आफत. भीषण शीतलहर से जनजीवन अस्त-व्यस्त, इंटर की हो रही प्रायोगिक परीक्षा, परीक्षार्थी परेशान
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अलाव के सहारे कट रहा समय, घरों में दुबके लोग
आफत. भीषण शीतलहर से जनजीवन अस्त-व्यस्त, इंटर की हो रही प्रायोगिक परीक्षा, परीक्षार्थी परेशान ठंड की वजह से अबतक जिले में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत गुरुवार को कड़ाके की ठंड को लेकर सड़क बनी रही सुनसान बांका : जिले में गत सप्ताह से ही भीषण ठंड व शीतलहर जारी है. बढ़ते ठंड […]
ठंड की वजह से अबतक जिले में आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत
गुरुवार को कड़ाके की ठंड को लेकर सड़क बनी रही सुनसान
बांका : जिले में गत सप्ताह से ही भीषण ठंड व शीतलहर जारी है. बढ़ते ठंड में कनकनी ने प्रचंड रुप धारण कर लिया है. अब हवा के साथ ठंड शरीर पर पड़ते ही सूई चुभने जैसा अनुभव होता है. घर हो या बाहर ठंड का प्रकोप समय की गति के साथ कदम मिलाकर चल रही है. गुरुवार को न्यूनतम तापमान पांच डिग्री सेंटीग्रेट मापा गया है. जबकि जानकारों की मानें तो यह आंकड़ा केवल कहने का है, असल में ठंड पांच डिग्री से नीचे सरक गयी है. क्योंकि ठंड के साथ-साथ कनकनी में लगातार वृद्धि हो रही है.
कड़ाके की ठंड को लेकर सड़क सुनसान बनी रही. दोपहर में मजबूरी बस लोग अपने घर से निकले तो जरुर, परंतु जहां कही भी अलाव मिली वहां पर राहगीर रुक गये. सुबह घना कोहरा छाया रहा. दोपहर के वक्त आसमान कुछ साफ नजर आया. परंतु सूर्य की गर्मी ठंड के सामने नरम साबित हुयी. नतीजतन ठंड से बचाव के लिए कोई भी तरकीब अब काम नहीं आ रहा है. वहीं नौंवी कक्षा तक स्कूल बंद होने से स्कूली बच्चों को राहत जरूर मिली है. परंतु दसवीं कक्षा से इंटर के छात्र-छात्राओं को इस ठंड का रोज सामना करना पड़ रहा है. इस भीषण ठंड से वाहन चालकों खासकर बाइक सवार व राहगीरों का बुरा हाल है. खास यह भी कि शाम होने के साथ ही घना कोहरा होने से सड़क तक दिखाई नही पड़ रही है. वहीं जिले भर में प्रशासन की ओर से जलायी जा रही अलाव नाकाफी साबित हो रहा है. प्रशासन की ओर से अलाव के नाम पर महज एक खानापूर्ति ही की गयी है.
गरीबों के लिए सितम है शीतलहरी
बाराहाट. दिन प्रतिदिन मौसम का मिजाज बदलता जा रहा है. कनकनी भरी ठंड से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. लोग बिना किसी काम के घर से बाहर निकलने से परहेज कर रहे हैं. लेकिन इस शीतलहरी भरी ठंड में खासकर दैनिक मजदूरी करने वालों के लिए काफी परेशानी हो गयी है. गरीब अपने पेट के खातिर इस भयानक ठंड को पीछे छोड़ दे रहे हैं. शीतलहर के प्रकोप से बाजारों में भी सन्नाटा पसरा रहता है. चौक-चौराहों पर शाम होने से पहले ही बिरानी छा जाती है. ऐसे में प्रखंड मुख्यालय के बाहर एक गरीब लाचार भिखारी अपने गुदड़ी में अपने आप को समेटने का अथक प्रयास करता हुआ दिख, जो ठंड के मारे काफी कांप रहा था. लेकिन अपने छोटे से चादर में अपने आप को समेटने का प्रयास कर रहा था. इस शीतलहरी में भी अब तक न तो किसी जनप्रतिनिधि और न ही सरकारी विभाग के तरफ से कहीं भी अलाव की व्यवस्था की गयी है. जिससे लोगों में खासी परेशानी है.
लगातार बढ़ता जा रहा है ठंड से हुई मौत का आंकड़ा
कड़ाके की ठंड से बच्चे सहित बुजुर्ग खासे परेशान नजर आ रहे हैं. विभिन्न सरकारी व नीजी क्लीनिक में ठंड से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. इसके साथ ही इन दिनों बुजूर्गो की मौत भी ठंड की वजह से प्रतिदिन हो रही है. हालांकि इसकी प्रशासनिक पुष्टि कम ही हो रही है. जिले के चांदन नदी किनारे व बौंसी के पापहरणी श्मशान घाट में शव जलाने की संख्या में बेहताशा वृद्धि हुई है. जहां गर्मी के दिनों में एकआध शव पहुंचते थे. इन दिनों इन श्मशान घाटों पर एक शव जलते-जलते दूसरा शव पहुंच जा रहा है. जानकारी के मुताबिक अबतक आधा दर्जन से अधिक लोगों की मौत ठंड की वजह से हो गयी है. चिकित्सक के मुताबिक ठंड में लोगों को व्यापक सावधानी बरतने की जरूरत है. थोड़ी बहुत लापरवाही जान पर बन सकती है. साथ ही बच्चे, बुजुर्ग के साथ हार्ट, दमा व ब्लड प्रेसर के मरीज को खास सावधानी बरतने की जरुरत है.
गरीब की मदद व कंबल वितरण को नहीं उठ रहे हाथ
ठंड से आम जनजीवन के साथ व्यापक परेशानी गरीब, दलित व महादलित परिवार झेल रहे हैं. गरम व उनी कपड़े की कमी की वजह से इन लोगों पर यह दिन भारी पड़ रहा है. इस ठिठुरती ठंड में भी पेट के खातिर मजदूरी के लिए जाना होता है. दिन भर शीतलहर के बीच काम करना पड़ रहा है. ऐसे मौसम में अधिकतर लोग बीमार भी पड़ रहे है. दूसरी ओर बेघर लोग का तो दिन-रात दोनों समय ठंड के बीच ही कट रहा है. गरीब परिवारों की मानें तो जिला प्रशासन, जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता भी इस बार न जाने कहां खो गये हैं. अबकी कंबल वितरण करने वाला भी लोग आगे कम ही आ रहे है. वहीं कुछ लोगों का कहना है कि चुनाव का वक्त नहीं होने की वजह से ऐसे लोग उनके गांवों तक नहीं पहुंच रहे हैं.
इंटर परीक्षार्थी परेशान, सुबह कोहरे में ही पहुंचना पड़ता है केंद्र
इन दिनों जिले भर में इंटर प्रायोगिक की परीक्षा शुरू हो गयी है. करीब 15 हजार से अधिक परीक्षार्थी जिले भर के विभिन्न केंद्रों पर पहुंचकर प्रायोगिक परीक्षा दे रहे है. घने कोहरे के बीच ही परीक्षार्थियों की पहली पाली की परीक्षा शुरू हो जाती है. इसके लिए इसके लिए छात्रों व उनके अभिभावकों को सुबह सात बजे ही घर से निकलकर परीक्षा केंद्र पर जाना होता है. अधिकतर परीक्षार्थी ने बताया है कि ठंड से हाल बेहाल है. परीक्षा हॉल में हाथ व दिमाग सही से काम नही कर रहा है. यही हालत दुसरी पाली के परीक्षार्थी का भी बुरा हाल है. परीक्षा केंद्र से घर जाने में शाम हो जाती है. इस दौरान ठंड का मार झेलनी पड़ रही है.
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