पटना: विधान परिषद की नौ सीटो के लिए होनेवाले चुनाव में इस बार जदयू अतिपिछड़ों को तरजीह देगा. नौ में से चार सीटें जदयू कोटे की खाली हो रही हैं. इनमें से दो सीटों पर इसी वर्ग से हीरा बिंद व सतीश कुमार सदस्य हैं. तीसरी सीट पर हारूण रशीद व चौथी सीट पर शिक्षा मंत्री पीके शाही काबिज हैं.
विधानसभा के संख्या बल के आधार पर जदयू इस बार के चुनाव में भी चार सीटों पर जीत हासिल कर सकेगा. लोस चुनाव के मद्देनजर पार्टी की नजर अतिपिछड़ों पर अधिक होगी.
जानकारी के मुताबिक, पार्टी इस बार वोट बैंक के लिहाज से मजबूत रही अतिपिछड़ी जातियों में कुम्हार, लोहार, सोनार से आनेवाले नेता व कार्यकर्ताओं को विधान परिषद में भेज कर चुनावी लाभ हासिल कर सकती है. कुम्हार जाति का विधान परिषद में हाल के दिनों में कोई प्रतिनिधित्व नहीं हो पाया है. 1995 में लालू प्रसाद के कार्यकाल में हरिशंकर पंडित को विधान परिषद का सदस्य बनाया गया था. आबादी के हिसाब से इस वर्ग के कुल मतदाताओं की संख्या सवा सत्रह लाख से अधिक है. खबर है कि विधान परिषद में जगह दिये जाने वाले नेता व कार्यकर्ताओं को लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाने को कहा गया जायेगा.
ऐसे लोगों को लोकसभा चुनाव क्षेत्र का प्रभारी बना कर निर्वाचन क्षेत्र में ड्यूटी लगायी जायेगी. हीरा बिंद नोनिया व सतीश कुमार तुरहा जाति का प्रतिनिधित्व करते हैं. इनमें एक सीट अल्पसंख्यक कोटे को दी जायेगी. पीके शाही को यदि लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया जायेगा, तो उनकी जगह किसी दूसरे कार्यकर्ता को विधान परिषद भेजा जायेगा. इसके अतिरिक्त मनोनयन कोटे की 12 सीटों को लेकर भी कयास लगने शुरू हो गये हैं. 24 जनवरी को राज्यपाल के पटना आने के बाद दावेदारों की गोलबंदी और तेज हो जायेगी. पार्टी सूत्र बताते हैं कि राज्यसभा की पांच सीटों में तीन सीटें जदयू कोटे की हैं. इनमें पूर्व की तरह वर्तमान सदस्यों को रिपीट किया जा सकता है. लेकिन, लोकसभा चुनाव के मददेनजर परंपरा से हट कर नये लोगों को भी जगह मिल सकती है.