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ढाई साल में परियोजना होगी पूरी बदलेगी किसानों की किस्मत

औरंगाबाद : 42 वर्षों से लंबित परियोजना और हजारों किसानों की उम्मीद उतर कोयल परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को निर्माण कार्य को प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर दी. लगभग 1600 करोड़ रूपये की राशि से बहुत जल्द परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा. 30 माह का डेड लाइन फिक्स किया गया है. […]

औरंगाबाद : 42 वर्षों से लंबित परियोजना और हजारों किसानों की उम्मीद उतर कोयल परियोजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को निर्माण कार्य को प्रशासनिक व तकनीकी स्वीकृति प्रदान कर दी. लगभग 1600 करोड़ रूपये की राशि से बहुत जल्द परियोजना का निर्माण कार्य प्रारंभ होगा.

30 माह का डेड लाइन फिक्स किया गया है. संभवत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी परियोजना का शिलान्यास करेंगे. इससे औरंगाबाद,गया और अरवल जिले के एक लाख 24 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी.मंत्रिमंडल की स्वीकृति के बाद औरंगाबाद जिले की अर्थ व्यवस्था भी पटरी पर आयेगी और किसानों का भाग्य भी बदल जायेगा. कल कारखाने का अभाव होने के कारण यहां के लोग मुख्यत: कृषि पर ही निर्भर है. ऐसे में उतर कोयल परियोजना लाखों परिवारों के लिए जीवनदायिनी साबित होगा. उक्त बातें औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने प्रेसवार्ता के दौरान कही. सांसद ने 42 वर्षों के दौर का जिक्र करते हुए कहा कि परियोजना में कई अड़चने आयी. एक समय ऐसा आया ,जब लगा कि हिम्मत जवाब दे जायेगी,लेकिन औरंगाबाद की जनता का शुक्रगुजार हूं कि उन्होंने लड़ने और संघर्ष करने की हिम्मत दी. आज मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद इस ऐतिहासिक पल का गवाह हमारे किसान खुद हुए है. परियोजना के निर्माण कार्य की सारी बाधाएं दूर हो गयी. अब न कोई अड़चन है और न कोई शर्त. पूरे संकल्प के साथ परियोजना के लिए संघर्ष किया. मंडल डैम,बराज व नहर का काम पूरा हो जायेगा तो संतुष्टि मिलेगी.

30 करोड़ की परियोजना पहुंची 1600 करोड़ के पास :उतर कोयल परियोजना औरंगाबाद जिले के लिए एक बड़ी परियोजना है. एक लाख 24 हजार हेक्टेयर भूमि इस परियोजना से सिंचित होंगे. मंडल डैम से सटे यानी पलामू जिले के 12 हजार हेक्टेयर भूमि को छोड़ दिया जाए तो एक लाख 12 हजार हेक्टेयर भूमि औरंगाबाद, गया और अरवल से संबंधित है.

इस परियोजना से औरंगाबाद जिले के नवीनगर,कुटुंबा,बारूण, औरंगाबाद,देव, मदनपुर और रफीगंज के 90 हजार हेक्टेयर भूमि सिंचित होगी,जबकि 22 हजार हेक्टेयर भूमि में आमस, गुरूआ,गुड़ारू,कोच, टेकारी ,परैया का कुछ भाग और अरवल जिले के कुर्था का कुछ भाग उतर कोयल से सिंचित होगा. परियोजना के कार्य को 1972 में स्वीकृति मिली थी. उस वक्त प्रारंभिक लागत 30 करोड़ थी,जो 1975 में कार्य प्रारंभ होने तक 80 करोड़ तक पहुंच गयी थी,लेकिन 900 करोड़ रूपये खर्च हो गये,पर परियोजना अधूरी रह गयी.

सबसे बड़ी समस्या कुटकु डैम में फाटक लगाने को लेकर उत्पन्न हुई और यही से परियोजना के कार्यों में रूकावट का दौर शुरू हो गया. वर्ष 2007 में भारत सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने जंगली क्षेत्रों को डुबाऊ होने और वन्य जीवो को नुकसान होने की स्थिति में मंडल डैम के निर्माण पर प्रतिबंध लगा दिया. तब से लेकर परेशानियो ंका दौर शुरू हो गया.

छह सदस्यीय सांसदों की टीम ने लगातार पीएम का दिलाया ध्यान :जीवनदायिनी उतर कोयल परियोजना के निर्माण कार्य को स्वीकृति दिलाने या प्रारंभ कराने के लिए छह सांसदो की टीम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लगातार ध्यान दिलाया. औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह,चतरा सांसद सुनील कुमार,जहानाबाद सांसद डाॅ अरूण कुमार, गया सांसद हरि मांझी ,राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह और पलामू सांसद बीडी राम ने परियोजना के निर्माण कार्य को पहली प्राथमिकता दी.

वर्ष 2014 के तहत सांसद सुशील कुमार सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ मनमोहन सिंह ,वन पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश से मिल कर ध्यान भी आकृष्ट कराया था,लेकिन सफलता नहीं मिली. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार व वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गया के चुनावी सभा में उतर कोयल परियोजना को पूरा कराने का वायदा किया था. 2 मई 2016 को सांसद सुशील कुमार के साथ सांसदो की टीम प्रधानमंत्री से मुलाकात की और परियोजना के निर्माण कार्य का आग्रह किया था. इसके बाद पीएमएओ कार्यालय भी गंभीर हुई

प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा ने लगातार बैठके की और प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा भी की. 16 अगस्त 2016 को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर ने मंडल डैम का निरीक्षण किया. उस वक्त उन्होंने मीडिया से कहा था कि जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा. 2 अगस्त 2017 को सांसदो की टीम ने एक बार फिर प्रधानमंत्री से मुलाकात की और परियोजना के प्रगति रिपोर्ट को उनके समक्ष रखा.

और अचानक अखबार कार्यालय की बज उठी घंटियां : उतर कोयल परियोजना को मंजूरी बाद प्रभात खबर दफ्तर में अचानक फोन की घंटियां बजने लगी.

कई किसानों व समाजसेवियों ने फोन कर परियोजना के निर्माण कार्य के मंजूरी पर प्रसन्नता जाहिर की. भरवार गांव के किसान भीम सिंह ,धनंजय सिंह, मड़रिया गांव के किसान सुरिष्ठ सिंह, दीनानाथ सिंह,अशोक सिंह, करहारा गांव के किसान बदन सिंह, माली के किसान हरिहर सिंह ,अवकाश प्राप्त शिक्षक रामनंदन सिंह , पेंशनर समाज के अध्यक्ष जगन्नाथ सिंह सहित अन्य समाजसेवियों ने औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह के कार्यों के प्रति आभार जताया और उनका भगिरथी प्रयास बताया.

नक्सल इलाके में भूमि उगलेगी सोना :औरंगाबाद जिला कई दशक से नक्सल प्रभावित जिले के रूप में जाना जाता है. जिन इलाकों को लाल गलियारे के नाम से जाना जाता है और जहां नक्सलियों के भय से हजारों एकड़ भूमि असिंचित है. अब वह भूमि सोना उगलने को तैयार है.

वैसे मुख्यत: औरंगाबाद कृषि प्रधान जिला है और कई वर्षों तक यहां के किसान सुखाड़ व अकाल की मार झेलते आये है. बहुत हद तक रोजगार के अभाव में लोगों का पलायन भी दूसरे प्रदेशों में हुआ है. अकेले देव,मदनपुर व कुटुंबा के इलाके से सैकडों परिवार रोजी रोटी की तलाश में पलायन किया है. ऐसे में परियोजना का काम पूरा होने के बाद पलायन तो रूकेगी ही,जो पलायन कर चुके है उनका भी आगमन हो जायेगा. जब हजारों एकड़ भूमि सिंचित होगी और खेतों में हरियाली आयेगी तो जिले की शान भी बढ़ेगी.

सांसद के भागीरथी प्रयास ने दिखाया रंग :उतर कोयल परियोजना के अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिए औरंगाबाद सांसद सुशील कुमार सिंह ने काफी मेहनत की है. सांसद के भागीरथी प्रयास का परिणाम है कि औरंगाबाद की धरती अब सिंचित होने को तैयार है.

उक्त बातें समाजसेवी व विधान पार्षद प्रतिनिधि आलोक कुमार सिंह ,सांसद प्रतिनिधि अश्विनी सिंह,देव के उप प्रमुख मनीष राज पाठक,भाजपा नेता अशोक कुमार सिंह,सुनील शर्मा ने कही. इन सभी लोगों ने परियोजना की मंजूरी पर हर्ष जताया है.

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