पटना: पूछताछ में मंगलोर निवासी मो जुबैर ने मनी ट्रांजेक्शन की बात स्वीकार की है. इस काम में लखीसराय की बड़ी दरगाह निवासी मो दाऊद उसका साथ देता था. जुबैर ने स्वीकार किया कि तीन माह में 51 बैंक खातों से करीब एक करोड़ रुपये की निकासी की गयी है. उसने मंगलोर में अपने नाम से बैंक खाता न खोल कर पत्नी आयशा बानो के नाम से खोल रखा था. आयशा के ही दस्तखत से बैंकों से पैसे निकाले जाते थे. लखीसराय में पुलिस द्वारा दबिश दिये जाने के बाद फरार हुए मो दाऊद से उसकी फिर बातचीत नहीं हुई. जुबैर ने उसके बारे में विशेष जानकारी नहीं होने की बात कही. बताया कि पैसे के लेन-देने को लेकर उन्हें पाकिस्तान से ही दिशा-निर्देश मिलते थे. उसने हिंदी व टूटी फूटी अंगरेजी में सारी बातें बतायीं.
सऊदी में हुई थी इब्राहिम से मुलाकात :जुबैर की सऊदी अरब में पाकिस्तानी नागरिक इब्राहिम से मुलाकात हुई थी. उसने सऊदी अरब में करीब छह साल तक प्राइवेट फर्म में नौकरी की थी. यह प्राइवेट फर्म पाकिस्तानी नागरिक द्वारा ही संचालित होता था. पाकिस्तानी नागरिक इब्राहिम से मुलाकात कराने में लखनऊ (उत्तरप्रदेश) निवासी एक मुसलिम युवक की महत्वपूर्ण भूमिका थी. पुलिस मुख्यालय सूत्रों के अनुसार मो जुबैर व आयशा बानो के साथ लंबी पूछताछ की गयी. इस दौरान उन्होंने अपने बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारियां दीं. जुबैर बैंक एकाउंट से ट्रांजेक्शन की पूरी जानकारी रखता है. सऊदी अरब के पाकिस्तानी प्राइवेट फर्म की नौकरी छोड़ने के बाद उसने भारत आकर पहला बैंक एकाउंट खोला. इसके लिए उसने अपनी पत्नी आयशा बानो को माध्यम बनाया.
आयशा बानो की गोद में है चार माह काबच्चा
बीएमपी-5 में जहां देर रात आयशा बानो व मो जुबैर के लिए रोटी और सब्जी खाने की व्यवस्था की गयी थी, वहीं आयशा की गोद में खेल रहे एक चार माह के बच्चे के लिए अलग से दूध का इंतजाम किया गया. आयशा बानो व मो जुबैर से पूछताछ के लिए पहुंचे बिहार पुलिस के आलाधिकारी ने पहला सवाल पूछा- आपको कोई तकलीफ तो नहीं है? मो जुबैर ने तो किसी तकलीफ होने की बात नहीं की, पर आयशा ने कहा कि उसे पेट में दर्द हो रहा है. तत्काल पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर लेडी डॉक्टर को बुलाया गया. लेडी डॉक्टर ने जांच कर कुछ दवाएं दीं.
लखीसराय कोर्ट में हुई पेशी, गये जेल
एक स्थानीय कोर्ट में शनिवार को आयशा व जुबैर की पेशी हुई. कोर्ट ने दोनों को जेल भेज दिया. हालांकि, स्थानीय पुलिस ने सीजेएम न्यायालय में तीन दिनों के लिए रिमांड पर लेने के लिए आवेदन दिया था. इसे न्यायालय ने अस्वीकार कर दिया. एसडीओ सुबोध विश्वास ने बताया कि सोमवार को पुन: रिमांड पर लेने के लिए आवेदन दिया जायेगा. आयशा व जुबैर के लखीसराय आने की सूचना से कोर्ट में सुबह से ही गहमागहमी बनी रही. जानकारी के अनुसार कोर्ट में पेशी के पूर्व लखीसराय पुलिस ने आयशा व उसके पति से पूछताछ भी की. पूछताछ में कई जानकारियां मिली हैं. एसडीपीओ सुबोध विश्वास ने बताया कि दोनों आरोपितों ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया है. जब्त मोबाइल फोन व एटीएम सहित अन्य कागजात को खंगालने के बाद कई ठोस सबूत मिले हैं.
आतंकी बकास भी ठहरता था रिटायर्ड डीएसपी के घर
पटना बम ब्लास्ट के मास्टर माइंड तहसीन अख्तर उर्फ मोनू के साथ ब्लास्ट की साजिश रचनेवाले पाकिस्तानी आतंकी बकास उर्फ जावेद उर्फ अहमद का भी रिटायर्ड डीएसपी इमरान अहमद के घर बेरोक-टोक आना-जाना लगा रहता था. वह रांची जब भी जाता था, तो रिटायर्ड डीएसपी के घर ही छिपता था. इसका खुलासा रिमांड पर लिये गये आतंकी इम्तियाज अहमद ने किया है. इम्तियाज की मुलाकात तहसीन के साथ बकास से डीएसपी के घर ही हुई थी. बकास पर एनआइए ने दस लाख का इनाम घोषित कर रखा है. बकास हैदराबाद बम ब्लास्ट, दिल्ली बम ब्लास्ट, अहमदाबाद बम ब्लास्ट के साथ ही महाबोधि मंदिर बम ब्लास्ट में भी शामिल था. वह अंतिम बार मंगलोर के अट्टावास रोड स्थित जेफार लाइट अपार्टमेंट के फ्लैट संख्या 301 में देखा गया था. इसके बाद वह ऐसा गायब हुआ कि अब तक एनआइए की गिरफ्त में नहीं आया है. वह इंडियन मुजाहिद्दीन के लिए पाकिस्तान के साथ संपर्क सूत्र का भी काम करता है. पाकिस्तान में भी उसके कई आका मौजूद हैं. उसी के इशारे पर वह इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकियों के साथ भारत के कई शहरों में सीरियल बम ब्लास्ट को अंजाम दे चुका है. सूत्रों का कहना है कि वह भारत में आइएसआइ के लिए भी काम करता है.
आइएसआइ के कई उच्च अधिकारियों से उसके गहरे रिश्ते हैं. आइएसआइ उसे महीने में लाखों रुपये भी देती है. उसके पास कई बैंकों का एटीएम कार्ड भी है. बकास इतना शातिर है कि वह फर्जी नाम-पते पर अक्सर सिम कार्ड खरीदा है. इसी सिम कार्ड से वह पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं के साथ आइएम के रियाज भटकल व दूसरे आतंकियों से भी बातें किया करता है. वह एक सीम कार्ड को दो-चार दिनों तक इस्तेमाल करने के बाद उसे तोड़ कर फेंक दिया करता है. वह अपना हुलिया बदलने में भी माहिर है.
भटकल के साथ मिल कर महाबोधि मंदिर ब्लास्ट की रची थी साजिश एनआइए सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बोधगया स्थित महाबोधि मंदिर में इसी साल सात जुलाई को हुए सीरियल ब्लास्ट की साजिश भी बकास ने यासीन भटकल के साथ मिल कर डीएसपी के घर ही रची थी. डोरंडा स्थित रिटायर्ड डीएसपी के घर के साथ ही इरम लॉज आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकाने बने हुए थे. इरम लॉज में जहां आतंकी बमों के बनाने के साथ स्टोर किया करते थे, वहीं रिटायर्ड डीएसपी के घर छिपने व साजिश रचने के लिए इस्तेमाल किया जाता था. रांची के डोरंडा से ही गिरफ्तार आइएम के आतंकी उजैर अहमद का भी रिटायर्ड डीएसपी के घर अक्सर आया-जाया करता था. उजैर को एनआए ने 30 अक्तूबर को दिल्ली व बोध गया में हुए सीरियल ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किया था. पूछताछ में उजैर ने भी आतंकियों के कई ठिकानों के बारे में एनआइए को बताया है.
पीएमसीएचसेआतंकीइम्तियाजडिस्चार्ज
टना सीरियल बम ब्लास्ट के मामले में पकड़े गये इम्तियाज की हालत में सुधार होने के बाद शनिवार की सुबह पीएमसीएच से डिस्चार्ज कर दिया गया. सांस लेने में तकलीफ व छाती में दर्द की शिकायत को लेकर उसे डॉ विभू श्रीवास्तव के यूनिट में भरती कराया गया था. अधीक्षक अमर कांत झा अमर ने बताया कि मरीज की हालत सामान्य हो चुकी है. उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है.