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बिहार में बनने वाले विश्व के सबसे बडे मंदिर के लिए मुसलमानों ने जमीन दान दी

पटना: बिहार में धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सदभाव की मिसाल करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया में प्रस्तावित विश्व के सबसे बडे मंदिर रामायण मंदिर के लिए जमीन दान स्वरुप दी हैं.बिहार राज्य धार्मिक न्यास समिति के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया-चकिया […]

पटना: बिहार में धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सदभाव की मिसाल करते हुए मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया में प्रस्तावित विश्व के सबसे बडे मंदिर रामायण मंदिर के लिए जमीन दान स्वरुप दी हैं.बिहार राज्य धार्मिक न्यास समिति के अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल ने बताया कि पूर्वी चंपारण जिला के केसरिया-चकिया मुख्य मार्ग पर कठोलिया, बहुआरा और सुंसवा गांव की करीब 200 एकड में प्रस्तावित रामायण मंदिर में से 30 एकड से अधिक जमीन 4-5 मुस्लिम परिवारों ने दिए हैं जिसमें दानस्वरुप दी गयी तथा हिंदू समुदाय की तरह ही सस्ते दाम पर दी गयी जमीन शामिल हैं. इसमें मुख्य मंदिर करीब 90 एकड में होगा.

उन्होंने कहा कि जिस स्थल पर उक्त मंदिर बनना है इन मुस्लिम परिवारों की जमीन बीचों-बीच थी और उनके द्वारा अगर अपनी जमीन नहीं दी जाती तो हमलोगों का यह मंदिर बनना संभव नहीं हो पाता.

कुणाल ने कहा कि इन मुस्लिम परिवारों के अपनी जमीन सहजतापूर्वक और तत्परतापूर्वक दे देने का अच्छा प्रभाव यह रहा कि हिंदू समुदाय के कुछ लोग जो कि इसके लिए जमीन देने को लेकर पशोपेश में थे बाद में उन्हें भी कोई आनाकानी करते नहीं की और उन्होंने भी अपनी जमीन दे दी जिससे मंदिर के लिए जमीन अधिग्रहण का काम आसानी से और बेहतर वातावरण में संपन्न हो गया.

उन्होंने कहा कि बहुत से मुस्लिम परिवारों ने इस मंदिर के निर्माण के लिए दानस्वरुप राशि भी देने की इच्छा व्यक्त की है, पर इसके लिए अभी हम लोगों ने हिंदू समुदाय से ही जब चंदा लेना शुरु नहीं किया है तो वैसे में उनसे कैसे लें.पटना शहर स्थित महावीर मंदिर ट्रस्ट के सचिव किशोर कुणाल ने बताया कि रामायण मंदिर के निर्माण की राशि अभी उनके पास है और इसलिए प्रस्तावित उक्त मंदिर के लिए अभी उन्होंने चंदा लेना शुरु नहीं किया है.

उन्होंने कहा कि 500 करोड रुपये से अधिक की लागत से प्रस्तावित रामायण मंदिर का भूमि पूजन करीब ढाई साल पूर्व किया था और इसका निर्माण कार्य जल्द ही हम लोग शुरु करने वाले थे और उसके लिए निर्माण कंपनी भी मिल गयी थी, लेकिन हाल में आए भूकंप को देखते हुए उसके नक्शे में रद्दोबदल करने में 20 दिन और लग जाएंगे.

कुणाल ने बताया कि वैसे तो पूर्वी चंपारण सिस्मिक जोन चार में पडता है, पर पडोसी देश नेपाल के सिस्मिक जोन पांच में पडने के कारण उसे सिस्मिक जोन पांच के मुताबिक उक्त मंदिर को भूकंपरोधी बनाने पर विचार किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि रामायण मंदिर 380 उंचाई फुट, लंबाई 2500 फुट और चौडाई 1400 फुट है और इस मंदिर के 72 फुट की उंचाई पर 25 हजार लोगों के लिए एक साथ बैठक पूजा-पाठ करने की व्यवस्था की गयी हैं.

कुणाल ने कहा कि देश में ऐसा कोई मंदिर नहीं है, जिसके ग्राउंड फ्लोर पर भी इतनी संख्या में लोगों को एक साथ बिठाकर पूजा-पाठ करने की व्यवस्था है जो रामायण मंदिर में 72 फुट की उंचाई पर किये जाने की योजना है.उन्होंने कहा कि आमतौर पर देश में जो मंदिर बने हुए हैं, जो वह मंजिलवार बने हुए हैं, लेकिन इस मंदिर को दक्षिण पूर्वी एशिया के तर्ज पर बनाया जाएगा.

कुणाल ने रामायण मंदिर में रामायण की कथा से जुडे सभी देवताओं की मूर्तियां होने के साथ वहां काले ग्रेनाईट का देश में सबसे उंचा 33 फुट उंचाई वाला एक शिवलिंग भी स्थापित किया जाएगा जिसका निर्माण तमिलनाडु में करवाया जा रहा है. इस शिवलिंग पर श्रद्धालु स्वयं जलाभिषेक कर सकें इसके लिए रैंप बनाया जाएगा.

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