी डाकघर का कार्य निष्पादित हो रहा है, उसके मकान मालिक के द्वारा मकान खाली कराने के लिए कई बार कहा गया. मकान खाली नहीं होने की स्थिति में न्यायालय में मामला चल रहा है. बताया जाता है कि शौचालय का टंकी ओवरफ्लो होकर बाहर बह रहा है. बदबू के बीच ही डाककर्मी अपने कार्यों को निष्पादित करने के लिए मजबूर होते हैं.
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