सासाराम : देश में बाल अपराधियों के लिए अलग-अलग कानून तो जरूर बने हैं, लेकिन, कानून का पालन अक्षरश: कितना होता है इसका अंदाजा शेरशाह सुरी इंटर स्तरीय विद्यालय में मैट्रिक की परीक्षा दे रहे बाल बंदी को देख कर लगाया जा सकता है.
वाहन का शीशा तोड़ने के मामले में आरोपित आरपीएस हाइस्कूल कवई के 14 वर्षीय छात्र सुनील कुमार सिंह को हथकड़ी के साथ पुलिस सुरक्षा (अभिरक्षा) में परीक्षा दिलायी जा रही है, जिससे जुवेनाइल जस्टिस कोर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट-2001 का मखौल उड़ रहा है.
परीक्षार्थी को रिमांड होम के बजाय उपकारा बिक्रमगंज से परीक्षा दिलाने के लिए केंद्र पर लाया जा रहा है. विडंबना यह कि कानून की सही जानकारी पुलिस को भी नहीं है. विधि जानकारों की मानें, तो बाल बंदी को पुलिस अभिरक्षा में रखना जुवेनाइल जस्टिस कोर प्रोडक्शन ऑफ चिल्ड्रेन एक्ट की धारा-10 का उल्लंघन है. एडमिट कार्ड के मुताबिक, सुनील की जन्मतिथि 1 फरवरी, 2000 तथा उसकी उम्र लगभग 14 साल है. एक्ट के अनुसार, उसे जेल के बजाय रिमांड होम में बगैर हथकड़ी रखना है. फौजदारी मामले के जानकार वकील राम मूर्ति सिंह कहते हैं कि 18 वर्ष से कम उम्र के लड़के-लड़कियों को किशोर की श्रेणी में रखा गया है.