संस्कृत हाइस्कूल के छात्र-छात्राओं को योजनाओं का नहीं मिलता लाभ फोटो नंबर-2,परिचय- विद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं की लगी भीड़हसपुरा (औरंगाबाद).प्रखंड के बड़ोखर गांव में 1979 में स्थापित एसके दीक्षित हरिजन संस्कृत हाइस्कूल अब भी सरकारी उपेक्षा का शिकार है. विद्यालय भवन, शिक्षण व्यवस्था दुरुस्त है. छात्र-छात्राओं के लिए खेल मैदान भी है, पर विद्यालय में चहरादीवारी नहीं है. विद्यालय के छात्र-छात्राओं को अब तक छात्रवृत्ति, पोशाक व साइकिल योजनाओं का लाभ नहीं मिला है. छात्र-छात्राओं में संध्या कुमारी, खूशबू प्रवीण, चंचला कुमारी, जूही कुमारी, प्रीति कुमारी, काजल कुमारी, रेणु कुमारी, ओमप्रकाश, सूरज, रीतेश, मनीष, सत्यम, रंजन कुमार ने बताया कि सभ्यता व संस्कृति की ज्ञान संस्कृत भाषा से ही मिल सकता है. इसके लिए विद्यालय में अपनी पढ़ाई कर रहा हूं. पर, सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. सरकारी स्कूलों में संस्कृत शिक्षक की कमी से संस्कृत की पढ़ाई नहीं होती, जबकि संस्कृत विषय अनिवार्य रूप से जरूरी है. विद्यालय के संस्थापक डाॅ तपेश्वर सिंह ने बताया कि सरकारी लाभ के लिए बराबर शिक्षा विभाग से मांग की जाती है. लेकिन सरकारी अनुदान नहीं मिल रहा है, जिससे बच्चों समेत शिक्षकों को सरकारी लाभ से वंचित होना पड़ रहा है.
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संस्कृत हाइस्कूल के छात्र-छात्राओं को योजनाओं का नहीं मिलता लाभ
संस्कृत हाइस्कूल के छात्र-छात्राओं को योजनाओं का नहीं मिलता लाभ फोटो नंबर-2,परिचय- विद्यालय परिसर में छात्र-छात्राओं की लगी भीड़हसपुरा (औरंगाबाद).प्रखंड के बड़ोखर गांव में 1979 में स्थापित एसके दीक्षित हरिजन संस्कृत हाइस्कूल अब भी सरकारी उपेक्षा का शिकार है. विद्यालय भवन, शिक्षण व्यवस्था दुरुस्त है. छात्र-छात्राओं के लिए खेल मैदान भी है, पर विद्यालय में […]
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