-जल्द मिलेंगे ग्रामीणों को हथियार के लाइसेंस
प्रभात खबर टोली, पटना/औरंगाबादः औरंगाबाद जिले के खुदवां थाना क्षेत्र के पथरा व पिसाय गांवों के बीच हुए लैंडमाइंस विस्फोट मामले में सात नामजद और 50 अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. घटना के दूसरे दिन पुलिस ने इस इलाके में कांबिंग ऑपरेशन शुरू किया. हालांकि, अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है. उधर, विस्फोट में मारे गये सभी सात लोगों के शवों का पोस्टमार्टम करा कर शव उनके परिजनों को सौंप दिये गये. पिसाय समेत इसके आसपास के गांवों में मातम के साथ आक्रोश भी है.
गुरुवार की शाम पिसाय गांव के नजदीक नक्सलियों द्वारा बिछाये गये लैंडमाइंस के विस्फोट में सात लोग मारे गये थे. मृत सुशील पांडेय की पत्नी सुधा देवी के बयान पर खुदवां थाने में दर्ज करायी गयी प्राथमिकी में कुशा निवासी सुनील सिंह, बबन यादव, मंगल राम, नरेश यादव और चंदा गांव निवासी विनायक सिंह, नागेंद्र सिंह व विजय सिंह और 50 अज्ञात लोगों को आरोपित बनाया गया है. सुधा देवी जिला पर्षद की सदस्य हैं. अपर पुलिस महानिदेशक, मुख्यालय रवींद्र कुमार ने शुक्रवार को पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि नामजद आरोपितों में से दो सुनील सिंह व मंगल राम का पूर्व में भी आपराधिक इतिहास रहा है. उन्होंने बताया कि घटना शाम 5:00 बजे के करीब हुई थी. दर्ज प्राथमिकी में सुधा देवी ने बताया कि उनके पति अरंडा से पिसाय गांव आ रहे थे, तभी पथरा से पिसाय जानेवाली कच्ची सड़क पर चातर बिगहा के पास विस्फोट कर उनके वाहन को उड़ा दिया गया. उस वक्त मैं अरंडा की ओर जा रही थी, तभी रास्ते में घटना की सूचना मिली. एडीजी, मुख्यालय ने बताया कि पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर अपर पुलिस महानिदेशक, विधि-व्यवस्था एसके भारद्वाज, आइजी ऑपरेशन अमित कुमार, पटना के आइजी सुशील एम खोपड़े, मगध रेंज के डीआइजी घटनास्थल पर कैंप कर रहे हैं.
सात नामजद आरोपित
सुनील सिंह, बबन यादव, मंगल राम, नरेश यादव (कुशा गांव), विनायक सिंह, नागेंद्र सिंह व विजय सिंह (चंदा गांव)
नक्सलग्रस्त इलाकों में अलर्ट
एडीजी मुख्यालय श्री कुमार ने बताया कि इंटेलिजेंस से मिल रही सूचनाओं के आधार पर लैंडमाइंस विस्फोट के बाद औरंगाबाद सहित आसपास के जिलों में सुरक्षा बलों को अलर्ट कर दिया गया है. साथ ही औरंगाबाद जिले में कांबिंग ऑपरेशन शुरू कर दिया गया है. इसमें जिला पुलिस बल, स्पेशल टास्क फोर्स, सैप व सीआरपीएफ को लगाया गया है. आरोपितों के ठिकानों की सघन जांच की जा रही है. नक्सलियों को शरण लेने वाले स्थलों को सर्च किया जा रहा है. एफएसएल की टीम ने घटनास्थल से विस्फोट के नमूने व अन्य साक्ष्य एकत्र किया है.
हेलीकॉप्टर से पहुंचे औरंगाबाद के नये एसपी
-गोपाल प्रसाद सिंह, औरंगाबाद कार्यालय-
औरंगाबाद के नये एसपी उपेंद्र कुमार शर्मा लैंडमाइंस विस्फोट कांड की जांच में जुट गये हैं. वह शुक्रवार की सुबह नौ बजे हेलीकॉप्टर से औरंगाबाद पहुंचे. औरंगाबाद के पूर्व एसपी दलजीत सिंघ को सरकार ने रातों-रात हटा दिया. उनका स्थानांतरण लोगों के आक्रोश को देखते हुए किया गया है. गुरुवार की शाम जब घटना हुई, तो एसपी दलजीत सिंघ खुद ढाई घंटे देर से घटनास्थल पर पहुंचे थे. खुदवां थाने की पुलिस भी दो घंटे बाद पहुंची. इससे लोग काफी आक्रोशित थे. वे श्री सिंघ को घटनास्थल पर पहुंचने नहीं दे रहे थे. उनके खिलाफ लगातार नारेबाजी भी हो रही थी. इसी से यह लगने लगा था कि एसपी का जाना तय है. रात 11 बजे के करीब घटनास्थल पर एडीजे एसके भारद्वाज, आइजी ऑपरेशन अमित कुमार, आइजी सुशील खोपड़े व डीआइजी बच्चू सिंह मीणा पहुंचे. उन्होंने लोगों को बताया कि एसपी को हटा दिया गया है. आप लोग शव उठाने दीजिए. लेकिन, पूरी रात पुलिस-प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी होती रही. इस बीच, सांसद सुशील कुमार सिंह व गोह के विधायक रणविजय सिंह ने भी काफी प्रयास किया. लेकिन, शव नहीं उठा पाये. सुबह सांसद व विधायक के नेतृत्व में फिर पुलिस प्रशासन के पदाधिकारी मृतकों के परिजनों के पास पहुंचे. परिजनों ने मृतक के प्रत्येक परिवार को सरकारी नौकरी, 10-10 लाख रुपये मुआवजा, पिसाय गांव में पुलिस पिकेट व गांव के सभी लोगों को शस्त्र का लाइसेंस देने की मांग रखी.
पांच-पांच लाख के चेक दिये गये, सुबह राजी हुए परिजन
सांसद व पुलिस के वरीय पदाधिकारियों ने सरकार से वार्ता कर मृतक के प्रत्येक परिवार को पांच-पांच लाख रुपये के मुआवजे के चेक दिये. उन्होंने पिसाय गांव में पुलिस पिकेट खोलने का आश्वासन दिया और तीन दिनों के भीतर जिलाधिकारी ने शस्त्र के लिए आवेदन स्वीकार करने की बात कही. इसके बाद घटनास्थल पर ही शवों का पोस्टमार्टम कर परिजनों को सौंप दिया गया.
बाल-बाल बचा बीमार बच्चा
पुलिस मुख्यालय सूत्रों ने बताया लैंडमाइंस विस्फोट के स्थल पर कच्ची सड़क में गड्ढे पाये गये हैं. एक आशंका यह भी थी कि कहीं सुशील पांडेय की गाड़ी में पूर्व से ही तो बम नहीं लगाये गये थे. लेकिन, घटनास्थल पर बने गड्ढे को देखते हुए ऐसा लगता है कि लैंडमाइंस विस्फोट कराया गया है. पुलिस को यह जानकारी भी मिली है कि सुशील पांडेय की सफारी गाड़ी के गुजरने के पूर्व इसी रास्ते से दो मोटरसाइकिलें गुजरी थीं. एक मोटरसाइकिल पर वह बीमार बच्चा भी था, जिसे सांप ने डंसा था और जिसका इलाज करा कर वह लौट रहे थे. दोनों मोटरसाइकिलें गुजरने के बाद जैसे ही सफारी गाड़ी पहुंची, उसमें विस्फोट हो गया और वाहनों के परखचे उड़ गये.
क्या कहा सुशील मोदी ने
सरकार की नरमी से नक्सली बिहार को सेफ जोन व बेस बनाते जा रहे हैं. सरकार पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये मुआवजा व एक -एक परिजन को नौकरी दे. लापरवाही बरतनेवाले पुलिसकर्मियों पर सरकार कार्रवाई करे.
सुशील कुमार मोदी, पूर्व उपमुख्यमंत्री
इस खबर से संबंधित और जानकारी
13 जून के बाद नक्सलियों द्वारा अंजाम दी गयी बड़ी घटना
13 जून को नक्सलियों के बड़े समूह द्वारा जमुई के कुंदर हाल्ट के पास धनबाद-पटना इंटरसिटी पर हमला बोल दिया था. इसके बाद इसे एक बड़ी घटना के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि 19 सितंबर को जमुई में ही खैरा पहाड़ी के गिधेश्वर थाना पर हमला कर एक पुलिसकर्मी की हत्या नक्सलियों द्वारा कर दी गयी थी.औरंगाबाद जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर ओबरा थाने के पिसाय गांव के पास नक्सलियों ने गुरुवार की शाम साढ़े पांच बजे लैंड माइंस विस्फोट कर सात लोगों की जान ले ली. विस्फोट में जिला पार्षद सुधा देवी के पति सुशील पांडेय की भी मौत हो गयी. विस्फोट इतना जबरदस्त था कि वाहन के परखचे उड़ गये. शव जहां-तहां बिखर गये.
विस्फोट के बाद फायरिंग
सुशील पांडेय के गांव पिसाय के एक बच्चे को सांप ने डंस लिया था. उसका इलाज ओबरा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चल रहा था. उसकी हालत में सुधार के बाद सुशील पांडेय गांववालों के साथ अपनी सफेद रंग की सफारी गाड़ी से गांव लौट रहे थे. जैसे ही उनकी गाड़ी पथरा और पिसाय गांवों के बीच पहुंची, जबरदस्त लैंड माइंस विस्फोट हुआ. इसमें उनकी गाड़ी काफी ऊंचाई तक हवा में लहरा कर जमीन पर टुकड़ों में गिरी. विस्फोट के बाद नक्सलियों ने गाड़ी पर फायरिंग भी की. विस्फोट इतना जबरदस्त था कि गाड़ी में सवार सभी लोगों के शव क्षत-विक्षत हो गये.एक शव घटनास्थल पर पाया गया, जबकि अन्य शव 200 से 300 गज की परिधि में बिखरे मिले. कपड़ों से मृतकों की पहचान की जा सकी. विस्फोट की आवाज सुन कर पथरा गांव के लोग दौड़े, तो नक्सलियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की.
सुशील पांडेय पहले से भाकपा माओवादी के निशाने पर थे. उन पर कई मामले दर्ज थे. रणवीर सेना के साथ भी उनका करीबी रिश्ता रहा था. घटनास्थल ओबरा व दाउदनगर के बीच है. इस इलाके में पहली बार नक्सलियों ने इतनी बड़ी घटना को अंजाम दिया है.
विस्फोट की सूचना के बाद तत्काल आसपास के जिलों से पुलिस बल को घटनास्थल के लिए रवाना किया गया. औरंगाबाद के एसपी भी घटनास्थल पर पहुंचे.
एसपी हटाये गये, पांच-पांच लाख मुआवजा
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना के तुरंत बाद अपने आवास पर डीजीपी अभयानंद के साथ बैठक कर स्थिति की समीक्षा की. इसके बाद औरंगाबाद के एसपी दलजीत सिंह को हटा कर उनकी जगह उपेंद्र कुमार शर्मा को नया एसपी बनाया गया है. श्री सिंह को मुख्यालय बुला लिया गया है. श्री शर्मा दरभंगा के एसपी थे. साथ ही मुख्यमंत्री ने हमले में मारे गये सभी लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने की घोषणा की. बैठक में मुख्यमंत्री ने डीजीपी से कहा कि नक्सलियों के खिलाफ वह राज्यव्यापी सघन अभियान चलाएं. वहीं, उन्होंने घटनास्थल पर पुलिस के आलाधिकारियों को भेजने का निर्देश दिया. इसके बाद एडीजी, मुख्यालय और मगध रेंज के आइजी व डीआइजी को घटनास्थल पर रवाना किया गया. मुख्यमंत्री ने डीजीपी से दो टूक शब्दों में कहा कि नक्सली घटना को लेकर सरकार किसी भी स्तर पर समझौता नहीं करेगी. इसे रोकने के लिए जो भी संभव कार्रवाई है, की जानी चाहिए.
ग्रामीणों ने शव नहीं उठने दिये
हमले की सूचना मिलते ही हजारों लोग घटनास्थल पर पहुंचे, पर पुलिस को पहुंचने में डेढ़ घंटे लग गये. दाउदनगर के एसडीपीओ के साथ बड़ी संख्या में सीआरपीएफ व कोबरा के जवान भी पहुंचे. लोगों ने पुलिसवालों को शव उठाने से मना कर दिया. उनका कहना था कि जब तक मुख्यमंत्री यहां नहीं आते, शवों को नहीं उठने दिया जायेगा. देर रात तक मान-मनौव्वल जारी था.
हाल ही में जेल से छूटे थे सुशील
पटनाः एडीजी, मुख्यालय रवींद्र कुमार ने कहा कि नक्सली ही अमूमन लैंड माइंस विस्फोट करते हैं. ऐसे में नक्सलियों के मंसूबों का पता लगाने के लिए जांच शुरू कर दी गयी है. पटना से एफएसएल की टीम को घटनास्थल पर भेजा गया है. सुशील पांडेय हाल ही में जेल से छूट कर बाहर आये थे. उन्होंने सुशील के किसी प्रतिबंधित संगठन से संबंधित होने से इनकार करते हुए कहा कि इसकी जांच करायी जा रही है.
ये मारे गये हमले में
सुशील पांडेय, पप्पू पांडेय, सुभाष पांडेय, प्रवेश पांडेय, राम वल्लभ उपाध्याय, मनीष पांडेय व योगेंद्र पांडेय
नक्सलियों के निशाने पर थे सुशील
औरंगाबादः पिछले काफी दिनों से सुशील पांडेय उग्रवादियों के हिट लिस्ट में थे. लेकिन, मौका हाथ नहीं लग पा रहा था. दरअसल, श्री पांडेय अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने में सक्षम व्यक्ति थे. इसलिए वह उग्रवादियों की हिट लिस्ट में नाम दर्ज होने के बावजूद बच रहे थे. पर, हाल में दाउदनगर इलाके में नक्सलियों की ताकत कम होने का संकेत मिलने के साथ ही श्री पांडेय की सुरक्षा के प्रति तत्परता भी कम हो गयी थी. उन्हें अब विश्वास हो गया था कि नक्सली इस क्षेत्र में कमजोर हो गये हैं. लगता है नक्सलियों ने इस स्थिति का लाभ उठाया.
आसान नहीं था सामना करनाः सुशील पांडेय दाउदनगर के एक चर्चित व्यक्ति थे. इनके सामने न तो कोई अपराधी टिकते थे और न नक्सली. नक्सली संगठन भले ही इन्हें मुख्य टारगेट में रखे थे, लेकिन इन पर सीधा हमला करने की स्थिति में संगठन भी नहीं था. इसीलिए लैंड माइंस का सहारा लिया गया. वह भी ऐसे समय में, जब वे अपने गांव के एक बच्चे को अस्पताल से देख कर वापस लौट रहे थे.
परिजनों को शांत कराने के लिए लोगों की कतार लग गयी. लेकिन इस घटना के बाद सांत्वना से काम बनते नहीं दिख रहा था. समझाने वाले भी अपनी आंखों के आंसू रोक नहीं पा रहे थे. सुशील पांडेय की पत्नी व जिला पार्षद सुधा देवी की हालत खराब थी.
दहल उठा ओबरा
क्षेत्र के लिए यह बड़ी घटना है. इस घटना से ओबरा का क्षेत्र दहल उठा है. घटना की जानकारी पाते ही आसपास के दर्जनों गांव के लोग घटनास्थल पर पहुंचे गये. यहां आनेवाले लोगों में आक्रोश था और लोग प्रशासन के विरुद्ध अपने गुस्से का इजहार कर रहे थे.
जानकारी पाकर पहुंचे सांसद
लैंड माइंस विस्फोट की घटना की जानकारी पाते ही औरंगाबाद के सांसद सुशील कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंचे. सांसद ने इस घटना की तीव्रभर्त्सना करते हुए कहा कि यह मानवता का गला घोंटने वाली घटना है. इस तरह की घटना की जितना भी निंदा की जाये वह कम है.
बिहार में हुईं प्रमुख नक्सली घटनाएं
18 जून, 2013 : औरंगाबाद के गोह में पुलिस कैंप पर हमला, पांच सैप जवान शहीद, हथियारों की लूट
13-जून, 2013 : जमुई में धनबाद-पटना इंटरसिटी पर हमला, एक जवान सहित तीन की मौत, राइफलें भी लूट कर ले गये.
12 अप्रैल, 2013 : जमुई के चंडमंडी थाना क्षेत्र में जेसीबी मशीन से पंचायत भवन को ध्वस्त किया
12 अप्रैल, 2013 : औरंगाबाद के देव थाना अंतर्गत मिशिरबिगहा स्थित सात सरकारी भवनों को ध्वस्त किया
22 फरवरी, 2013 : गया के रोशनगंज थाना अंतर्गत बारुदी सुरंग का विस्फोट, सात की मौत
30 अगस्त, 2010 : लखीसराय के कजरा में हमला, सात पुलिसकर्मियों की मौत, चार अगवा
09 फरवरी, 2009 : नवादा में पुलिस पर हमला, थाना प्रभारी सहित 10 पुलिसकर्मी शहीद
14 अप्रैल, 2008 : झाझा रेलवे स्टेशन पर नक्सली हमला, पांच लोगों की मौत
वर्ष | हिंसा की घटनाएं | नागरिक मारे गये | सुरक्षाकर्मी मारे गये | पुलिस के साथ एनकाउंटर | पुलिस पर हमले |
2009 | 123 | 29 | 25 | 17 | 06 |
2010 | 176 | 54 | 25 | 21 | 03 |
2011 | 161 | 43 | 03 | 15 | 03 |
2012 | 91 | 24 | 10 | 03 | 03 |
2013 | 70 | 23 | 11 | 03 | 03 |
महाराष्ट्र में नक्सली हमले में पुलिस के तीन जवान शहीद
गढ़चिरौली :इधरमहाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले में ग्याराबत्त्ती इलाके के निकट आज तड़के एक नक्सली हमले में पुलिस के तीन जवान शहीद हो गए.एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘गढचिरौली के कुरखेड़ा तालुक में गश्त कर रहे पुलिस के एक दल पर नक्सलियों ने हमला किया जिसमें तीन जवान शहीद हो गए.’’अधिकारी ने कहा, ‘‘गश्ती दल में से किसी अन्य जवान के घायल होने की तत्काल कोई सूचना नहीं मिली है.’’