पटना : बिहार के किशनगंज जिला में संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी के एएमयू की शाखा के शिलान्यास कार्यक्रम की जानकारी राज्य सरकार को नहीं देने को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपत्तिजनक और गलत परंपरा की शुरुआत बताते हुए आज कहा कि अगर वह समझते हैं इस प्रकार के आचरण से वे श्रेय लेने में कामयाब होंगे यह उनके लिए उल्टा पडेगा.
बिहार विधानसभा परिसर में अपनी पार्टी जदयू के राज्यसभा के लिए तीन सदस्यों के नामांकन के बाद पत्रकारों द्वारा किशनगंज में एएमयू की शाखा के आगामी 30 जनवरी को शिलान्यास कार्यक्रम की जानकारी राज्य सरकार को नहीं दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि यह बहुत आपत्तिजनक बात है और यह केंद्र और राज्य के बीच संबंधों का भी मसला है.
नीतीश ने कहा कि कहा कि एएमयू के कुलपति ने बिहार में अपने विश्वविद्यालय की शाखा खोले जाने के लिए उन्हें पत्र लिखा था और वे उनसे मिले भी थे जिस पर किशनगंज जिला जो कि शैक्षणिक दृष्टिकोण से बहुत ही पिछडा है वहां में एएमयू की शाखा खोले जाने का सुझाव उन्होंने ही दिया था जिस पर वे राजी हो गए थे नहीं तो वे कहीं और उसे खोलने का निर्णय लिया था. उन्होंने कहा कि किशनगंज में एएमयू की शाखा खोले जाने के लिए उस समय गठबंधन में सहयोगी दल :भाजपा: में विरोध के बावजूद हमने उसे दरकिनार करते हुए इसके लिए एक महीने के भीतर वहां मुफ्त जमीन भी उपलब्ध करा दी थी.
नीतीश ने कहा कि पहले दी गयी जमीन को एएमयू के कुलपति ने स्वीकार कर लिया पर बाद में उसे तीन टुकडों में होने पर उसे अस्वीकार कर देने पर हमने दो साल पूर्व ही दूसरा भूखंड उपलब्ध करा दिया था. नीतीश ने कहा कि जमीन देने के बावजूद काफी दिनों तक एएमयू की शाखा की स्थापना की दिशा में कोई कदम नहीं उठाए जाने पर हमलोगों के अनुरोध पर उन्होंने शैक्षणिक गतिविधियां प्रारम्भ की जिसके लिए राज्य सरकार ने मकान भी उपलब्ध कराया.
उन्होंने कहा कि एमएमयू की शाखा का दो साल पूर्व जमीन दिए जाने के बावजूद अब लोकसभा चुनाव के समय उसका शिलान्यास हो रहा है. उन्हें खुशी है और यह अच्छी बात है और शिलान्यास किसी से भी कराया जाए हम लोगों को कोई एतराज नहीं है, पर क्या शिलान्यास के कार्यक्रम में आमंत्रित और उसे सूचना नहीं दी जानी चाहिए. नीतीश ने कहा कि यह देश की जनता और मीडिया के समक्ष यह प्रश्न रखते हैं कि वे शिलान्यास के कार्यक्रम में राज्य सरकार को आमंत्रित नहीं किए जाने तथा सूचना नहीं दिए जाने को उचित या अनुचित समझते हैं, इस बारे में वे ही फैसला करें.
उन्होंने कहा कि यह कैसी परंपरा की शुरुआत और किस प्रकार का सुशासन है कि जिस केंद्रीय विश्वविद्यालय की शाखा को खोलने के लिए राज्य सरकार जमीन उपलब्ध कराया उसे ही शिलान्यास कार्यक्रम की सूचना नहीं दी जाती और उसे समारोह में शामिल होने के लिए आमंत्रित नहीं किया जाता और इसके लिए राज्य के शिक्षा मंत्री को पत्र लिखना पडता है. नीतीश ने कहा ‘कितने कायर लोग हैं, उन्हें डर लग रहा होगा कि राज्य सरकार के लोग जाएंगे तो उसका श्रेय उसे मिल जाएगा. वहां की जनता यह जानती नहीं है कि राज्य सरकार ने जमीन उपलब्ध करायी है और हर प्रकार का सहयोग दिया.’ उन्होंने इसे एक गलत पंरपरा की शुरुआत बताते हुए कहा कि यह दिखलाता है कि उनकी कार्य प्रणाली, कार्य संस्कृति, संस्कार और स्वभाव क्या है उसे दर्शाता है.
नीतीश ने कहा कि कहा कि यह न तो कांग्रेस या जदयू का कार्यक्रम है एक विश्वविद्यालय की शाखा खोले जाने का कार्यक्रम है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और केंद्र में उसे बाहर समर्थन करने वाले राजद को समाज आडिया, विचार, स्वभाव वाला गठबंधन बताया.
एएमयू किशनगंज के शिलान्यास को लेकर केंद्र-राज्य संबंधों में तनाव
किशनगंज में अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के कैंपस के शिलान्यास समारोह को लेकर केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवाद पैदा हो गया है. राज्य सरकार ने उसे बिना जानकारी दिये 30 जनवरी को इसका शिलान्यास समारोह तय करने को संघीय व्यवस्था पर चोट करार दिया है.
शिक्षा मंत्री पीके शाही ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री एमएम पल्लम राजू को सोमवार को पत्र लिख कर इस संबंध में नाराजगी जतायी. इसके शिलान्यास के लिए 30 जनवरी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी किशनगंज पहुंच रही हैं.
पत्र में शिक्षा मंत्री ने कहा है कि एएमयू के कैंपस के लिए राज्य सरकार ने मुफ्त में 224 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी है. लेकिन, राजनीतिक कारणों से और चुनावी लाभ लेने के उद्देश्य से केंद्र सरकार ने बिहार सरकार को इसके शिलान्यास समारोह और इसमें सोनिया गांधी के शामिल होने की जानकारी देना उचित नहीं समझा है. पूरे समारोह से बिहार सरकार को अलग और अंधेरे में रखा गया है. शाही ने नाराजगी भरे लहजे में कहा है कि इस समारोह को राजनीतिक समारोह और चुनावी योजना में नहीं बदलना चाहिए. एएमयू केंद्रीय विवि है और इसका कोई भी समारोह सरकारी होता है. ऐसे में राज्य सरकार को इसकी औपचारिक सूचना देनी चाहिए. लेकिन, इसके शिलान्यास समारोह की सूचना राज्य सरकार को अखबारों से मिली, जबकि इस समारोह में केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय और अलीगढ़ मुसलिम विवि के कुलपति ने प्रदेश के राज्यपाल डीवाइ पाटील को आमंत्रित किया है.
श्री शाही ने पत्र में लिखा है कि प्रस्तावित समारोह की जानकारी राज्य सरकार, शिक्षा और दूसरे विभागों को विधिवत नहीं दी गयी है. इसका शिलान्यास स्थानीय कांग्रेसी सांसद करा रहे हैं, जबकि इसकी स्थापना के लिए बिहार सरकार ने 224 एकड़ जमीन नि:शुल्क दी है. इसमें राज्य सरकार को कोई जानकारी न देना समझ से परे है. समारोह में सोनिया गांधी के साथ-साथ आपके (केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री) भी आने की सूचना है. साथ ही जब राजभवन से इसके बारे में सूचना ली गयी, तो पता चला कि अलीगढ़ मुसलिम विवि के कुलपति भी इसमें शिरकत करेंगे. अगर राज्य सरकार को शिलान्यास समारोह की जानकारी होती, तो राज्य सरकार अपनी ओर से भी इसकी तैयारी करती.
दो साल तक निर्माण शुरू नहीं हुआ
शिक्षा मंत्री पीके शाही ने पत्र में कहा है एएमयू के कैंपस के लिए बिहार सरकार ने एक महीने में एक ही जगह पर 224 एकड़ जमीन उपलब्ध करायी थी. पहले जो जमीन उपलब्ध करायी गयी थी, वह तीन भागों में थी. इस पर एएमयू की टीम ने सवाल उठाये थे. इस मामले को लेकर मैंने तत्कालीन केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल से मिला, तो उन्होंने किशनगंज में एएमयू का कैंपस खोलने के प्रस्ताव से ही इनकार कर दिया था. उन्होंने यह भी कहा था कि यह मामला इलाहाबाद हाइकोर्ट में लंबित है. जमीन विवाद के बाद राज्य सरकार ने एक जगह पर एएमयू के कुलपति को 224 एकड़ जमीन दिखायी, जो उन्हें पसंद आ गयी. इसके बाद ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव की मौजूदगी में दिसंबर, 2011 में किशनगंज के डीएम को उपलब्ध करा दी गयी थी. लेकिन, दो साल तक निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं की गयी. जब इसके निर्माण कार्य को लेकर स्थानीय लोगों की जिज्ञासाएं बढ़ने लगीं, तो राज्य सरकार ने आसपास के कुछ भवनों को अलीगढ़ मुसलिम विवि को सौंपा, जिनमें बीएड की पढ़ाई शुरू हुई है.
2009-10 में केंद्र सरकार ने एएमयू के चार नये कैंपस खोलने का फैसला किया था
केरल में मालापुरम, प बंगाल में मुर्शिदाबाद, बिहार में किशनगंज व महाराष्ट्र के औरंगाबाद में ये कैंपस प्रस्तावित थे
मुर्शिदाबाद और मालापुरम में कैंपस खुल चुके हैं
किशनगंज कैंपस के लिए राज्य सरकार ने दिसंबर, 2011 में ही चकला में एक जगह पर जमीन उपलब्ध करा चुकी है
2013 में अल्पसंख्यक छात्रों के लिए बने दो हॉस्टलों को राज्य सरकार ने एएमयू को सौंपा, जहां बीएड व एमएड की पढ़ाई शुरू हुई