पटना: टीइटी और एसटीइटी में इग्नू के बैचरल प्रिपरेटरी प्रोग्राम (बीपीपी) को मान्यता नहीं है. बीएड व एमएड करने के बावजूद बेगूसराय के सुशील कुमार का शिक्षक के पद पर नियोजन इसलिए नहीं हो पाया है कि उसके पास इंटर के अंकपत्र के बजाय बीपीपी का सर्टिफिकेट है. सुशील ने 2011 में एसटीइटी पास किया. उसने शिक्षक पद पर नियोजन के लिए 10 जिलों में आवेदन दे रखा है. लेकिन, उसका नियोजन इस कारण अटक गया, क्योकि उनके पास इग्नू के बीपीपी का सर्टिफिकेट है.
बीपीपी के तहत विद्यार्थी मैट्रिक के बाद अप्लाइ कर सकता है. सुशील कुमार ने बताया कि मैट्रिक करने के बाद इग्नू में इसका कोर्स होता है, जो इंटर के समकक्ष है. इसका नोटिफिकेशन यूजीसी द्वारा निकाला जाता है. प्रवेश परीक्षा पास करने के बाद छह महीने के बीपीपी करने के बाद सीधे ग्रेजुएशन में एडमिशन हो जाता है. मैंने इस कोर्स के बाद ग्रेजुएशन किया. फिर बीएड और एमएड की डिग्रियां लीं. इसके बाद 2011 में एसटीइटी में क्लालिफाइ किया. लेकिन, नियोजन के समय इंटर का अंकपत्र मांगा गया. लेकिन मेरे पास इंटर का अंकपत्र नहीं है, इसलिए शिक्षा विभाग ने मुङो रिजेक्ट कर दिया.
कोर्ट के आदेश के बावजूद नियोजन नहीं शिक्षा विभाग से निराश होकर सुशील कुमार ने हाइकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हाइकोर्ट ने 17 जून, 2013 को आदेश दिया कि बीपीपी करनेवाले सभी अभ्यर्थियों को नियोजित किया जाये. लेकिन, छह महीने गुजर जाने के बाद भी सुशील कुमार का नियोजन अब तक नहीं किया गया है. ज्ञात हो कि हर साल लाखों की संख्या में बीपीपी के तहत स्टूडेंटस कोर्स करते है.
इग्नू के दरभंगा क्षेत्र के निदेशक एसएस सिंह ने कहा,मामला मेरी भी जानकारी में है. कई बार राज्य सरकार को लिखा गया कि बीपीपी प्रोग्राम में मदद कीजिए, मान्यता दीजिए. मगर अब तक कोई रिस्पांस नहीं मिल सका है. इस तरह के मामले जब भी हमारे पास आते हैं, तो सरकार को लिखा जाता है. छह महीने के इस कोर्स में हर बार 150 से 200 अभ्यर्थी दाखिला लेते हैं. किसी कारणवश पढ़ाई पूरी नहीं करनेवाले शख्स 18 साल की उम्र पूरी करने के बाद इस कोर्स में एडमिशन लेते हैं. इस कोर्स को करने के बाद इंटर करने की जरूरत नहीं होती. इसके बाद सीधे ग्रेजुएशन में दाखिल लिया जा सकता है.’’