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करमडीह में मेडिकल टीम ने लोगों के स्वास्थ्य की जांच की

करमडीह में मेडिकल टीम ने लोगों के स्वास्थ्य की जांच की नहीं मिले डेंगू के मरीज(फोटो नंबर-27,28) परिचय-गांव में जांच करते चिकित्सकीय टीम, दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी अंबा (औरंगाबाद)प्रखंड के करमडीह गांव में गुरुवार को मेडिकल टीम पहुंची और लोगों के स्वास्थ्य की जांच की. टीम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ श्रीराम प्रसाद, […]

करमडीह में मेडिकल टीम ने लोगों के स्वास्थ्य की जांच की नहीं मिले डेंगू के मरीज(फोटो नंबर-27,28) परिचय-गांव में जांच करते चिकित्सकीय टीम, दवा का छिड़काव करते स्वास्थ्य कर्मी अंबा (औरंगाबाद)प्रखंड के करमडीह गांव में गुरुवार को मेडिकल टीम पहुंची और लोगों के स्वास्थ्य की जांच की. टीम में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ श्रीराम प्रसाद, डाॅ विजेंद्र कुमार, एएनएम उर्मिला कुमारी, एलटी राजीव कुमार, ललन राम व स्वास्थ्यकर्मी थे. गांव में बुखार से पीड़ित लोगों की जांच के बाद प्रभारी ने बताया कि डेंगू का असर नहीं है. वैसे मुंबई से आये लोग व उनके परिजन डेंगू के नाम से काफी सहमे हुए थे. टीम के अधिकारी ने पूरे गांव के लोगों से बुखार लगने की बात पूछा. श्याम रिकियासन ने बुखार होने के बात कही. जांच में उन्हें मलेरिया निगेटिव पाया गया. दो दिन पहले कामता, बृजु, रघुपत, तिलेश्वर, सुरेश, कृष्णा, अर्जुन व सुगन रिकियासन मुंबई से बुखार से पीड़ित आये थे. रेफरल अस्पताल कुटुंबा के डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें सोमवार को औरंगाबाद सदर अस्पताल रेफर किया था. जांच के बाद वहां से बृजु व कामता को डेंगू होने का संकेत मिला, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए पटना भेजा गया. हालांकि उपचार के बाद दोनों की स्थिति में सुधार है. जानकारी के अनुसार, रघुपत मुंबई में ही जांच करायी थी. जांच रिपोर्ट में प्लेटलेस काफी कम पाया गया था, जिससे चिकित्सकों को डेंगू होने का संदेह था. पर, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने बताया कि प्लेटलेस अन्य रोग में भी कम होता है.बिल्डिंग से जुड़े काम करने गये थे मजदूरकरमडीह में जो लोग बुखार से आक्रांत हैं, वे मुंबई से लोट कर आये हैं. मुंबई से आये रघुपत रिकियासन ने मेडिकल टीम के अधिकारी से बताया कि 22 दिन पहले हमलोग 12 व्यक्ति एक साथ मुंबई काम करने गये थे. वहां हमलोग बिल्डिंग से जुड़े कार्य करने लगे. काम करने के दौरान ही एक-एक कर सभी को बुखार आने लगा. इलाज कराने पर बुखार ठीक होता था,पर फिर से हो जाता था. रघुपत ने बताया कि हमने वहां बड़े हॉस्पिटल में जांच करायी, जहां के चिकित्सक ने उसे डेंगू बताया था. शेष सभी मजदूर सरकारी अस्पताल में इलाज कराये थे. बुखार जब ठीक नहीं हुआ तो 10 व्यक्ति घर आने लगे. रास्ते में ही राजेश भुइंया की मौत हो गयी. उसके शव को लोगों ने घर लेकर आया. दो मजदूर छोटन व टेपु मुंबई में ही काम कर रहे हैं. रघुपत ने बताया कि वे दोनों भी बीमार हैं. इलाज करा रहे हैं वे भी एक दिन में घर आ जायेंगे. गौरतलब है कि सदर अस्पताल औरंगाबाद से जिन्हें रेफर किया गया है उसमें कामता मृतक राजेश का भाई है.गांव में किया गया दवा का छिड़कावगांव में पहुंची चिकित्सकीय टीम ने बुखार से पीड़ित लोगों की जांच कर दवा दी और साफ-सफाई रखने की बात कही. प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने सोने के समय मच्छरदानी का उपयोग करने की बात भी कही. गांव की गलियों व नालियों में जहां पर जलजमाव है. वहां लारवीसाईड टेफलॉन दवा का छिड़काव किया गया. प्रभारी ने बताया कि शुक्रवार को गांव में फॉगिंंग कराया जायेगा. औरंगाबाद के सिविल सर्जन डाॅ आरपी सिंह ने बताया कि लारवीसाईड दवा के छिड़काव करने से डेंगू जैसे खतरनाक बीमारी फैलने की आशंका समाप्त हो जाती है.

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